लेख
06-Nov-2025
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देश में प्रतिदिन हो रहे सड़क हादसों के कारण मानव खून से सड़कें लाल हो रही है सड़कों पर मानव के चिथडे बिखर रहे हैं यह बहुत ही चिंतनीय है। कयोंकि सड़कों पर मौत रेंग रही है लाशों के अंबार लग रहे हैं।3 नवंबर 2025 को राजस्थान के जयपुर व तेलंगाना के रंगारेडडी में बहुत ही भीषण हादसों में काफी लोगों की दर्दनाक मौतें होने से रौगटें खडे हो जाते हैं।जयपुर में तेज रफतार डंपर ने करीब एक दर्जन गाड़ियों को टक्कर मारी जिसमें करीब तेरह लोगों की मौत हो गई और दस लोग घायल हो गए। तेलंगाना के रंगारेडडी में एक सड़क हादसे में 24 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए।मिटटी से भरे डंपर ने राज्य परिवहन की बस को टक्कर मार दी डंपर की मिटटी बस के अंदर यात्रियों पर गिर गई और यात्री दब गए बस में 70 यात्री सवार थे बस में जयादातर कालेज के छात्र थे। यह बस तंदूर से हैदराबाद जा रही थी। बेशक प्रतिवर्ष सड़क हादसों को रोकने व सड़क सुरक्षा हेतू करोडों रुपया बहाया जाता है मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात ही निकलता है अगर सही तरीके से पैसा खर्चा किया जाए तो इन हादसो पर विराम लग सकता है मगर ऐसा नहीं हो रहा है हर वर्ष लाखों लोग मारे जा रहे है।देश में प्रतिदिन इतने भीषण व दर्दनाक व खौफनाक सड़क हादसे हो रहे है कि पूरे के पूरे परिवार मौत की नींद सो रहे हैं।देश के प्रत्येक राज्यों तथा महानगरों व शहरों से लेकर गांवों तक हर रोज लाशें बिछ रही है बेकसूर लोग बेमौत मारे जा रहे है।24 अक्तूबर 2025 की अल सुबह आंघ्रप्रदेश के कुरनुल जिला के चिन्नातेकुर के पास एक प्राईवेट बस व दोपहिया वाहन से टक्कर के बाद आग लग गई जिससे 22 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई बस में 44 यात्री सवार थे।18 यात्री जीवित हैं। हादसे में शव पूरी तरह जल चुके हैं उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया हे। 14 अक्तूबर 2025 को भी राजस्थान के जैसलमेर में एक बस को आग लग जाने से 22 यात्री बेमौत मारे गए थे। देश की सड़कांे पर लाशों के चिथड़े बिखर रहे हैं।लाशों के अंबार लग रहे है। आंकडो़ के अनुसार 8 जुलाई 2019 सोमबार को उतर प्रदेश के आगरा के यमुना एक्सप्रैस वे पर एक भीषण सडक हादसे में 29 लोग की दर्दनाक मौत हो गइ थी और 23 घायल हो गए थे।यह हादसा तक हुआ जब लोग गहन निंद्रां में सोए थे।यह बस एक नाले में गिरी थी ।यह बस लखनउ से दिल्ली आ रही थी।यह हादसा सुबह चार बजे के करीब हुआ था।सफर कर रहे लोगों ने सपने मे भी नहीं सोचा होगा कि यह उनका आखिरी सफर होगा।सड़क हादसे अभिशाप बनते जा रहे है।इस शाप से कब मुक्ति मिलेगी यह एक यक्ष प्रश्न है। लापरवाहियों व जानबूझकर हादसे हो रहे है।एक चालक की गलती से लोगों को मौत नसीब हो रही है।आंकडें बताते है कि सड़क दुर्घटनाओं में भारत अन्य देशों से शीर्ष पर है। हिमाचल के बंजार में भी एक बस हादसे में 45 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी।