लंदन (ईएमएस)। एक नए वैज्ञानिक अध्ययन ने चेतावनी दी है कि अत्यधिक प्रोसेस्ड और जंक फूड का लगातार सेवन न सिर्फ शरीर, बल्कि मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। ब्रिटेन में किए गए इस शोध में 30,000 वयस्कों का विश्लेषण किया गया, जिसमें यह सामने आया कि ऐसे खाद्य पदार्थ मस्तिष्क के उन हिस्सों में बदलाव ला सकते हैं, जो भूख, स्वाद और खाने से जुड़ी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। अध्ययन के अनुसार पैकेज्ड स्नैक्स, इंस्टेंट नूडल्स, बिस्किट, सोडा, ऊर्जा पेय, प्रोसेस्ड मीट जैसे सॉसेज और नगेट्स तथा फ्रोजन रेडी-टू-ईट फूड्स जैसे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड उत्पाद हाइपोथैलेमस, एमीग्डाला और न्यूक्लियस अक्कम्बेन्स जैसे महत्वपूर्ण हिस्सों पर असर डालते हैं। ये वही हिस्से हैं, जो शरीर को भूख लगने का संकेत देते हैं, तृप्ति का अहसास कराते हैं और खाने से जुड़ी भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड में पाए जाने वाले रसायन, कृत्रिम स्वाद, प्रिजर्वेटिव और एडिटिव्स मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को धीरे-धीरे प्रभावित कर सकते हैं। इन पदार्थों का बार-बार सेवन करने से मस्तिष्क में एक ऐसी प्रक्रिया सक्रिय हो जाती है, जो लोगों को ज्यादा खाने के लिए उकसाती है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे ऐसी आदत बना देती है कि व्यक्ति चाहकर भी जंक फूड से दूरी नहीं बना पाता। यही वजह है कि कई लोगों में क्रेविंग बढ़ती जाती है और वे बार-बार हाई-कैलोरी, कम पोषक तत्व वाले भोजन की ओर आकर्षित होते हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि मस्तिष्क पर होने वाले इन प्रभावों के कारण व्यक्ति के खाने का नियंत्रण कमजोर पड़ जाता है, और यह मोटापा तथा अन्य स्वास्थ्य जोखिमों को जन्म दे सकता है। विशेषज्ञ पहले ही अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड को डायबिटीज, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और मानसिक विकारों से जोड़ते रहे हैं। अब जब मस्तिष्क पर इनके संभावित प्रभाव सामने आ रहे हैं, तो चिंता और बढ़ गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर स्थिति ऐसे ही बिगड़ती रही, तो सरकारों को जंक फूड पर कड़े नियम और नीतियां लागू करनी पड़ सकती हैं। कुछ देशों में पहले ही स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों और टीवी विज्ञापनों में ऐसे फूड्स पर सीमाएं लगाई जा चुकी हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पर्याप्त नहीं है। अध्ययन ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रोसेस्ड फूड का सेवन सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यह हमारी खाने की आदतों को बदलकर एक ऐसे चक्र में फंसा देता है, जिसमें व्यक्ति लगातार हाई-कैलोरी और कम पोषक तत्वों वाले भोजन की ओर आकर्षित होता है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि लोगों को अपनी दैनिक डाइट में प्राकृतिक, कम प्रोसेस्ड और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए, ताकि मस्तिष्क और शरीर दोनों स्वस्थ बने रहें। डेविड/ईएमएस 23 नवंबर 2025