चंडीगढ़ (ईएमएस)। पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह ने कहा कि कोच के तौर पर वह किसी खिलाड़ी पर दबाव बनाने की जगह पर उसकी सोच को ही महत्व देते हैं क्यों सभी के हालात अलग-अलग होते हैं। जिन्हें समझना ज़रूरी होता है। युवराज ने कहा कि जब मैं 19 साल का था तब मुझे मानसिक रूप से कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि आज जब वह युवा खिलाड़ियों को कोचिंग देने का काम करते हैं, तो उन्हें अपनी पुरानी यादें याद आती हैं, इसलिए वह उनके हालात समझते है। वह कहते हैं, मैं जानता हूं कि इस उम्र में खिलाड़ी के दिमाग में क्या चलता है। इसलिए पहले सुनो, फिर सिखाओ। मैं एक प्रकार से उनका मैटोर बनकर काम करता हुं जो उन्हें सही राह दिखाये। युवराज ने कहा कि कोच का काम सिर्फ तकनीक सिखाना नहीं है, बल्कि खिलाड़ी के मनोबल को मजबूत करना भी है। उन्होंने बताया कि क्रिकेट में मानसिक मजबूती भी बेहद जरुरी है। इसलिए वह चाहते हैं कि हर खिलाड़ी मैदान में सहज और आत्मविश्वासी महसूस करे। युवराज ने कहा कि असली कोचिंग तब होती है जब खिलाड़ी स्वंय अपनी गलतियों को पहचानना सीख जाए। युवराज ने स्वीकार किया कि उनके पिता योगराज सिंह बेहद सख्त कोच रहे हैं। उन्होंने कभी हार या ढिलाई को बर्दाश्त नहीं किया। लेकिन युवराज ने कहा कि उन्होंने अपने पिता से अनुशासन तो सीखा, मगर अपने तरीके में भावनात्मक जुड़ाव और सहजता जोड़ी। जिससे खिलाड़ी खेल का आनंद लें और खुद सोचें उन्होंने कहा। गिरजा/ईएमएस 07 नवंबर 2025