-रिसर्च से खुलासा, दुनियाभर में कई लोगों की गेम खेलते-खेलते हुई हैं मौतें नई दिल्ली,(ईएमएस)। यूपी की राजधानी लखनऊ में 13 साल के बच्चे की मौत हो गई। इस मौत ने परिवार समेत आसपास के लोगों को भी हैरान कर दिया है। दरअसल, बच्चा घर में मोबाइल गेम खेल रहा था और अचानक बिस्तर पर लेट गया और मोबाइल पर फ्री फायर गेम चल रहा था। बहन को लगा कि उसका भाई सो रहा रहा है, लेकिन काफी देर तक बच्चे ने कोई मूवमेंट नहीं किया। आखिर में पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है। यह एक सडन गेमर डेथ का मामला है, जिसमें मोबाइल या कंप्यूटर पर गेम खेलते-खेलते गेमर की मौत हो जाती है। यह सडन गेमर डेथ कहलाती है। जानकारी के मुताबिक बुधवार को बहन जब बाहर से घर आई तो उसका भाई बिस्तर पर लेटा था और मोबाइल चल रहा था। उनको लगा कि भाई गेम खेलता-खेलता सो गया होगा। बच्चे में बहुत देर तक कोई मूमेंट नहीं दिखी, जिसके बाद बहन को शक हुआ और उसने आसपास के लोगों को बुलाया। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। दरअसल, दुनियाभर में कुछ ऐसे केस सामने आए हैं, जहां मोबाइल गेमर की अचानक मौत हो जाती है। इसमें ना तो उन्हें कोई चोट लगती है, ना ही उनके साथ कोई हाथापाई होती है। ये जानकारी अमेरिकी लाइब्रेरी के जर्नल से मिली है। अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के नेशनल लाइब्रेरी मेडिसन पर एक रिसर्च अपलोड है। पोर्टल पर बताया है कि दुनियाभर में कई लोगों की मोबाइल गेम खेलते-खेलते मौत हो गई। इस हादसे में कोई हिंसा नहीं होती है और मौत का कनेक्शन मोबाइल गेम से होता है। इसको इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर से भी कनेक्ट किया गया है। रिसर्च में बताया गया है कि मोबाइल गेम खेलते-खेलते कई लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक यह संख्या करीब 24 है। इसमें एक मौत 1982 में हुई थी, इसके बाद 2002 से लेकर 2021 तक 23 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें ज्यादा पुरुष हैं। लोगों की उम्र 11 साल से 40 साल तक की थी। रिसर्च में बताया गया है कि इसमें आधे से ज्यादा मामले साउथ ईस्ट एशिया से हैं, जैसे सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। रिसर्च में ये जानकारी न्यूज पेपर और पोर्टल से इकट्ठा की गई है। रिसर्च पेपर में बताया है कि कई मोबाइल गेमर्स कई घंटे तक लगातार गेम खेलते हैं। इसमें वह बहुत कम समय का ब्रेक लेते हैं। ऐसे में लंबे समय तक एक पॉजिशन पर बैठे रहना और गेमिंग के दौरान हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट रहती है। ऐसे में छोटे ब्रेक से ज्यादा फायदा नहीं होता है। रिसर्च में बताया है कि कुल मौतों में से पांच की मौत का कारण पल्मोनरी एम्बोलिज्म यानी फेफड़ों में खून का थक्का जमना था, दो मामलों में सेरेब्रल हैमरेज यानी ब्रेन हेमरेज या ब्रेन ब्लीड और तीसरे में संभवतः कार्डियक एरिथमिया बताया है। सिराज/ईएमएस 16अक्टूबर25