लंदन की हिंदी स्कॉलर प्रोफेसर के निर्वासन पर केंद्र को कांग्रेस नेता ने दी नसीहत नई दिल्ली,(ईएमएस)। लंदन की हिंदी स्कॉलर प्रोफेसर फ्रांसेस्का ओरसिनी को वीजा शर्तों की वजह से नई दिल्ली एयरपोर्ट से निर्वासित करने को लेकर शशि थरूर ने मोदी सरकार को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि भारत को ज्यादा मोटी चमड़ी का होने की जरूरत है। थरूर ने कहा कि भारत सरकार को और ज्यादा सहनशील और बड़ा दिल वाला होना चाहिए। थरूर ने कहा कि मामूली वीजा नियमों के उल्लंघन की वजह से किसी विदेशी स्कॉलर के साथ इस तरह का व्यवहार करना भारत की छवि को धक्का पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि किसी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में बदनामी होने से उतनी छवि खराब नहीं होती है जितनी कि इस तरह के ऐक्शन से होती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस नेता शशि थरूर ने यह प्रतिक्रिया बीजेपी के पूर्व सांसद स्वपन दासगुप्ता के अखबार में छपे लेख पर दी। इसका शीर्षक था, ओरसिनी विवाद वीजा निगरानीकर्ताओं के खतरे को दिखाता है। उन्होंने अपने लेख में कहा था कि वीजा नियमों के बारे में एक्शन लेना तो सरकार का काम है लेकिन किसी प्रोफेसर की छात्रवृत्ति तय करना उसका काम नहीं। बता दें ओरिसिनी स्कॉल ऑफ ओरिएंटल अफ्रीकन स्टडीज में हिंदी की प्रोफेसर हैं और वह हॉन्ग कॉन्ग से दिल्ली पहुंची थीं। सरकार के सूत्रों का कहना है कि उन्हें मार्च 2025 में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था, वह भी विजा नियमों के उल्लंघन की वजह से। कांग्रेस ने इस कार्रवाई की निंदा की थी और कहा था कि सरकार ने एक स्कॉलर का अपमान किया है। वहीं थरूर ने कहा कि मैं स्पन के लेख से सहमत हूं, लेकिन किसी विद्वान को मामूली वीजा नियमों के उल्लंघन की वजह से इस तरह से आव्रजन काउंटर पर अपामानित करना, एक देश और संस्कृति को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को ज्यादा मोटी चमड़ी का होना पड़ेगा। इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने उनके निर्वासन को लेकर कहा था कि सरकार ने ऐसा करके असुरक्षा, बेहोशी और अपनी मूर्खता का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि ओरसिनी हिंदी साहित्य की महान विद्वान हैं और उन्होंने हमारी ही संस्कृति और भाषा के लिए बहुत काम किया है। ऐसे में वह भारत में सम्मान की अधिकारी हैं। सिराज/ईएमएस 03नवंबर25 -------------------------------