लेख
18-Nov-2025
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आज 19 नवंबर से 25 नवंबर तक पूरी दुनिया विश्व विरासत सप्ताह मनाने वाली है। इसका उद्देश्य हमारी सांस्कृतिक विरासत और स्मारकों की रक्षा के लिए लोगों को जागरूक करना है। इस सप्ताह में हम अपनी संस्कृति और परंपराओं के महत्व को समझते हैं और उन्हें बचाने का संकल्प लेते हैं। विश्व धरोहर सप्ताह भारत सरकार द्वारा पूरे भारत में विरासत स्थलों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए आयोजित की जाने वाली संवर्धन गतिविधियों का एक हिस्सा है। इसमे हमारे देश की भूमिका क्या है आज इसका अध्ययन करेंगे। भारत एतिहासिक विविधताओं और गहन इतिहास का घर है। यहाँ के लोगों को अपनी समृद्ध विरासत के संरक्षक होने पर गर्व है जो शेष विश्व को आकर्षित करती है। भारत की राष्ट्रीय विरासतें इतनी महत्वपूर्ण है कि भारत को एक देश और उसके नागरिकों की सोच को भी परिभाषित करती है। आज दुनिया बहुत आधुनिक हो गई है, लेकिन हमारा आगरा का ताजमहल पूरी दुनिया में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, वहीँ खुद दुनिया का आठवां अजूबा बना हुआ है तो खजुराहो की मूर्ति कला एवं मंदिर भारत के गौरवपूर्ण अतीत की कहानी सुनाते हैं। पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण अगर भारत की विरासतों का दर्शन किया जाए तो पूरी दुनिया देखने का बोध होता है क्योंकि भारत में रेगिस्तान, बर्फ, समुन्दर, मैदान, पहाड़ सबकुछ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, और यही भारत की सुन्दरता है। विरासत देश की जान होती हैं क्योंकि विरासत किसी भी राष्ट्र की पहचान, संस्कृति और इतिहास का प्रतीक होती है। यह भौतिक और सांस्कृतिक संपत्तियों के रूप में होती है, जो हमें हमारे पूर्वजों से मिलती है और हमारी संस्कृति को आकार देती है। यह हमें हमारे मूल्यों और परंपराओं की याद दिलाती है। विरासतें हमारी संस्कृति और पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमें यह समझने में मदद करती है कि हम कौन हैं और हमारे पूर्वज कौन थे। भारतीय विरासत में विविध खान-पान, वस्त्र, वास्तुकला, संगीत और कला शामिल हैं, जो भारत को एक अनूठी पहचान देते हैं। हमारी विरासतें अतीत की ओर इशारा करती हैं, और समाज के विकास के बारे में बताती है। यह हमें इतिहास और परंपराओं का अध्ययन करने में मदद करती है, जिससे हम भविष्य के लिए सीख सकते हैं। हमारी विरासतें सांस्कृतिक पूंजी के रूप में भी काम करती है, जो आर्थिक लाभ पहुंचा सकती है, जैसे कि पर्यटन के माध्यम से। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ज्ञान और मूल्यों को पहुँचाने का एक जरिया भी है। पश्चिम के बहुत से देशों ने अपनी विरासतों को बहुत सुन्दर ढंग से संभाल रखा है जिससे उनकी अर्थव्यवस्था की गाड़ी सरपट दौड़ रही है, पूरी दुनिया को सीखना चाहिए, ख़ासकर भारत को भी सीखना चाहिए कि अपनी विरासतों को कैसे संभालते हैं। अगर देखा जाए तो भारत में लगभग 3691 स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित हैं और इनमें से लगभग 143 स्थलों और स्मारकों पर टिकट लगते हैं। वर्तमान में, उत्तर प्रदेश में एएसआई संरक्षित स्मारकों की सबसे अधिक संख्या ( 745 ) है। भारत भर में 40 विरासत स्थलों को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें 32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित स्थल शामिल हैं। हाल ही में यूनेस्को विश्व धरोहर समिति ने काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर, तेलंगाना और धोलावीरा: एक हड़प्पा शहर, गुजरात को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है। वर्तमान में महाराष्ट्र में 5 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जो सभी भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक है। कुलमिलाकर हमारा देश स्मारकों, विरासतों को लेकर दुनिया के अग्रणी देशों में आता है, वहीँ और बेहतर ढंग से अपनी विरासतों को पर्यटन से जोड़ने की आवश्यकता है। विश्व धरोहर सप्ताह हमें यह सिखाता है कि हमारी सांस्कृतिक संपदा केवल पत्थर‑पत्थर नहीं, बल्कि हमारे इतिहास, पहचान और भविष्य की आशा है। जब हम ताजमहल की चमक, खजुराहो की नक्काशी, धोलावीरा की प्राचीन सभ्यता और काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर की अद्भुत शिल्पकला को संरक्षित करते हैं, तो हम न केवल अपनी विरासत को बचाते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार, पर्यटकों को आकर्षित करने वाले अवसर और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देते हैं। आइए, इस सप्ताह के अवसर को हाथ में लेकर हर नागरिक, हर संस्था और सरकार मिलकर यह संकल्प लें कि हमारे धरोहर स्थल सुरक्षित रहें, उनका उचित रख‑रखाव हो और वे आने वाली पीढ़ियों तक अपनी कहानी सुनाते रहें। तभी हम वास्तव में कह सकते हैं कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर विश्व के लिए एक उज्ज्वल प्रकाश है। (लेखक पत्रकार हैं) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) ईएमएस / 18 नवम्बर 25