मन बहुत चंचल होता है वो समय से भी तेज गति से भ्रमण करता है और मन कब अशांति की ओर जाता है जब आप किसी की बातों या अपने गलत काम करने से डर पैदा होता है भगवान राम का नाम ही पूर्ण ब्रह्माण्ड में बहुत तेजी से सकारात्मक ऊर्जा की तरह बहता है उसे पकड़ने की जरुरत है हम जब उनका ध्यान करते हैं तो मन शांत होता है और दया का भाव उत्पन्न होता है सभी धर्मों में मानवता ही सच्ची सेवा को उपदेश देती है इसलिए पहली बात तो यह है कि भगवान राम एक विचार है जिसे किसी भी धर्म से अलग थलग करना आपकी भूल है क्योंकि वो एक विचारों पर टीका है जिसमें सत्य न्याय अहिंसा और मानवता का संदेश देती है अतः जब ध्यान करेंगे तो भगवान राम की सकारात्मक ऊर्जा मिलती है जिससे मन में उठ रहे गलत विचारों का धीरे धीरे निकलने लगता है कुछ लोग पूछते हैं क्या ध्यान करेंगे लेकिन पहले कोशिश कर के देखिए कुछ समय के लिए मौन व्रत धारण कर ले और अपने अंदर आ रहे सभी गलत विचार को भगवान राम को सौंप दें और पूरे तनमन धन से भजन सुने उसके बाद आपका प्रेम भगवान राम के प्रति ऐसा उमड़ पड़ेगा की आप आपको उनके बिना मन व्याकुल हो जायेगा और क़ोई भी ताकत उससे अलग नहीं कर सकती है जैसे पानी के अंदर मछली रहती है और जो मछुआरा के पैर के पास रहती है वो उस जाल में नहीं फंसती और बच जाती है खैर मछली तो मछली है अगर जाल में फंस भी गई तो पानी के बिना दम तोड़ देगी अतः यदि मछली पानी के बिना नहीं रह सकती वैसे ही राम का भक्त भगवान राम के भवसागर में एक बार चली गई तो बापस आना नामुमकिन है क्योंकि शरीर राम के बिना नष्ट हो सकता लेकिन आत्मा नहीं और शरीर का नष्ट होना एक न एक दिन निश्चित है तो उस परमात्मा का ध्यान जरुरी है जो भावसागर पार करा सकता है राम का शब्द दिखने में जितना सुंदर है उससे कहीं महत्वपूर्ण है इसका उच्चारण। राम कहने मात्र से शरीर और मन में अलग ही तरह की प्रतिक्रिया होती है जो हमें आत्मिक शांति देती है। इसका आभास आपको मन में भगवान राम का ध्यान करने से होगा रामायण में कहा गया है तिनके हृदय बसहु रघुराया ॥ अर्थ – इसका अर्थ है कि जिस व्यक्ति पर भगवान श्रीराम की कृपा होती है, उसके जीवन में कोई भी दुख ज्यादा देर टिक नहीं सकता। तुलसी दास को राम नाम सुनना, बोलना और स्मरण करना श्रीराम और लक्ष्मण के समान ही प्यारा है। राम नाम का वर्णन करने में अर्थ और फल में भिन्नता जान पड़ती है, लेकिन यह जीव और ब्रह्म को समान भाव से सदैव एक रूप-रस में रखने वाला है। गोस्वामी तुलसीदास जी रामायण के एक चौपाई में कहते हैं को बड़ छोट कहत अपराधू। सुनि गुन भेदु समुझिहहिं साधू॥देखिअहिं रूप नाम आधीना। रूप ग्यान नहिं नाम बिहीना॥ जिसका अर्थ है इनमें से किसी को छोटा या बड़ा कहना अपराध है, इनके गुणों का भेद साधु पुरुषों से सुनकर ही समझ में आ सकता है। रूप को नाम के अधीन होकर ही देखा जा सकता है, नाम के बिना रूप का ज्ञान नहीं हो सकता है इसलिए भगवान राम का ध्यान कर ही उनके नाम की महिमा को समझी जा सकती यें जीवन बड़ी मुश्किल से मिला है विपरीत परिस्थिति में संयम से काम लें भगवान राम आपकी नइया पार लगा देंगे। एक और चौपाई में तुलसीहै दास जी कहते हैं राम नाम के दोनों अक्षर अत्यन्त मधुर और मनोहर हैं, जो वर्णमाला रूपी शरीर के नेत्रों के समान हैं। राम नाम सभी भक्तों को स्मरण करने में आसान और सुख को प्रदान करने वाला है, जो इस लोक में सुख देने के साथ-साथ भगवान के दिव्य धाम की प्राप्ति भी कराता है। ईएमएस / 22 नवम्बर 25