शिरडी, (ईएमएस)। दिवाली के अवसर पर शिरडी के साईं संस्थान द्वारा मंगलवार को साईं बाबा की मूर्ति को 5 करोड़ रुपये मूल्य के विभिन्न सोने और हीरे के आभूषणों से सुसज्जित किया गया। हर साल की तरह इस साल भी दिवाली के अवसर पर साईं बाबा मंदिर में परंपरा के अनुसार लक्ष्मी पूजन उत्सव मनाया गया। दिवाली के अवसर पर मंगलवार को शाम 5 से 5.55 बजे तक साईं बाबा समाधि मंदिर के प्रांगण में संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोरक्ष गाडिलकर और उनकी पत्नी वंदना गाडिलकर द्वारा लक्ष्मी पूजन किया गया। इस अवसर पर श्री गणेश पूजन, लक्ष्मी-कुबेर पूजन, सरस्वती पूजन और साईं धूप-नैवेद्य जैसे कार्यक्रम किए गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में संस्थान के पदाधिकारी, शिरडी ग्रामीण और साईं भक्त उपस्थित थे। लक्ष्मी-कुबेर पूजन के बाद शाम 6 बजे श्री की धूपबत्ती की गई। धूपबत्ती के बाद साईं भक्तों के लिए दर्शन कतार शुरू कर दी गई। दिवाली के अवसर पर साईं बाबा मंदिर को बिजली से जगमगाया गया। साथ ही, साईंबाबा समाधि मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र को फूलों से आकर्षक ढंग से सजाया गया। किंवदंती है कि द्वारकामाई में दीपक जलाने के लिए तेल नहीं था इसलिए दिवाली पर साईंबाबा ने पानी से दीपक जलाए थे। इसलिए, आज भी शिरडी में कई साईं भक्त दीपक जलाकर साईंबाबा की स्मृति को जीवित रखते हैं। देश भर के विभिन्न स्थानों से साईं भक्त शिरडी आते हैं और साईंबाबा की द्वारकामाई के सामने और लेंडी बाग के प्रांगण में दीपक जलाते हैं। दिवाली के दौरान हर जगह मीठा भोजन परोसा जाता है। साईंबाबा, जिन्होंने शिरडी में एक फकीर का जीवन व्यतीत किया, आज भक्तों द्वारा सोने और चांदी से मढ़े हुए हैं। त्योहारों और उत्सवों के दौरान, साईंबाबा को सोने की थाली में प्रसाद चढ़ाया जाता है। साईंबाबा के दर्शन करने आने वाले भक्तों के लिए व्यवस्था करने के लिए लगभग साढ़े छह हजार कर्मचारी और अधिकारी तैनात हैं। वाहन चालकों-मालिकों, लॉज मालिकों व कर्मचारियों, छोटे-बड़े व्यापारियों व मजदूरों को मिलाकर एक लाख से अधिक परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बाबा की कृपा से लक्ष्मी प्राप्त करते हैं। लक्ष्मी पूजा के अवसर पर कई घरों में साईं बाबा की तस्वीर रखकर उनकी पूजा की जाती है। कुछ भक्तों ने लेंडीबाग में अपने परिवार के साथ लक्ष्मी पूजा की। साईं मंदिर में लक्ष्मी पूजा की धूम कुछ और ही होती है। सोने की थाली, पंचरती, घंटा, समई, निरंजन, पाली-पंचपात्र, जाती और पूजा के बर्तन भी सोने के बने होते हैं। बाबा की मूर्ति को पांच करोड़ के रत्नजड़ित सोने के हार से सजाया गया था। सौ किलो सोने से मढ़ा साईं बाबा का सिंहासन और स्वर्णिम आभा से जगमगाता साईं मंदिर पर रखा सोने का कटोरा बाबा के दरबार की भव्यता की गवाही देते हैं। बाबा के दरबार में हमेशा ऋद्धि-सिद्धि का वास रहता है। इसी आस्था के साथ कई भक्त बाबा के दरबार में लक्ष्मी पूजा में अपने पैसों के बटुए रखते हैं। पूजा के बाद उन्हें रखवाले को सौंप दिया जाता है। लक्ष्मी पूजा के दिन, कई भक्त साईं दर्शन करके दिवाली मनाने शिरडी आते हैं और बाबा के दरबार में लक्ष्मी पूजा बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। संतोष झा- २२ अक्टूबर/२०२५/ईएमएस