राष्ट्रीय
22-Oct-2025
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-मोहाली के स्टार्टअप नलवा एयरो ने बनाई देश की पहली स्वदेशी ईवीटॉल एयर टैक्सी नई दिल्ली,(ईएमएस)। अब दिल्लीवासियों को ट्रैफिक में घंटों फंसने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दरअसल साल 2028 से देश की राजधानी में एयर टैक्सी सेवा शुरू हो सकती है। पंजाब के मोहाली स्थित स्टार्टअप नलवा एयरो ने स्वदेशी तकनीक से ईवीटॉल (इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग) एयर टैक्सी विकसित की है, जिसे नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने डिज़ाइन ऑर्गेनाइजेशन अप्रूवल (डीओए) प्रमाणपत्र दे दिया है। कंपनी के सीईओ कुलजीत सिंह संधू का कहना है, कि कोविड काल में एक मित्र की आपातकालीन चिकित्सा जरूरत ने इस प्रोजेक्ट को शुरु करने की नींव रखवा दी। उन्होंने कहा, कि दरअसल जब आसपास न हेलीपैड था, न एयर एम्बुलेंस, तब विचार आया कि क्यों न ऐसी मशीन बनाई जाए जो कहीं से भी उड़ान भर सके और कहीं भी उतर सके। मीडिया रिपोर्ट अनुसार इसकी जानकारी दे रहे संधू ने बताया कि एयर टैक्सी का डिजाइन चरण पूरा हो चुका है और सब-स्केल प्रोटोटाइप अगले एक माह में तैयार हो जाएगा। इसे दिल्ली-एनसीआर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया जाएगा। शुरुआती रूट में आईजीआई एयरपोर्ट से आनंद विहार, नोएडा, गाजियाबाद और पानीपत जैसी जगहें शामिल होंगी। जहां सड़क मार्ग से सफर में 1 से 3 घंटे लगते हैं, वहीं एयर टैक्सी सिर्फ 10 से 12 मिनट में पहुंचा देगी। प्रति व्यक्ति शुरुआती किराया लगभग 500 रुपए आ सकता है। हेलिकॉप्टर से 10 गुना शांत और लागत 90 प्रतिशत कम ईवीटॉल में 8 रोटर सिस्टम होंगे। दो बंद होने पर भी उड़ान जारी रह सकती है और तीन फेल होने पर सुरक्षित लैंडिंग संभव है। यह तकनीक हेलिकॉप्टर से अधिक सुरक्षित और शांत है। परिचालन लागत भी बेहद कम है, जहां हेलिकॉप्टर उड़ाने में करीब 5 लाख रुपये प्रति घंटा खर्च होता है, वहीं ईवीटॉल की लागत उसका सिर्फ 10प्रतिशत होगी। तकनीक और रेंज नलवा एयरो दो मॉडलों पर काम कर रही है, पहला लिथियम आयन बैटरी आधारित मॉडल, जो एक चार्ज में 90 मिनट या 300 किमी तक उड़ान भर सकता है। दूसरा हाइड्रोजन फ्यूल सेल मॉडल है, जिसकी रेंज 800 किमी तक होगी। बैटरी फास्ट चार्जर से सिर्फ 50 मिनट में चार्ज हो सकेगी। बताया गया है कि नलवा एयरो की एयर टैक्सी को मोबाइल ऐप के जरिए सामान्य टैक्सी की तरह बुक किया जा सकेगा। इसमें एडवांस फ्लाइंग कंप्यूटर, टिल्टिंग प्रपल्शन सिस्टम और बॉक्स-विंग डिजाइन जैसी अत्याधुनिक तकनीकें हैं। इसका अधिकतम टेक-ऑफ भार 4000 किलोग्राम और पेलोड 1000 किलोग्राम है। वर्तमान में गुजरात और आंध्र प्रदेश में ईवीटॉल के सैंडबॉक्स ट्रायल साइट्स तैयार की जा रही हैं, जिनमें वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम भी भागीदार है। यह कदम भारत को भविष्य की अर्बन एयर मोबिलिटी के युग में प्रवेश कराने की दिशा में ऐतिहासिक साबित हो सकता है। हिदायत/ईएमएस 22 अक्टूबर 2025