नई दिल्ली (ईएमएस)। साहित्य में 14.75 प्रतिशत और शांति के क्षेत्र में 13.99 प्रतिशत महिलाओं को नोबेल पुरस्कार मिला है। आंकड़ों के मुताबिक, साहित्य और शांति ऐसे दो क्षेत्र हैं जहां महिलाओं की भागीदारी अपेक्षाकृत अधिक रही है। अभी भी दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कारों में महिलाओं की भागीदारी आज भी बेहद कम है। 1901 में पुरस्कारों की शुरुआत से लेकर अब तक कुल 1,026 लोगों को नोबेल सम्मान मिल चुका है, जिनमें केवल 68 महिलाएं शामिल हैं। यह सभी विजेताओं का मात्र 6.6 प्रतिशत हिस्सा है। इन 68 महिलाओं में से भी सिर्फ एक, मैरी क्यूरी, ऐसी हैं जिन्हें दो बार यह पुरस्कार मिला पहली बार 1903 में भौतिकी के लिए और दूसरी बार 1911 में रसायन विज्ञान के लिए। हालांकि, भौतिकी जैसे वैज्ञानिक क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या बेहद कम है। वर्ष 2021 से अब तक केवल 10 महिलाओं को ही नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिनमें तीन को शांति, दो को साहित्य और दो को चिकित्सा के क्षेत्र में यह सम्मान मिला। वहीं, भौतिकी, रसायन विज्ञान और अर्थशास्त्र के लिए सिर्फ एक-एक महिला को यह पुरस्कार प्राप्त हुआ। इस वर्ष चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मैरी ई ब्रुनको को दिया गया, जबकि शांति का नोबेल वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को मिला। इन दोनों नामों ने एक बार फिर यह चर्चा छेड़ दी है कि विज्ञान, अर्थशास्त्र और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं की उपस्थिति अब भी सीमित क्यों है। भारत की बात करें तो अब तक केवल मदर टेरेसा ही ऐसी भारतीय महिला हैं जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। 1979 में उन्हें यह सम्मान मानवता और करुणा के क्षेत्र में उनके असाधारण कार्यों के लिए दिया गया था। वहीं, अमेरिका की 18 महिलाएं अब तक नोबेल पुरस्कार जीत चुकी हैं, जो किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक है।विशेषज्ञों का मानना है कि नोबेल पुरस्कारों में महिलाओं की कम उपस्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि विज्ञान और शोध जैसे क्षेत्रों में अब भी लैंगिक असमानता मौजूद है। हालांकि हाल के वर्षों में स्थिति में धीरे-धीरे सुधार देखा गया है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर महिलाओं को समान अवसर और मान्यता दिलाने के लिए अभी लंबा सफर तय करना बाकी है। नोबेल की विरासत में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में यह मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय बहस का केंद्र बनता जा रहा है। वीरेंद्र/ईएमएस 16 अक्टूबर 2025