03-Nov-2025
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गरियाबंद(ईएमएस)। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 25 साल बाद भी गरियाबंद जिले का विकास अधूरी तस्वीर बना हुआ है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) के तहत जिले में 193 सड़कों के साथ 61 पुलों की योजना बनी थी, लेकिन दो दशक बीत जाने के बाद भी इनमें से एक भी पुल पूरा नहीं हो पाया। प्रशासकीय स्वीकृति मिल गई, मगर वित्तीय मंजूरी अब तक फाइलों में कैद है। इनमें से 48 पुल बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र और 13 पुल राजिम क्षेत्र के हैं। यानी गरियाबंद का बड़ा हिस्सा अब भी बरसात में दुनिया से कट जाता है। दुल्ला, अमलीपदर, सगड़ा, मोगराडिह, बेगरपाला, साहसखोल, जटियातोड़ा जैसे आदिवासी बहुल गांव आज भी पुलों की राह ताक रहे हैं। मानो किस्मत का मजाक हो बरसात आते ही ग्रामीणों की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है। तेज बहाव में नदी-नालों को पार करने के लिए लोग ट्यूब और रस्सियों का सहारा लेते हैं, गर्भवती महिलाओं को खाट पर लादकर अस्पताल पहुंचाया जाता है, तो कहीं बाइक और ट्रैक्टर बहने की घटनाएं होती हैं। गरियाबंद की दुर्दशा का कारण केवल बजट नहीं, बल्कि राजनीतिक रस्साकशी भी है। कभी कांग्रेस की सरकार में भाजपा विधायक थे, अब भाजपा सरकार में कांग्रेस विधायक हैं। नतीजा इलाके का विकास सत्ता बदलते ही ठंडे बस्ते में। सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले 25 सालों में 317.5 करोड़ रुपये की लागत से 1095 किमी लंबी सड़कें बनीं, लेकिन 61 पुलों की वित्तीय स्वीकृति आज भी लटकी हुई है। इनमें से कई को 2001 से 2010 के बीच ही 128 करोड़ की प्रशासकीय मंजूरी मिल चुकी थी, पर हर बार ‘बजट की कमी’ का हवाला देकर मामला टाल दिया गया। विधायक जनक ध्रुव ने कहा बिन्द्रानवागढ़ क्षेत्र के साथ शौतेला व्यवहार हो रहा है। विधानसभा में बार-बार यह मुद्दा उठाया, शासन को पत्र लिखा, लेकिन जवाब तक नहीं मिला। अगर यही हाल रहा, तो जनता के साथ मिलकर सड़क की लड़ाई लड़ी जाएगी। जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम और लोकेश्वरी नेताम ने चेतावनी दी सरकार आदिवासियों की हितचिंतक है तो पुलों की फाइलों पर तुरंत मंजूरी दे। वरना अबकी बार प्रदर्शन उग्र होगा। PMGSY के कार्यपालन अभियंता अभिषेक पाटकर का कहना है कई पुलों को जल्द ही जन-मन योजना के तहत वित्तीय स्वीकृति मिलने जा रही है। जो योजनाएं छूट गई हैं, उनके लिए शासन से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। सत्यप्रकाश(ईएमएस)03 नवम्बर 2025