ज़रा हटके
22-Oct-2025
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लंदन (ईएमएस)। हाल ही में आई एक नई स्टडी ने प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे पुरुषों के लिए उम्मीद की नई किरण दिखाई है। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया है कि कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली दवाएं स्टैटिन्स प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों की उम्र बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। अध्ययन में यह देखा गया कि जिन पुरुषों को अपालुटामाइड और सामान्य हार्मोन थेरेपी के साथ स्टैटिन दी गई, वे अन्य मरीजों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहे। यह निष्कर्ष दो बड़े क्लीनिकल ट्रायल्स स्पार्टन और टाइटन पर आधारित था, जिनमें कुल 2100 से अधिक पुरुषों को शामिल किया गया। टाइटन ट्रायल में स्टैटिन लेने वाले मरीजों की जीवित रहने की दर 14 प्रतिशत अधिक पाई गई, जबकि स्पार्टन ट्रायल में यह अंतर 8प्रतिशत रहा। यह लाभ केवल उन मरीजों में देखा गया जिन्हें अपालुटामाइड दी जा रही थी; प्लेसबो यानी नकली दवा लेने वाले मरीजों में ऐसा सुधार नहीं पाया गया। स्टैटिन्स का यह असर इस वजह से देखा गया कि ये दवाएं कैंसर कोशिकाओं की ग्रोथ को धीमा कर सकती हैं और शरीर में सूजन कम करती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि स्टैटिन्स में कैंसर-रोधी गुण मौजूद हो सकते हैं, जो हार्मोन-ब्लॉकिंग दवाओं जैसे अपालुटामाइड की प्रभावशीलता को भी बढ़ाते हैं। इस तरह स्टैटिन्स को भविष्य में प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के एक पूरक विकल्प के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि, अध्ययन में एक चेतावनी भी दी गई है। जिन मरीजों को पहले से दिल की बीमारी है, उनके लिए स्टैटिन्स का उपयोग जोखिम भरा साबित हो सकता है। शोध में पाया गया कि स्टैटिन लेने वाले कुछ मरीजों में ग्रेड-3 या उससे अधिक गंभीर हृदय संबंधी घटनाएं देखी गईं। इसका मतलब यह है कि स्टैटिन्स जहां कैंसर के इलाज में मदद कर सकती हैं, वहीं वे हार्ट डिजीज की स्थिति को गंभीर भी बना सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि स्टैटिन दवाओं का प्रयोग केवल चिकित्सकीय सलाह और सख्त निगरानी में ही किया जाना चाहिए। खासतौर पर बुजुर्ग पुरुषों में, जो पहले से हृदय संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हैं, स्टैटिन के इस्तेमाल के दौरान दिल और कैंसर दोनों की नियमित मॉनिटरिंग जरूरी है। सही निगरानी के साथ यह दवा प्रोस्टेट कैंसर के खिलाफ एक नई उम्मीद बन सकती है। मालूम हो कि पुरुषों में प्रोस्टेट की कोशिकाएं जब अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो यह प्रोस्टेट कैंसर का रूप ले लेती हैं। यह बीमारी आमतौर पर उम्रदराज पुरुषों में पाई जाती है और कई बार इसके लक्षण देर से सामने आते हैं, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है। शुरुआती चरण में इसकी पहचान न हो पाने पर यह कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है। सुदामा/ईएमएस 22 अक्टूबर 2025