वाशिंगटन (ईएमएस)। लगातार हाई कार्टिसोल से हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा, स्ट्रोक और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है, जिससे बार-बार बीमार पड़ने की संभावना रहती है। यह हार्मोन एड्रिनल ग्रंथियों द्वारा रिलीज होता है और शरीर में एनर्जी लेवल बनाए रखने, सूजन कम करने और मेटाबॉलिज्म को रेगुलेट करने में मदद करता है। लेकिन जब इसका स्तर लंबे समय तक ज्यादा बना रहता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसके अलावा, हाई कार्टिसोल से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, नींद नहीं आती, डिप्रेशन और मानसिक तनाव बढ़ सकते हैं। लगातार तनाव, नींद की कमी, अत्यधिक कैफीन, असंतुलित खानपान और ज्यादा वर्कलोड इसका स्तर बढ़ाने वाले प्रमुख कारण हैं। सुबह का समय प्राकृतिक रूप से कार्टिसोल के लिए उच्च होता है, लेकिन पूरे दिन इसका ज्यादा रहना समस्या बन जाता है। कार्टिसोल को नियंत्रित करने का सबसे असरदार तरीका है तनाव कम करना। इसके लिए मेडिटेशन, योग, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और रेगुलर वर्कआउट बेहद फायदेमंद हैं। पर्याप्त नींद लेना और मोबाइल स्क्रीन से दूरी बनाए रखना भी कार्टिसोल को बैलेंस करने में मदद करता है। दिन में 7-8 घंटे की नींद लेना जरूरी है। साथ ही, हेल्दी डाइट का पालन करें। अखरोट, अलसी के बीज, मछली, संतरा, ब्रोकली और पालक जैसे फूड्स तनाव को कम करने में सहायक हैं, जबकि कैफीन और प्रोसेस्ड शुगर का सेवन कम करना चाहिए। अगर लगातार थकान, चिड़चिड़ापन, वजन बढ़ना या नींद न आना जैसी समस्याएं हों, तो डॉक्टर से हॉर्मोन टेस्ट कराना चाहिए। जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग या स्ट्रेस थेरेपी भी ली जा सकती है। हेल्थ एक्सपर्टस के अनुसार, हमारे शरीर में कई तरह के हार्मोन काम करते हैं, जिनका असर हमारे मूड, एनर्जी और सेहत पर पड़ता है। इनमें से एक प्रमुख हार्मोन कार्टिसोल है, जिसे स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है। सुदामा/ईएमएस 25 अक्टूबर 2025