उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी ने अपने संगठन में बदलाव किया है । पार्टी ने उत्तराखंड में बड़ा बदलाव करते हुए गणेश गोदियाल को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का एक बार फिर अध्यक्ष नियुक्त किया है। पार्टी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया है।इसके अलावा पार्टी ने पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत को चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इन नियुक्तियों को स्वीकृति प्रदान की है।गणेश गोदियाल ने करण महारा का स्थान लिया है।करण महारा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से मुक्त किए जाने के बाद कांग्रेस कार्य समिति का विशेष आमंत्रित सदस्य नियुक्त किया गया है। गोदियाल दो बार उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य रहे हैं। वह सन 2012 के विधानसभा चुनाव में पौड़ी गढ़वाल जिले की श्रीनगर विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे।उत्तराखंड के लिए पार्टी ने नया प्रभारी भी नियुक्त किया है। मनोज यादव अब उत्तराखंड कांग्रेस के नए प्रभारी बनाये गए है। इसके साथ ही प्रदेश में 27 नए जिलाध्यक्षों की भी घोषणा की गई है। अल्मोड़ा से भूपेंद्र सिंह भोज, बागेश्वर से अर्जुन चंद्र भट्ट, देहरादून सिटी से डॉ. जसविंदर सिंह गोगी, हरिद्वार से बलेश्वर सिंह, रुद्रप्रयाग से कुलदीप कंडारी और टिहरी से मुरारी लाल खंडवाल को अध्यक्ष बनाया गया।सन 2017 और सन 2022 के विधानसभा चुनाव और सन 2024 के लोकसभा चुनाव में गोदियाल हार गए थे। जुलाई 2021 में भी वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने थे, लेकिन सन 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था और महारा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी।उत्तराखंड कांग्रेस में जिला और महानगर कमेटी के गठन के बाद कही कही बगावत भी हो गई है। पूर्व कैबिनेट मंत्री तिलक राज बेहड़ के बेटे समेत 12 पार्षदों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। इन पार्षदों ने सर्च कमेटी के निर्णयों पर सवाल उठाए है और कांग्रेस द्वारा की गई रायशुमारी को नाटकबाजी करार दिया है। उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस को नुकसान होगा।उन्होंने सर्च कमेटी के निर्णयों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब मनोनयन ही करना था तो रायशुमारी क्यों की गई?उधम सिंह नगर कांग्रेस का अध्यक्ष फिर से हिमांशु गाबा को बनाया गया है। कांग्रेस महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा को हटाकर कांग्रेस की महिला कार्यकर्ता ममता रानी को रुद्रपुर शहर की कमान सौंपी गई है। जिसके बाद कांग्रेस के 12 पार्षदों ने पार्टी की सदस्य्ता से इस्तीफा देने की बात कही है।कांग्रेस पार्षदों ने सिटी क्लब में प्रेस वार्ता कर बताया कि पहले ही कांग्रेस की चुनाव में काफी हालत खराब हैं,अब फिर से अध्यक्ष रिपीट करना कार्यकर्ताओ का अपमान है।पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि इस संगठन सृजन में हम बहुत अच्छी संख्या में, जिलों में ब्राह्मण वर्ग से आने वाले नौजवानों को जिम्मेदारी पर दे सकेंगे। हरीश रावत के इस बयान से नए सियासी समीकरणों को लेकर भी बहस छिड़ गई है। पहली बार कांग्रेस खुलकर ब्राह्मण वर्ग को ज्यादा जिम्मेदारी देने की बात कर रही है। ऐसे में इसे कांग्रेस की नई सोच का परिणाम माना जा रहा है। क्या 2027 में कांग्रेस ब्राह्मण वर्ग को अधिक तवज्जो देने जा रही है, या कांग्रेस के अंदर बड़े पदों पर ब्राह्मण वर्ग का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। कांग्रेस में नारायण दत्त तिवारी और विजय बहुगुणा ब्राह्मण वर्ग से सीएम रह चुके हैं। जबकि ठाकुर के रूप में हरीश रावत को मौका मिला था। उत्तराखंड में ब्राह्मण और ठाकुर की सियासत में संतुलन बिठाया जाता रहा है। जब ब्राह्मण सीएम हो तो ठाकुर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है और जब ठाकुर सीएम हो तो ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है।ब्राह्मण वर्ग में गणेश गोदियाल और किशोर उपाध्याय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं। हालांकि किशोर अब भाजपा में हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत अपने एक बयान में कहते हैं सनातन, कांग्रेस और ब्राह्मण इन तीनों का मेल है। इनके मेल का जब भी संयोग बना है इसने देश को मजबूत किया है। संगठन में बदलाव से पहले ही उन्होंने इशारों में बता दिया था कि कांग्रेस ब्राह्मण वर्ग का खासा ख्याल रखने वाली है।सन 2017 से सन 2022 के बीच ठाकुर मतदाताओं का झुकाव बीजेपी की तरफ रहा है।सन 2017 में जहां भाजपा को लगभग 53प्रतिशत ठाकुर वोट मिला था, सन 2022 में यह बढ़कर 60 प्रतिशत पर पहुंच गया। दूसरी ओर कांग्रेस का हिस्सा 29प्रतिशत से घटकर 26प्रतिशत रह गया।ब्राह्मण वोट बैंक में तो बदलाव और भी तेज रहा। सन 2017 में भाजपा को इस समुदाय से 52प्रतिशत वोट मिला था, जो सन 2022 में बढ़कर 63प्रतिशत तक पहुंच गया, यानी सीधे 11प्रतिशत की छलांग लगाई। इसके मुकाबले कांग्रेस का वोट शेयर 28प्रतिशत से गिरकर 26प्रतिशत रह गया।इसके उलट दलित समुदाय में कांग्रेस का ग्राफ ऊपर गया है। भाजपा का दलित वोट शेयर सन 2017 के 37प्रतिशत से गिरकर सन 2022 में 26प्रतिशत रह गया, जबकि कांग्रेस का समर्थन बढ़ा है।उत्तराखंड में ठाकुर (35प्रतिशत) और ब्राह्मण (25प्रतिशत) मिलाकर कुल 60प्रतिशत सवर्ण वोट शेयर बनाते हैं, जबकि बाकी सभी वर्ग- अल्पसंख्यक (16प्रतिशत), एसटी-ओबीसी (18.9प्रतिशत) और एससी (2.81प्रतिशत) सिर्फ 40प्रतिशत हैं।तभी तो अभी तक हर मुख्यमंत्री भी इन्हीं दो वर्गों से बने हैं।(लेखक राजनीतिक चिंतक वरिष्ठ साहित्यकार है) (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 18 नवम्बर/2025