राज्य
31-Oct-2025
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* एसईसीएल, एनटीपीसी और बालको सहित सभी संबद्ध उद्योगों को दो हफ्ते में रोडमैप तैयार करने दिए निर्देश * अस्थायी उपायों से समस्या हल नहीं, स्थायी समाधान जरूरी-उच्च न्यायालय कोरबा (ईएमएस) छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर ने कोरबा क्षेत्र में फ्लाई ऐश परिवहन से हो रहे प्रदूषण, सड़क की दुर्दशा पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार, एसईसीएल, एनटीपीसी, बालको सहित सभी संबद्ध उद्योगों को दो सप्ताह के भीतर स्थायी समाधान का रोडमैप तैयार कर प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने यह आदेश WPPIL No. 37/2024 (Suo Motu Public Interest Litigation) पर सुनवाई के दौरान पारित किया। जानकारी के अनुसार उच्च न्यायालय ने यह जनहित याचिका स्वतः संज्ञान में तब दर्ज की थी जब कोरबा के मानिकपुर कोयला खदान क्षेत्र में फ्लाई ऐश ढोने वाले ट्रकों से लगातार धूल, जाम, प्रदूषण, फ्लाई ऐश प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं की शिकायतें सामने आईं। रिपोर्टों के अनुसार, फ्लाई ऐश परिवहन के लिए प्रयुक्त सड़कों की हालत बेहद खराब है। कई हिस्सों में सड़क केवल मिट्टी और राख से बनी है, जिससे वाहनों की आवाजाही खतरनाक हो गई है। * उच्च न्यायालय में पेश रिपोर्ट और हलफनामे उक्त मामले में सुनवाई के दौरान न्यायालय को तीन महत्वपूर्ण हलफनामे प्राप्त हुए, जिसमे छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल (सीएसईबी), राज्य के मुख्य सचिव, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव के हलफनामे हैं। इन हलफनामों में बताया गया कि न्यायालय के पूर्व आदेश (10 अक्टूबर 2025) के पालन में कोरबा क्षेत्र का निरीक्षण किया गया और एसईसीएल, एनटीपीसी, सीएसपीजीसीएल, बालको, एवं लैंको को कई सुधारात्मक निर्देश दिए गए। * सीएसईबी की रिपोर्ट सीएसईबी की रिपोर्ट अंतर्गत कोरबा के तीन प्रमुख मार्गों पर धूल व गड्ढों की स्थिति पाई गई, जिसमे रिसदी चौक-झागरहा रोड, मड़वारानी ओवरब्रिज-चांपा रोड और गौमाता चौक-चांपा रोड शामिल हैं।गौमाता चौक क्षेत्र को “फ्लाई ऐश एंट्री पॉइंट” बताया गया, जहाँ ट्रक पार्किंग के कारण हमेशा जाम लगा रहता है। बोर्ड ने एसईसीएल, एनटीपीसी, बालको, एवं लैंको को निर्देश दिए कि ट्रकों की पार्किंग केवल खदान परिसर के अंदर हो। ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान बनाकर वाहनों को स्लॉट के अनुसार बुलाया जाए।सभी ट्रकों को तिरपाल से ढंका जाए और ओवरलोडिंग न हो। सड़क की नियमित मरम्मत और जल छिड़काव हो। सीएसईबी ने बताया कि बीते दो वर्षों (2024–25) में कोरबा क्षेत्र में 100 मामलों में कोयला परिवहन में नियम उल्लंघन, 64 मामलों में फ्लाई ऐश के गलत परिवहन पर कुल मिलाकर ₹1.43 करोड़ का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया गया। इसमें से ₹1.05 करोड़ एसईसीएल से जबकि ₹18.85 लाख बालको पर वसूले गए हैं। * निगरानी और नियंत्रण अब फ्लाई ऐश परिवहन वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग (AIS-40 डिवाइस) अनिवार्य कर दिया गया है।सभी वाहन इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम पोर्टल पर पंजीकृत हैं। कोरबा क्षेत्र में सीएसईबी द्वारा एयर क्वालिटी इंडेक्स की निगरानी की जा रही है, जो जुलाई से सितंबर 2025 के बीच “संतोषजनक स्तर” पर पाई गई। * न्यायालय की टिप्पणी इस मामले में टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने कहा की “संबंधित संस्थाओं ने अस्थायी कदम तो उठाए हैं, लेकिन स्थायी समाधान आज भी नहीं हुआ है। सड़कें अब भी जर्जर हैं और प्रदूषण व दुर्घटनाओं का खतरा बरकरार है।” न्यायालय ने माना कि सही तरीके से बनी सड़क का अभाव ही इन समस्याओं की जड़ है। इसलिए पीडब्लूडी को तत्काल स्थायी और मजबूत सड़क निर्माण का निर्देश दिया गया। न्यायालय के दिए नए निर्देश के अनुसार बालको के चेयरमैन-कम-मैनेजिंग डायरेक्टर को दो सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया। एनटीपीसी से स्पष्टीकरण मांगा गया कि क्या उन्होंने मार्ग परिवर्तित कर फ्लाई ऐश परिवहन अन्य मार्गों से शुरू किया है, और क्या वहां भी पर्यावरणीय समस्या उत्पन्न हो रही है। न्यायालय ने आगे कहा की एसईसीएल, एनटीपीसी, बालको, लैंको अमरकंटक पावर लिमिटेड और अन्य उद्योग दो सप्ताह के भीतर सीएसईबी, राज्य सरकार और नगर निगम कोरबा के साथ संयुक्त बैठक करें। बैठक में फ्लाई ऐश प्रबंधन, ट्रैफिक व्यवस्था और सड़क निर्माण के लिए स्थायी कार्ययोजना तय करें। पीडब्लूडी सचिव को विस्तृत प्रगति रिपोर्ट, मानचित्र और दस्तावेजों सहित व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश जारी किया गया। कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट के अनुसार सर्गांव क्षेत्र में अवैध ढाबा और पार्किंग का अतिक्रमण अब तक नहीं हटाया गया। तहसीलदार मंगेली के 15 मई 2025 के आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट ने इस पर भी सख्त रुख अपनाते हुए कार्यवाही का निर्देश दिया। इस मामले की अगली मॉनिटरिंग 14 नवंबर 2025 को की जाएगी। कोरबा क्षेत्र में फ्लाई ऐश परिवहन से जुड़ी यह जनहित याचिका अब छत्तीसगढ़ में पर्यावरण संरक्षण और औद्योगिक जवाबदेही का बड़ा परीक्षण बन गई है। उच्च न्यायालय ने साफ कर दिया है कि केवल औपचारिक रिपोर्टों से नहीं, बल्कि जमीनी सुधारों से ही न्यायालय संतुष्ट होगा। 31 अक्टूबर / मित्तल