राष्ट्रीय
26-Oct-2025
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बेंगलुरु,(ईएमएस)। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित एस्ट्रा एम-3 मिसाइल, जिसे ‘गांडीव’ नाम दिया गया है, 2028 से बड़े पैमाने पर उत्पादन में प्रवेश करेगी और 2030 के शुरुआती दशक में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होगी। महाभारत के शक्तिशाली धनुष ‘गांडीव’ से प्रेरित इस मिसाइल को दुनिया की सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली एयर-टू-एयर मिसाइल में गिना जाएगा, जो भारत को उन्नत हवाई युद्ध क्षमता प्रदान करेगी। गांडीव की मारक क्षमता उच्च ऊंचाई पर 340-350 किमी और कम ऊंचाई (8 किमी) पर 190 किमी है, जो इसे चीन की पीएल-15 और अमेरिका की एम-174 मिसाइलों के समकक्ष या बेहतर बनाती है। सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट तकनीक से लैस यह मिसाइल मैक 4.5 (5500 किमी/घंटा) की गति तक पहुंचती है। इसका थ्रॉटलेबल रैमजेट इंजन वायुमंडलीय ऑक्सीजन का उपयोग करता है, जिससे यह हल्की, तेज और लंबे समय तक गति बनाए रखने में सक्षम है। यह तकनीक नो-एस्केप ज़ोन को बड़ा करती है, जिससे तेज गति से भागने वाले दुश्मन विमान भी बच नहीं पाते।यह मिसाइल समुद्र तल से 20 किमी ऊंचाई तक लॉन्च हो सकती है और 20 डिग्री एंगल ऑफ अटैक के साथ उत्कृष्ट गतिशीलता प्रदान करती है। गांडीव का वजन 160 किलोग्राम, लंबाई 3.8 मीटर और व्यास 178 मिमी है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटर मेजर्स सिस्टम है, जो जामिंग के बावजूद सटीकता बनाए रखता है। 2025 तक इसने ग्राउंड टेस्ट, लाइव-फायर ट्रायल, और सुपरसोनिक फ्लाइट वीरेंद्र/ईएमएस/26अक्टूबर2025