अंतर्राष्ट्रीय
09-Nov-2025
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बीजिंग (ईएमएस)। एक खुफिया रिपोर्ट सामने आई है। इसमें दावा किया गया है कि चीन ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के साथ किसी भी संभावित संघर्ष से निपटने के लिए अपनी तैयारी को रॉकेट की रफ्तार दे दी है। रिपोर्ट के मुताबिक सैटेलाइट इमैज और मैप के विश्लेषण के जरिए यह निष्कर्ष निकाला गया है। बता दें कि एक तरफ अमेरिका ने फिर से परमाणु परीक्षण करने की घोषणा की है तो दूसरी तरह रूस ने परमाणु हथियार दागने वाली दुनिया की सबसे ताकतवर मिसाइल का परीक्षण किया है। अब इस खेल में चीन भी उतर गया है। उसने ऐसे-ऐसे हथियारों का परीक्षण शुरू किया है जो किसी रक्त बीज से कम नहीं हैं। इनके हमले से दुनिया पूरी तरह तबाह हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपनी सैन्य ताकत को और मजबूत करने के लिए मिसाइल उत्पादन सुविधाओं का तेजी से विस्तार कर रहा है। इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में किसी भी संभावित संघर्ष में अमेरिकी सेना को रोकना है। विश्लेषण से पता चला है कि चीन की मिसाइल उत्पादन से जुड़ी 136 सुविधाओं में से 60 फीसदी से अधिक का विस्तार किया जा रहा है। इन सुविधाओं में कारखाने, अनुसंधान केंद्र और परीक्षण केंद्र शामिल हैं, जिनका क्षेत्रफल 2020 की शुरुआत से 2025 के अंत तक 20 लाख वर्ग मीटर से अधिक बढ़ गया है। सैटेलाइट तस्वीरों में इन स्थलों पर नए टावर, बंकर और मिट्टी की दीवारें दिखाई दिए हैं, जो हथियार विकास के अनुरूप हैं। इसके पूर्ववर्ती मॉडल की रेंज 12,000 किलोमीटर से अधिक थी और यह कई वॉरहेड ले जाने में सक्षम था। इसके अलावा साइलो-आधारित डीएफ-5सी मिसाइल का नवीनतम संस्करण भी प्रदर्शित किया गया, जिसकी रेंज 20,000 किलोमीटर तक होने का अनुमान है। परेड में जेएल-1 हवा से लॉन्च होने वाली लंबी दूरी की मिसाइल और जेएल-3 समुद्र से लॉन्च होने वाली मिसाइल भी दिखाई गईं, जो दोनों ही परमाणु-सक्षम हैं। इसके साथ ही पहली बार वाईजे-15, वाईजे-17, वाईजे-19 और वाईजे-20 एंटी-शिप मिसाइलों का प्रदर्शन किया गया, जो सभी लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम हैं। परेड में इनकमिंग एंटी-शिप मिसाइलों को रोकने के लिए बनाई गई एचक्यू-16सी और एचक्यू-10ए मिसाइलें भी प्रदर्शित की गईं। इसके अलावा जे-35 स्टील्थ मल्टीरोल फाइटर का विमानवाहक संस्करण भी पहली बार पेश किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का मिसाइल उत्पादन में यह विस्तार क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है। कुछ मामलों में मिसाइल के हिस्से भी इन तस्वीरों में स्पष्ट रूप से देखे गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह कदम ताइवान पर किसी भी संभावित हमले में मिसाइलों की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। ताइवान एक स्व-शासित द्वीप है, जिसे बीजिंग अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है। पिछले सितंबर में चीन ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में बीजिंग में आयोजित एक सैन्य परेड में अपनी नई मिसाइलों का प्रदर्शन किया था। इस परेड में परमाणु-सक्षम मिसाइलों में डीएफ-61 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) को प्रदर्शित किया गया, जिसे मोबाइल लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म से दागा जा सकता है। वीरेंद्र/ईएमएस 09 नवंबर 2025