यरूशलेम,(ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि मध्य एशिया का मुस्लिम-बहुल देश कजाकिस्तान अब्राहम समझौते में शामिल होने जा रहा है। यह उनके दूसरे कार्यकाल में इस शांति पहल से जुड़ने वाला पहला देश है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, मैंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कसीम-जोमार्ट तोकायेव के बीच एक शानदार बातचीत की सुविधा प्रदान की। कजाकिस्तान मेरे दूसरे कार्यकाल का पहला देश है जो अब्राहम समझौते में शामिल हो रहा है। ट्रंप ने इसे वैश्विक सेतु निर्माण की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा, अब्राहम समझौते के माध्यम से कई और देश शांति व समृद्धि की राह पर कतार में खड़े हैं। हम जल्द ही एक भव्य हस्ताक्षर समारोह की घोषणा करेंगे। राष्ट्रपति ने खुलासा किया कि वे अन्य देशों के साथ भी इस गठबंधन में शामिल करने के लिए सक्रिय वार्ता कर रहे हैं। उनका जोर है कि स्थिरता और विकास के लिए देशों को एकजुट करने में अभी लंबा सफर बाकी है, लेकिन वास्तविक परिणाम अब सामने आ रहे हैं। अब्राहम समझौता ट्रंप की पहली राष्ट्रपति पदावधि की सबसे बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि मानी जाती है। 2020 में शुरू हुई इस पहल का नाम यहूदी, ईसाई और इस्लाम के साझा अब्राहम के सम्मान में रखा गया। इसका उद्देश्य इजरायल और अरब-मुस्लिम देशों के बीच सदियों पुरानी शत्रुता को समाप्त कर मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करना था। फिलिस्तीन मुद्दे पर गहरे मतभेदों के बावजूद, ट्रंप की मध्यस्थता में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने सबसे पहले इजरायल के साथ राजनयिक संबंध बहाल किए। इसके बाद बहरीन, सूडान और मोरक्को ने भी समझौते में प्रवेश किया। इन देशों ने इजरायल में दूतावास खोलने, व्यापारिक समझौते करने और पर्यटन को बढ़ावा देने पर सहमति जताई। इससे क्षेत्र में आर्थिक सहयोग की नई संभावनाएं खुलीं। हालांकि, गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों ने समझौते की गति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला और पिछले कुछ वर्षों में इसमें कोई नया सदस्य नहीं जुड़ा। कजाकिस्तान का शामिल होना इस ठहराव को तोड़ने वाला कदम है। 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाला यह देश इजरायल के साथ लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध रखता रहा है। दोनों देशों के बीच ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और कृषि क्षेत्रों में सहयोग पहले से मौजूद है। अब्राहम समझौते में कजाकिस्तान की औपचारिक भागीदारी से यह संबंध और मजबूत होंगे तथा मध्य एशिया में इजरायल की पहुंच बढ़ेगी। ट्रंप की इस घोषणा से मध्य पूर्व और मध्य एशिया में शांति की नई लहर की उम्मीद जागी है। विशेषज्ञों का मानना है कि कजाकिस्तान का कदम अन्य मुस्लिम देशों, विशेषकर मध्य एशियाई गणराज्यों, के लिए प्रेरणा बन सकता है। आधिकारिक हस्ताक्षर समारोह की तारीख तय होने पर इस समझौते को नई वैश्विक मान्यता मिलेगी। ट्रंप का दावा है कि उनका विजन क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि की दिशा में क्रांतिकारी साबित होगा। वीरेंद्र/ईएमएस/08नवंबर2025 -----------------------------------