नई दिल्ली (ईएमएस)। किसी भारी बैग को उठाना हो, किसी को गले लगाना हो या किसी वस्तु तक हाथ बढ़ाना हो, हर काम में कंधे की भूमिका अहम होती है। ये हमारी ऊपरी बॉडी के साइलेंट वॉरियर हैं, जो ताकत, संतुलन और अभिव्यक्ति तीनों का केंद्र हैं। शारीरिक दृष्टि से देखें तो कंधे की संरचना बेहद जटिल है। इसमें तीन मुख्य हड्डियां ह्यूमरस (ऊपरी भुजा की हड्डी), स्कैपुला (कंधे की हड्डी) और क्लेविकल (हंसली) मिलकर एक मजबूत लेकिन लचीला जोड़ बनाती हैं। इन हड्डियों के चारों ओर रोटेटर कफ नामक मांसपेशियों का समूह होता है, जो कंधे को स्थिर रखता है और उसे 360 डिग्री तक घुमाने की क्षमता देता है। यही वजह है कि कंधे शरीर का सबसे गतिशील जोड़ माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि कंधे सिर्फ शारीरिक ताकत का प्रतीक नहीं, बल्कि भावनात्मक और मानसिक स्थिति का भी आईना हैं। जब व्यक्ति थका या उदास होता है, तो उसके कंधे झुक जाते हैं, जबकि आत्मविश्वास या उत्साह के क्षणों में वे सीध में रहते हैं। आयुर्वेद में कंधों को ‘बलस्थान’ कहा गया है, जिसका अर्थ है शरीर की शक्ति और स्थिरता का आधार। आधुनिक जीवनशैली में कंधों से जुड़ी समस्याएं काफी आम हो गई हैं। लंबे समय तक कंप्यूटर या मोबाइल का इस्तेमाल, गलत मुद्रा में बैठना या व्यायाम के दौरान अत्यधिक दबाव डालना, इन सब कारणों से फ्रोजन शोल्डर, रोटेटर कफ इंजरी और आर्थराइटिस जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। इनसे बचाव के लिए कुछ सरल घरेलू उपाय बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं। रोजाना सरसों या तिल के तेल से हल्की मालिश करने से रक्त प्रवाह बेहतर होता है और मांसपेशियों की अकड़न कम होती है। योगासन जैसे गोमुखासन, गरुड़ासन और अधोमुख श्वानासन कंधों की लचक और मजबूती बढ़ाने में मदद करते हैं। अगर दर्द या सूजन हो, तो ठंडी और गर्म सिकाई बारी-बारी से करना फायदेमंद रहता है। आहार में भी बदलाव जरूरी है। कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दूध, तिल, अंजीर और पनीर कंधों की हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करते हैं। साथ ही आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जैसे अश्वगंधा और हडजोड़ जोड़ों की मजबूती बढ़ाने में सहायक होती हैं। सुदामा/ईएमएस 03 नवंबर 2025