कांकेर(ईएमएस)। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के नरहरपुर विकासखंड के जामगांव गांव में ग्रामीणों ने मतांतरण के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। गांव के प्रवेश द्वार पर बोर्ड लगाकर पास्टर, पादरी और धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। यह निर्णय ग्रामसभा के प्रस्ताव के तहत लिया गया है। गांव के ग्रामीण खेमन नाग ने बताया कि जामगांव में लगभग 14 परिवारों ने धर्म परिवर्तन किया है, जिससे गांव की परंपराओं और रीति-रिवाजों पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा, “हम किसी धर्म का विरोध नहीं करते, लेकिन लालच या प्रलोभन देकर किए जा रहे मतांतरण का विरोध कर रहे हैं।” गायता रमेश उइके ने बताया कि गांव की संस्कृति और आदिवासी परंपराओं की रक्षा के लिए यह निर्णय ग्रामसभा ने लिया है। बोर्ड पर लिखा गया है कि “पेशा अधिनियम 1996 लागू है, जिसके तहत सांस्कृतिक पहचान और रूढ़िगत परंपराओं के संरक्षण का अधिकार ग्रामसभा को प्राप्त है।” ग्रामसभा के प्रस्ताव में स्पष्ट कहा गया है कि ईसाई धर्म प्रचार या मतांतरण के उद्देश्य से किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। यह कदम पांच महीने पहले मतांतरित परिवार के एक सदस्य की मौत और कफन-दफन विवाद के बाद उठाया गया। संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत ग्रामसभा को अपनी परंपरा और संस्कृति की रक्षा के लिए निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है। इस अवसर पर खेमन नाग, प्रमोद कुंजाम, तुलेश सिन्हा, राजकुमार सिन्हा, आनंद यादव, संजय शोरी, रोहित कुंजाम, कमलेश नेताम, कमल सिंह मरकाम, रामदीन नाग सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। बता दें कि जामगांव कांकेर जिले का 13वां ऐसा गांव बन गया है, जहां मतांतरण विरोध में पादरियों और पास्टरों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। ईएमएस(राकेश गुप्ता)16 अक्टूबर 2025