अभी इस हादसे की स्याही भी नहीं सूखी थी कि1 जुलाई 2019 को जम्मू-कश्मीर के किशतवाड़ जिले में एक मिनी बस के खडड में गिरने से 35 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।28 सीटर बस में 52 लोग सवार थे।पल भर में लाशों में तब्दील हो गए।लोगों की अकाल मौत हो गई थी।गत वर्ष1 जुलाई 2018 को एक ऐसा ही बस हादसा उतराखंड में घटित हुआ था।उतराखंड के गढवाल मंडल के पौडी जिले के नैनीडंाडा विकास खंड के पिपली भौन मोटर मार्ग पर धूमाकोट के नजदीक एक यात्रियों से भरी एक बस के 70 फुट गहरी खाई में गिर जाने से 50 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी बस में मरने वालों में 22 पुरुष तथा 17 महिलाए और आठ बच्चे शामिल थे।ऐसा ही एक भीषण हादसा पशिचिमी बंगाल में हुआ जहां 29 जनवरी 2018 को पश्चिमी बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के इस्माइलपुर में एक सरकारी बस के नदी में गिरने से 36 यात्रियों की मौत हो गई। यह बस नदी पर बनी रेलिग तोड़कर नदी में जा गिरी।9 यात्रियों ने तैर कर अपनी जान बचा ली तथा 9 लोग घायल हो गए थे।बस में 60 यात्री सफर कर रहे थे।यह दर्दनाक हादसा सुबह छह बजे के करीब हुआ। बेशक प्रतिवर्ष जनवरी माह में पूरे भारतवर्ष में सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है मगर ऐसे आयोजन औपचारिकता भर रह गए हैं। क्योकि प्रशासन द्वारा लोगों को इन सात दिनों में यातायात नियमों के बारे में बताया जाता है फिर पूरा वर्ष लोग अपनी मनमानी करते है और यातयात नियमों का उल्लंघन करते है ओैेर मौत के मुंह में समाते जा रहे हैं 2025 के पहले सप्ताह से ही लोग सड़क हादसों में मारे जा रहें है।दस महिनों में लाखोें लोग मारे जा चुके है। यह आंकड़ा बडे पैमाने पर बढता जा रहा है इसे सरकारों की लापरवाहीे की संज्ञा देना गलत नहीं होगा।हर रोज सड़क हादसों में मौते हो रही है।अक्सर देखा गया है कि ज्यादातर सड़क हादसे सर्दियों में होते है क्योकि धंुध के कारण आपसी टक्कर में दुर्घटनाएं होती हैं। पंजाब, दिल्ली व उतरप्रदेश व हिमाचल प्रदेश में धूंध के कारण दर्जनों हादसों में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। मगर राज्यांे की सरकारों को इससे कोई सरोकार नहीं है। देश के प्रत्येक राज्यों में हादसों की दर बढती जा रही है दुर्घटना के बाद मुआवजे की राशि बांटने में व समाचार पत्रों में सुखिर्यों में रहने में प्रशासन व नेता लोग आगे रहते हैं नेताओं द्वारा घड़ियाली आंसू बहाए जातें है।सड़क हादसों को रोकने के लिए एक नीति बनानी होगी।जागरुकता अभियान चलाने होगें। सरकारों को लोगों को यातयात नियमों से संबधित शिविरों का आयोजन करना चाहिए।आज करोडोें के हिसाब से वाहन पंजीकृत है मगर सही ढंग से वाहन चलाने वालो की संख्या कम है क्योकि आधे से ज्यादा लोगों को यातयात के नियमों का ज्ञान तक नहीं होता।पुलिस प्रशासन चालान काटकर अपना कर्तव्य निभा रहे है मगर चालान इसका हल नहीं है इसका स्थायी समाधान ढूंढना होगा।