राष्ट्रीय
20-Nov-2025
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-खुलासा: दूर हो रहे हैं दो महाद्वीप...चौड़ी हो रही स्वेज नहर नई दिल्ली,(ईएमएस)। पृथ्वी की सतह हमेशा बदलती रहती है। कभी-कभी ये बदलाव बहुत धीमे होते हैं, लेकिन वे बहुत बड़े असर डालते हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाली खोज की है। स्वेज की खाड़ी जो अफ्रीका और एशिया महाद्वीपों को अलग करती है। अब भी धीरे-धीरे चौड़ी हो रही है। वैज्ञानिक पहले सोचते थे कि यह प्रक्रिया 50 लाख साल पहले रुक गई थी, लेकिन अब पता चला है कि ऐसा नहीं है। स्वेज की खाड़ी लाल सागर का उत्तरी हिस्सा है। यह मिस्र देश में है और स्वेज नहर इससे जुड़ी है। करीब 2.8 करोड़ साल पहले अरब टेक्टॉनिक प्लेट अफ्रीकी प्लेट से अलग होना शुरू हुई। इससे पृथ्वी की सतह फटने लगी और खाड़ी बनने लगी। ऐसी फटने वाली जगहों को रिफ्ट कहते हैं। रिफ्ट से नए महासागर बनते हैं। उदाहरण के लिए लाल सागर अब भी चौड़ा होकर नया महासागर बन रहा है, लेकिन स्वेज की खाड़ी के बारे में पुरानी सोच थी कि 50 लाख साल पहले यह रिफ्ट रुक गया था। इसलिए यह सिर्फ एक खाड़ी बनी रही, महासागर नहीं बनी। इसे असफल रिफ्ट कहा जाता था। 3 नवंबर 2025 को जर्नल में एक नया रिसर्च पब्लिश हुआ। वैज्ञानिकों ने बताया कि स्वेज का रिफ्ट कभी पूरी तरह रुका ही नहीं। यह सिर्फ बहुत धीमा हो गया है। अब भी यह हर साल करीब 0.5 मिलीमीटर चौड़ा हो रहा है। यह कम लगता है, लेकिन लाखों सालों में यह बड़ा बदलाव ला सकता है। शोध के मुख्य लेखक डेविड फर्नांडेज़-ब्लैंको हैं। वे चीन की चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा शोध बताता है कि रिफ्ट की कहानी सिर्फ दो तरह की नहीं होती – या तो सफल या पूरी तरह असफल। बीच का रास्ता भी है– रिफ्ट धीमा हो सकता है, लेकिन चलता रहता है। वैज्ञानिकों ने खाड़ी के 300 किलोमीटर लंबे इलाके का अध्ययन किया। उन्होंने ये चीजें देखीं... खाड़ी के किनारों पर पुरानी मूंगे की चट्टानें समुद्र स्तर से ऊपर उठ गई हैं। कुछ जगहों पर ये 18-20 मीटर ऊंची हैं। यह इसलिए क्योंकि जमीन ऊपर उठ रही है। नदियों के रास्ते और पहाड़ों की आकृति ऐसी है जो सिर्फ कटाव से नहीं बन सकती। यह टेक्टॉनिक हलचल से हो रही है। 50 लाख साल पहले प्लेटों की दिशा बदल गई है। अफ्रीकी और अरब प्लेटों के बीच नई सीमा डेड सी के पास बनने लगी। इससे स्वेज की खाड़ी में खिंचाव कम हो गया, लेकिन पूरी तरह बंद नहीं हुआ। यह अमेरिका के पश्चिमी हिस्से की तरह धीरे-धीरे फैल रहा है, जहां पहाड़ और घाटियां बन रही हैं। पहले सोचा जाता था कि यह इलाका शांत है। अब पता चला कि यहां बड़े भूकंप आने की संभावना ज्यादा है। लोगों और इमारतों के लिए सावधानी बरतनी होगी। डेविड फर्नांडेज़-ब्लैंको ने कहा कि पृथ्वी के टेक्टॉनिक सिस्टम हमारी सोच से कहीं ज्यादा गतिशील और लगातार चलने वाले हैं। यह खोज हमें याद दिलाती है कि हमारी धरती जीवित है। वह सांस लेती है, बदलती है– कभी तेज, कभी बहुत धीरे, लेकिन रुकती नहीं। सिराज/ईएमएस 20 नवंबर 2025