मुंबई (ईएमएस)। बालीवुड की फिल्म ‘धमाका’ आज भी अभिनेता कार्तिक आर्यन के करियर की दिशा बदलने वाली फिल्म मानी जा रही है। अभिनेता कार्तिक को राम माधवानी ने इस फिल्म में एक गंभीर, भावनात्मक रूप से जटिल और नैतिक संघर्षों से घिरे न्यूज़ एंकर अर्जुन पाठक के रूप में पेश किया। दर्शकों और आलोचकों ने उनके इस बदले हुए अभिनय रंग को खूब सराहा और इसे उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ माना। ‘धमाका’ की खासियत सिर्फ उसके कंटेंट में ही नहीं, बल्कि इसके निर्माण के दौर में भी छिपी है। कोविड-19 महामारी के चलते जब फिल्म इंडस्ट्री लगभग ठहर गई थी, तब भी इस फिल्म की शूटिंग मुश्किल परिस्थितियों में मात्र 10 दिनों में पूरी की गई। कड़े प्रोटोकॉल और सीमित संसाधनों के बावजूद टीम का यह प्रयास इंडस्ट्री के लिए मिसाल बना। महामारी के बीच इस तरह की फिल्म का बनना और रिलीज़ होना ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर नई संभावनाओं की शुरुआत माना गया। वहीं, रिपोर्ट्स के अनुसार, इस फिल्म के लिए कार्तिक को ₹20 करोड़ की फीस मिली थी, जो उनकी बढ़ती लोकप्रियता और बाजार में उनकी मजबूती को दर्शाता है। अर्जुन पाठक के रूप में कार्तिक का प्रदर्शन फिल्म की सबसे बड़ी ताकत उभरकर सामने आया। पूरी कहानी एक सीमित स्पेस में घटती है, जहां कैमरा लगातार उनके चेहरे और भावनाओं का पीछा करता रहता है। ऐसे में उनकी परफॉर्मेंस ने न सिर्फ फिल्म को थामे रखा, बल्कि दर्शकों को पात्र की आंतरिक उथल-पुथल से भी जोड़कर रखा। राम माधवानी की रियल-टाइम नैरेटिव शैली, टाइट स्क्रीनप्ले और इंटेंस माहौल ने कार्तिक को अपने अभिनय के नए आयाम दिखाने का मौका दिया। फिल्म में दिखाई गई संवेदनशीलता और तनावपूर्ण माहौल ने कार्तिक की मेहनत और तैयारी को और उभारा। आज, चार साल बाद भी ‘धमाका’ उन फिल्मों में गिनी जाती है, जिन्होंने सीमित संसाधनों में रचनात्मकता और साहस के साथ कुछ नया करने का प्रयास किया। यह फिल्म कार्तिक के लिए सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि उस अभिनेता की पहचान बनी, जो जोख़िम उठाने और खुद को चुनौती देने से नहीं डरता। सुदामा/ईएमएस 24 नवंबर 2025