:: बनी बिहार की सबसे कम उम्र की विधायिका :: बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा गया है और इस अध्याय की नायिका हैं लोकगायिका मैथिली ठाकुर, जिन्होंने बिहार की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा के अली नगर विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर राज्य की सबसे युवा विधायक बनने का अद्भुत कीर्तिमान रचा है। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के विनोद मिश्रा को 11,730 वोटों से हराकर न सिर्फ बीजेपी को 2008 के बाद इस सीट पर पहली जीत दिलाई, बल्कि यह भी साबित किया कि नई पीढ़ी अब केवल दर्शक नहीं, बल्कि परिवर्तन की वाहक बनकर मैदान में उतर चुकी है। :: संघर्ष की जमीन से उठी एक जननायिका :: साल 2000 में दरभंगा में जन्मी मैथिली ठाकुर का बचपन बिहार के उस दौर में बीता जिसे लोग आज भी ‘जंगल राज’ के नाम से याद करते हैं। उनका परिवार बेहतर जीवन और अवसरों की तलाश में मधुबनी के अपने गांव से दिल्ली चला गया। आर्थिक तंगी, सीमित संसाधन और संघर्ष - इन तमाम मुश्किलों के बीच भी मैथिली ने अपनी संगीत कला को नहीं छोड़ा। लोकगीतों में उनकी पकड़, मधुर आवाज़, और मंच पर उनकी जीवंत प्रस्तुति ने उन्हें धीरे-धीरे राष्ट्रीय पहचान दिलाई। 2020 के दशक की शुरुआत में रियलिटी शो से मिली ख्याति ने उन्हें घर-घर तक पहुंचाया। 2023 में संगीत में योगदान के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ने उनके नाम के साथ एक नई प्रतिष्ठा जोड़ दी। :: सुरों से सदन तक - एक अनोखी यात्रा :: राजनीति में उनका प्रवेश अप्रत्याशित जरूर था, पर अस्वाभाविक नहीं। युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा देने की अपनी रणनीति के तहत बीजेपी ने मैथिली को अली नगर से चुनाव मैदान में उतारा - एक ऐसा क्षेत्र जिसे महागठबंधन का अभेद्य गढ़ माना जाता रहा है। चुनावी सफर आसान नहीं था। विरोधियों ने उन्हें ‘बाहरी’ कहकर हमला बोला, सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाई गईं। पर मैथिली ने संयम नहीं छोड़ा, न तीखी प्रतिक्रियाएँ, न आरोपों की राजनीति। उन्होंने अपनी जनसभाओं में विकास, महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा सुधार और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को केन्द्र बिंदु में रखा। उन्होंने घोषणा की कि जीतने पर अली नगर का नाम बदलकर “सीता नगर” करेंगी; मिथिला की सांस्कृतिक अस्मिता को पुनर्स्थापित करने का यह संदेश युवाओं और महिलाओं में तेजी से लोकप्रिय हुआ। मैथिली का अपने विधान सभा के युवाओं के रोजगार , संगीत, सांस्कृतिक धरोहर, और आधुनिक शिक्षा को बढ़ाबा देने का अभियान न सिर्फ युवाओं को, बल्कि पूरे मिथिला क्षेत्र को प्रेरित करता रहा।अब मतदान का परिणाम आने के साथ ही यह साफ हो गया कि जनता ने इस युवा और ऊर्जावान नेतृत्व पर भरोसा जताया है। यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व पर जनता के विश्वास की भी पुनर्पुष्टि है। पर उससे भी अधिक, यह उस बदलाव की शुरुआत है जिसमें बिहार की बेटियां अब नेतृत्व की कमान संभालने आगे आ रही हैं। :: मिथिला से बिहार तक - महिला सशक्तिकरण की नई पहचान :: मैथिली ठाकुर सिर्फ एक विधायक नहीं, बल्कि लाखों महिलाओं की आकांक्षाओं की प्रतीक बनकर उभरी हैं। जिस राज्य में कभी राजनीति पुरुष-प्रधान मानी जाती थी, वहाँ उनकी जीत संदेश देती है कि प्रतिभा, ईमानदारी और मेहनत हर बाधा को पार कर सकती है। :: भविष्य की राजनीति में एक नई आवाज़ :: इंडियन आइडल में अस्वीकृति से लेकर बिहार विधानसभा के सदन तक की यात्रा; यह कहानी सिर्फ मैथिली की नहीं, हर उस युवा की है जो सपने देखने और उन्हें पाने का साहस रखता है। मिथिला की यह बेटी अब बिहार की राजनीति में नई तान छेड़ चुकी है - विकास की, उम्मीदों की, और सांस्कृतिक गौरव की। आने वाले वर्षों में वह किस ऊंचाई तक जाती हैं, यह समय बताएगा, पर फिलहाल इतना तय है - बिहार की राजनीति में बदलाव की हवा चल चुकी है, और इस हवा में मैथिली ठाकुर की आवाज़ सबसे ऊंची, सबसे साफ़ सुनाई दे रही है। ईएमएस/15 नवम्बर 2025