इन्दौर (ईएमएस) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इन्दौर में बहुचर्चित शाहबानो प्रकरण पर आधारित तथा आज 7 नवम्बर को रिलीज होने वाली फिल्म हक की रिलीज पर रोक लगाने के लिए लगाई गई याचिका पर सुनवाई के बाद अपना रोका गया फैसला सुनाते याचिका को खारिज कर फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हाइकोर्ट में याचिका स्व. शाहबानो की बेटी और कानूनी वारिस सिद्दिका बेगम खान ने लगाकर फिल्म की रिलीज, प्रदर्शन और प्रमोशन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। सिद्दिका बेगम ने याचिका में कोर्ट को कहा था कि फिल्म मेकर्स ने शाहबानो पर फिल्म बनाने से पहले उनकी कानूनी वारिस से कोई अनुमति नहीं ली है। फिल्म में शरिया कानून की नकारात्मक छवि दिखाई गई है, जिससे मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हो सकती हैं। उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर सुपर्ण एस. वर्मा, जंगली पिक्चर्स, बावेजा स्टूडियोज और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के चेयरपर्सन को कानूनी नोटिस भी भेजा था। हाईकोर्ट ने 4 नवंबर को याचिका पर दो घंटे सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसे आज इस टिप्पणी के साथ जारी किया कि यह किसी की निजता का हनन नहीं है। 4 नवंबर को हाईकोर्ट में हुई दो घंटे सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सिद्दीका बेगम की ओर से एडवोकेट तौसीफ वारसी, जंगली पिक्चर की ओर से सीनियर एडवोकेट अजय बागडिया, इंसोमनिया मीडिया एंड कंटेट सर्विसेज लिमिटेड की ओर से हितेश मेहता और मिनिस्ट्री ऑफ ब्रॉडकास्ट की ओर से एडवोकेट रोमेश दवे उपस्थित हुए थे। बता दें कि 4 नवंबर को याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट तौसीफ वारसी ने तर्क रखते हुए कोर्ट को कहा था कि फिल्म के टीजर और ट्रेलर में कुछ ईवेंट्स ऐसे दिखाए हैं, जो मेरी मुवक्किल की मां की प्रतिष्ठा, सम्मान को धूमिल करते हैं। इसमें डायलॉग के कुछ वर्जन खराब और आपत्तिजनक हैं। वास्तविक जिंदगी में उनके माता-पिता के बीच ऐसे संवाद कभी नहीं रहे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि फिल्म के निर्माता का कहना है कि शाहबानो बेगम ने संघर्ष किया था। खासकर महिला होकर, जबकि उस समय महिला सशक्तिकरण इतना मजबूत नहीं था, जितना आज है। शाहबानो ने पति से अधिकार की लड़ाई लड़ी। धर्म के पहलू का ध्यान रखा और कोर्ट से खुद का अधिकार हासिल किया। फिल्म के डायलॉग परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करते हैं, वह भी तब जब शाहबानो इस दुनिया में नहीं हैं। याचिकाकर्ता के एडवोकेट वारसी ने कोर्ट से यह भी कहा था कि यह फिल्म शाहबानो के जीवन और 1970 के दशक में महिलाओं के अधिकारों को लेकर चले ऐतिहासिक मुकदमे पर आधारित है, लेकिन इसमें बिना अनुमति तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। उनकी मुवक्किल सिद्दिका बेगम के पास अपनी मां शाहबानो के जिंदगी के मोरल और लीगल अधिकार सुरक्षित हैं। याचिका पर जवाब देते कोर्ट सुनवाई में जंगली पिक्चर की ओर से सीनियर एडवोकेट अजय बागड़िया और इंसोमनिया मीडिया एंड कंटेंट सर्विसेज लिमिटेड की ओर से हितेश मेहता ने तर्क रखे थे कि फिल्म के डायलॉग में कुछ आपत्तिजनक नहीं है। न ही परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने जैसी बात है। ईवेंट्स अच्छे नजरिए और बेहतर तरीके से फिल्माया है। एडवोकेट ऋतिक गुप्ता और अजय बगड़िया ने कोर्ट के समक्ष यह भी दलील दी थी कि फिल्म एक काल्पनिक कथा पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। कोर्ट ने करीब दो घंटे दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे आज जारी करते फिल्म निर्माता और वितरण कंपनी की ओर से दिए गए तर्कों पर सहमति जताते हुए याचिका को खारिज कर फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। ज्ञात हो कि फिल्म में यामी गौतम और इमरान हाशमी मुख्य किरदार में हैं। इसका टीजर रिलीज कर दिया गया था। आनन्द पुरोहित/ 06 नवंबर 2025