नाम एक ही लेकिन अलग-अलग सरनेम बीजेपी ने कहा, एसआईआर प्रक्रिया के कारण ये फर्जीवाड़ा सामने आया नई दिल्ली (ईएमएस)। देश में ‘वोट चोरी’ आखिर पकड़ी गई! जी हां, ये सच हैं, पश्चिम बंगाल में वोटर सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के दौरान वोट चोरी का पर्दाफाश हुआ है, इस पर यकीन करना मुश्किल होगा। वहां जब स्कैनिंग शुरू हुई, तब मतदाता सूची ही रहस्यमय तरीके से बदली हुई दिखाई दी। एक ही महिला का नाम 44 जगह दर्ज है। अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में अलग-अलग सरनेम के साथ महिला वोट कर रही है। उदाहरण के लिए हावड़ा में महिला का नाम मयरानी राय है, तब बांकुड़ा में मयरानी मुर, साउथ 24 परगना के मंडिरबाजार में मयरानी प्रमाणिक है, तब साउथ 24 परगना के कुलपी में मयरानी नाया, नॉर्थ 24 परगना में वह मयरानी मंडल के नाम से दर्ज है। यानी एक ही महिला इन 44 जगहों पर वोटर है। एसआईआर प्रक्रिया के दौरान, एक ही एन्यूमरेशन फॉर्म का क्यूआर कोड स्कैन करने पर पता चला कि उसी महिला का नाम एक साथ 44 अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में शामिल है। उसके पति का नाम भी सभी वोटर सूची में शामिल है, लेकिन मजेदार बात ये हैं कि महिला का हर जगह सरनेम अलग है। इसतरह के वोटर-कार्ड फर्जीवाड़े का मामला पश्चिम बर्दवान के पांडवेश्वर विधानसभा क्षेत्र के बूथ 47 में सामने आया है।पश्चिम बर्दवान के जिला मजिस्ट्रेट पोननमलम एस. ने कहा, शिकायत की जांच हो रही है। मयरानी के मामले को लेकर बंगाल में हड़कंप मचा है। मयरानी पेशे से रसोइया का काम करती है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस ने राज्यभर की मतदाता सूची में इस तरह फर्जी नाम जोड़ रखे हैं। अब चुनाव आयोग ने इसतरह के फर्जी नामों की जांच शुरू कर दी है. एक स्कैन से खुल गई पोल विधवा मयरानी गोस्वामी पांडवेश्वर विधानसभा क्षेत्र के डीवीसी इलाके में रहती है। जब बीएलओ ने उसके एन्यूमरेशन फॉर्म का क्यूआर स्कैन किया, तब पता चला कि वह राज्यभर में 44 अलग-अलग जगहों पर मतदाता के रूप में दर्ज हैं। हालांकि, मयरानी इस बात से हैरान नहीं दिखी। मयरानी ने बताया कि मुझे कुछ नहीं पता। शुरू से मैं बैद्यनाथपुर स्कूल में ही वोट देती आई हूं। पिछली सरकार के समय मेरा नाम वोटर सूची से हटाया गया था, बस इतना ही जानती हूं। मैं लोगों के घर खाना बनाकर गुज़ारा करती हूं। मुझे नहीं पता मुझे क्या करना चाहिए। अब सभी लोगों ने एसआईआर फॉर्म भरा, तब मैंने भी भर दिया। बीजेपी नेता जितेंद्र तिवारी ने दावा किया कि एसआईआर प्रक्रिया ने सच साबित कर दिया। उनका कहना है कि इसके बिना इसतरह के मामले कभी उजागर नहीं होते। उन्होंने कहा कि यह सोचकर ही चिंता होती है कि कितने गरीब और कमजोर लोगों के नामों का इस तरह गलत इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने इसकी गहन जांच की मांग की। सूत्रों के अनुसार, विधवा मयरानी बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति में है। वह दूसरों के घर खाना बनाकर अपना जीवन यापन करती है। आरोप है कि एसआईआर फॉर्म के क्यूआर कोड को स्कैन करने पर उसका नाम उत्तर दिनाजपुर से लेकर दक्षिण 24 परगना के गोसाबा तक कई जिलों में अलग-अलग पहचान के साथ जुड़ा मिला। उनका पहला नाम मयरानी हर जगह समान था, लेकिन सरनेम बदलते रहे। चुनाव विशेषज्ञों का कहना है कि एक ही स्कैन से 44 फर्जी पहचानें सामने आना किसी सामान्य गलती का मामला नहीं हो सकता। यह स्पष्ट रूप से एक संगठित फर्जीवाड़ा नेटवर्क की ओर इशारा करता है। अब बड़ा सवाल यह है कि चुनाव आयोग इस मामले को कैसे सुलझाएगा और आगे क्या कदम उठाएगा। आशीष दुबे / 24 नवबंर 2025