आज बिना हैलमैट के नाबालिग से लेकर अधेड़ उम्र के लोग वाहनो को हवा में चलाते है और दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। जानबूझकर व नशे की हालत में दुर्घटना करने वाले चालकों के लाईसैस रदद करने चाहिए। ज्यादातर हादसे में नाबालिग चालक ही मारे जाते हैं। प्रशासन की लापरवाही के कारण भी इसमें साफ झलकती है क्योकि आज फर्जी लाईसैसों के बलबूते बहुत से वाहन चालक वाहन चलाते है यदि सही तरीके से पूरी औपचारिकताएं निभा कर लाईसैंस जारी किए जाएं तो अधिकांश लोग फेल हो जाएगें कुछ लोग अपनी पहुंच के कारण लाईसैंस बनवा लेते है भले ही उन्हे गाड़ियों का ज्ञान तक नहीं होता इस बाबत प्रशासन को सख्ती बरतनी चाहिए कि चाहे कितनी भी बड़ी पहुंच वाला हो पूरें नियमों को पूरा करने के बाबजूद ही लाईसैंस जारी किया जाए। अगर ऐसा किया जाता है तो निश्चित रुप से दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है।आज ज्यादातर युवा व लोग शराब पीकर व अन्य प्रकार का नशा करकेेे वाहन चलाते है नतीजन खुद ही मौत को दावत देते हैं भले ही पुलिस यन्त्रों के माध्यम से शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कस रही है मगर फिर भी लोग नियमों का उल्लघन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। सरकार द्वारा पुलिस को दी गई हाईवे पैट्रोलिंग की गाड़ियां भी यातायात को कम करने में नाकाम साबित हो रही हैं।जयादातर हादसे ओवर स्पीड के कारण हो रहे है। बढती सड़क दुर्घटनाओें के अनेक कारण है सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि 80 प्रतिशत हादसे मानवीय लापरवाही के कारण होते हैं।लापरवाह लोग सीट बैल्ट तक नहीं लगाते और तेज रफतार में वाहन चलाते हैं।देश में सड़क हादसों में स्कूली बच्चों के मारे जाने के हादसे भी समय-समय पर होते रहते हैं मगर कुछ दिन चैक रखा जाता है फिर वही परिपाटी चलती रहती है।जबकि होना तो यह चाहिए कि इन लापरवाह चालको को सजा देनी चाहिए ताकि मासूम बेमोत न मारे जा सके। अक्सर देखा गया है कि वाहन चालकों के पास प्राथमिक चिकित्सा बाकस तक नहीं होतें ताकि आपातकालिन स्थिती में प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करवाई जा सके । प्रत्येक साल नवरात्रों में श्रध्दालू मंदिरों में ट्रको में जाते है और गाड़ियां दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है तथा मारे जाते हैं।ओबरलोडिग से भी ज्यादातर हादसे होते हैं। सरकारों को अपना दायित्व निभाना चाहिए ताकि सड़क दादसों पर पूरी तरह रोक लग सके। बेलगाम हो रहे यातायात पर लगाम लगाना सरकार व प्रशासन का कर्तव्य है लोगों को भी इसमें सहयोग करना होगा तभी इस समस्या का स्थायी हल हो सकता है यदि लोग सही तरीके से यातायात नियमों का पालन करते है तो सड़को पर हो रहे मौत के तांडव को रोका जा सकता है।सडक हादसे अभिशाप बनते जा रहे हैं।केन्द्र सरकार को इस पर गौर करना होगा तथा देश में बढ रही सड़क दुर्घटनाओ पर रोक के लिए कारगर कदम उठाने होगें। मावन जीवन को बचाना होगा क्योकि मानव जीवन दुर्लभ है।।दुर्घटनाओं का कहर बरपता रहेगा। सरकार को इन हादसों से सबक लेना चाहिए और व्यवस्था की खामियों को दूर करना चाहिए।यदि सरकारे ऐसे ही सोती रहेगी तो देश की सड़के खून से लाल होती रहेगी। (वरिष्ठ पत्रकार) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 6 नवम्बर/2025