सबसे चर्चित यौन शोषण पीड़िता वर्जीनिया फिर चर्चा में वाशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिका की सबसे चर्चित यौन शोषण पीड़िता वर्जीनिया गिफ्रे फिर सुर्खियों में आ गई हैं। जेफ्री एपस्टीन के कुख्यात सेक्स ट्रैफिकिंग नेटवर्क की प्रमुख पीड़ित मानी जाने वाली गिफ्रे की मौत के बाद उनकी आत्मकथा नोबॉडीज गर्ल’ प्रकाशित हुई। किताब में गिफ्रे ने अपने दर्दनाक अनुभवों का विस्तार से बताया है और साथ ही ऐसा दावा किया है जिसने वैश्विक राजनीति और उच्चस्तरीय शोषण नेटवर्क पर नई बहस को जन्म दिया है। गिफ्रे ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि 2002 में एक प्रमुख प्रधानमंत्री ने उन्हें एपस्टीन के निजी द्वीप पर बलपूर्वक शोषित किया। पुस्तक में व्यक्ति का नाम स्पष्ट नहीं किया गया, लेकिन बाद में अदालत में गिफ्रे ने इसकी पहचान इजराइल के पूर्व प्रधानमंत्री एहुड बराक के रूप में की। बराक ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है, हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि वे एपस्टीन के परिचित थे। आत्मकथा में गिफ्रे ने बताया कि यह घटना उनके जीवन की सबसे भयावह रात थी। उन्हें न केवल शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी पूरी तरह तोड़ दिया गया। गिफ्रे लिखती हैं कि तब उन्हें यह देखने का मजा लिया गया कि वे कितनी पेरशानी में हैं और उन्होंने जीवित रहने के लिए भीख मांगनी पड़ी। यह अनुभव उनके जीवन का निर्णायक मोड़ बन गया, जिसने उन्हें एपस्टीन नेटवर्क से बाहर निकलने और न्याय की लड़ाई लड़ने की शक्ति दी। गिफ्रे ने बताया कि एपस्टीन के नेटवर्क से जुड़े कई प्रभावशाली लोग उन्हें उजागर करने से रोकने के लिए धमकियों और कानूनी परेशानियों का सहारा लेते रहे। उन्हें मुकदमों, धमकियों और आर्थिक नुकसानों की चेतावनी दी गई, जिससे वे डर कर पीछे हट जातीं। बावजूद इसके, गिफ्रे ने हार नहीं मानी और अपनी कहानी को सार्वजनिक कर न्याय के लिए आवाज उठाई। किताब केवल शोषण की कहानी नहीं है, बल्कि साहस, संघर्ष और आत्मसम्मान की यात्रा भी है। 400 पन्नों के संस्मरण में गिफ्रे ने अपने टूटे हुए मन से उठकर न्याय की दिशा में कदम बढ़ाने की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया है। उन्होंने बताया कि किशोर अवस्था में उन्हें ब्रिटिश शाही परिवार से जुड़े प्रिंस एंड्रयू द्वारा शोषण का सामना करना पड़ा। प्रिंस एंड्रयू ने इन आरोपों से इंकार से किया, जबकि उनके समर्थकों ने गिफ्रे को सोशल मीडिया पर बदनाम करने की कोशिश की। वर्जीनिया गिफ्रे अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आत्मकथा उन अनगिनत पीड़ितों के लिए उम्मीद और प्रेरणा का स्रोत बन गई है जो न्याय पाने का साहस जुटा नहीं पाते। गिफ्रे की कहानी दिखाती है कि सच चाहे कितना भी दबाया जाए, अंततः वह सामने आ ही जाता है। यह किताब न केवल एपस्टीन नेटवर्क और उच्चस्तरीय शोषण के काले सच को उजागर करती है, बल्कि समाज को यह भी याद दिलाती है कि भय से बड़ी ताकत, साहस की होती है। वर्जीनिया गिफ्रे का संघर्ष, उनका साहस और न्याय के लिए उनका समर्पण, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल और प्रेरणा बन गया है। आशीष/ईएमएस 25 अक्टूबर 2025