अंतर्राष्ट्रीय
09-Nov-2025
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तेल अवीव,(ईएमएस)। अमेरिका और सऊदी अरब के बीच एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते की तैयारी चल रही है, जिसने पूरे पश्चिम एशिया की राजनीतिक और सैन्य हलचल को बढ़ा दिया है। अमेरिकी प्रशासन सऊदी अरब को 48 एफ-35 लाइटनिंग II स्टील्थ फाइटर जेट्स बेचने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रहा है। यह वही विमान हैं जिन्हें दुनिया का सबसे उन्नत लड़ाकू जेट माना जाता है, और जो अब तक केवल इजरायल के पास हैं। पेंटागन ने अरबों डॉलर के इस सौदे को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। अगर सब कुछ तय कार्यक्रम के अनुसार हुआ, तो सऊदी अरब एफ-35 खरीदने वाला पहला अरब देश बन जाएगा। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इस महीने के अंत में अमेरिका दौरे पर जाने वाले हैं, जहां यह डील ट्रंप प्रशासन के साथ अंतिम चरण में पहुंच सकती है। यह डील मई 2025 में ट्रंप प्रशासन द्वारा सऊदी अरब को दिए गए 142 अरब डॉलर के डिफेंस पैकेज के बाद सबसे बड़ा कदम होगी। उस पैकेज में वायु रक्षा, मिसाइल शील्ड और नौसेना आधुनिकीकरण शामिल थे, लेकिन एफ-35 को उससे बाहर रखा गया था। अब यह प्रस्ताव सामने आने से अमेरिकी नीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इजरायल की चिंता क्यों बढ़ी? इजरायल अब तक मध्य पूर्व का एकमात्र देश है जिसके पास एफ-35 जेट हैं। वह इसका विशेष संस्करण एफ-35I ‘एडिर’ संचालित करता है, जिसे उसकी रणनीतिक जरूरतों के अनुसार संशोधित किया गया है। इजरायल ने पहले ही 75 से ज्यादा एफ-35 विमान खरीद लिए हैं और इन्हें ईरान के खिलाफ अभियानों में इस्तेमाल भी किया है। इजरायल की सैन्य बढ़त सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका ने वर्षों से यह नीति अपनाई है कि किसी भी अरब देश को उसके बराबर या उससे उन्नत हथियार न दिए जाएं। इसलिए, सऊदी अरब को एफ-35 देने की संभावना ने इजरायली सुरक्षा प्रतिष्ठान को चिंतित कर दिया है। इजरायल की सुरक्षा को खतरा जेरूसलम मीडिया के मुताबिक, इजरायल के डिफेंस अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर सऊदी को एफ-35 मिल गया और उसकी तकनीक रूस, चीन या ईरान तक पहुंच गई, तो यह इजरायल की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा होगा। कुछ अधिकारियों ने खुलासा किया कि इजरायल ने इस डील को रोकने के लिए अमेरिकी कांग्रेस में लॉबिंग भी शुरू कर दी है। क्या सऊदी से ‘अब्राहम समझौते’ की शर्त जुड़ी है? रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका यह डील एक कूटनीतिक समझौते से जोड़ सकता है, यानी सऊदी अरब को एफ-35 तभी मिलेगा जब वह इजरायल के साथ संबंध सामान्य करने पर सहमत होगा। इससे पहले बाइडेन प्रशासन भी ऐसी ही शर्त पर विचार कर चुका था। हालांकि, सऊदी अरब ने साफ कहा है कि जब तक इजरायल फिलिस्तीन के लिए दो-राष्ट्र समाधान पर सहमत नहीं होता, वह सामान्यीकरण की दिशा में नहीं बढ़ेगा। 2023 में सऊदी-इजरायल समझौते की कोशिशें लगभग सफल हो चुकी थीं, लेकिन हमास-इजरायल युद्ध के बाद यह प्रक्रिया रुक गई। सऊदी की वायुसेना पहले से ही मजबूत सऊदी रॉयल एयर फोर्स इस समय एफ-15एसए, यूरोफाइटर टाइफून और टॉरनेडो जैसे एडवांस जेट संचालित करती है। लेकिन ईरान और क्षेत्रीय खतरों को देखते हुए वह पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर्स से अपनी क्षमताएं और बढ़ाना चाहती है। ऐसे में यदि यह डील साइन हो जाती है, तो न सिर्फ अरब दुनिया में सऊदी की ताकत बढ़ेगी, बल्कि पश्चिम एशिया का सैन्य संतुलन भी बदल जाएगा। यही वजह है कि वॉशिंगटन से लेकर जेरूसलम तक इस संभावित समझौते को लेकर बेचैनी और उत्सुकता दोनों देखी जा रही है। हिदायत/ईएमएस 09 नवंबर 2025