राष्ट्रीय
05-Nov-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इंडो-पैसिफिक फोरम से चीन को इशारों ही इशारों में कड़ा संदेश दे दिया। उन्‍होंने दो टूक कहा कि इंडो-पैसिफिक रीजन को फ्री रखना अनिवार्य है, पर यह जटिल चुनौती है। इस फ्री रखने में भारत और जापान की बड़ी जिम्मेदारी बनती है। जयशंकर ने कहा कि भारत और जापान की साझेदारी कुछ दशकों में मजबूत हुई है। उन्‍होंने कहा कि अगले दस साल में 10 येन ट्रिलियन निवेश का लक्ष्य हमारी महत्त्वकांक्षा को दिखाता है। जयशंकर ने कहा कि भारत और जापान को सप्लाई चेन, एआई, सेमी कंडक्टर्स, क्रिटिकल मिनरल्स, क्लीन एनर्जी और स्पेस पर काम करना चाहिए। जयशंकर 8वें भारत-जापान हिंद-प्रशांत फोरम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने भारत और जापान के संबंधों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली पॉलिसी ग्रुप और जापान इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स को मेरी बधाई। हमारी साझेदारी, जो पिछले दशकों में पहले से कहीं अधिक एक-दूसरे पर निर्भर रही है, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता को बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर आर्थिक स्थिरता में योगदान देने का काम करती है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री ताकाइची के बीच पदभार ग्रहण करते ही हुई हालिया बातचीत इसका प्रमाण है कि दोनों इस बात को कितनी प्राथमिकता देते हैं। इजरायल के साथ संबंधों को दी मजबूती इसके पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने नई दिल्ली में अपने इजरायली समकक्ष गिडोन सार के साथ बैठक की। इस बैठक में विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और गाजा शांति योजना सहित क्षेत्र के विकास पर चर्चा हुई। मुलाकात को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में जयशंकर ने कहा था, ‘आज नई दिल्ली में इजरायल के विदेश मंत्री गिडोन सार के साथ एक शानदार बैठक हुई। विभिन्न क्षेत्रों में हमारी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर उपयोगी चर्चा हुई। आशीष दुबे / 05 नवंबर 2025