इन्दौर (ईएमएस) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इन्दौर में जस्टिस जय कुमार पिल्लै की एकल पीठ ने दीपमाला दावर द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर (केमिस्ट्री) भर्ती प्रकिया को लेकर दायर याचिका खारिज करते कहा कि विश्व विद्यालय अगर विलम्ब कर दे तो भी भर्ती प्रक्रिया बदली नहीं जा सकती। याचिकाकर्ता दीपमाला दावर ने अपनी याचिका में कोर्ट से आग्रह करते बताया था कि उन्होंने पीएचडी परीक्षा पास की लेकिन विश्व विद्यालय द्वारा समय पर पीएचडी की डिग्री जारी नहीं करने के कारण वे उक्त पद हेतु आवेदन में दस्तावेज सत्यापन नहीं कर पाईं अतः उन्हें इंटरव्यू चरण में दस्तावेज जमा करने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने याचिका पर अंतिम सुनवाई उपरांत सुरक्षित रखें अपने फैसले को सुनाते हुए कहा कि विज्ञापन में साफ तौर पर लिखा है कि सभी पात्रता योग्यताएं 14 मार्च 2023 तक होना आवश्यक हैं। याचिकाकर्ता की पीएचडी डिग्री 23 अप्रैल 2025 को जारी हुई जो कटऑफ तारीख से काफी बाद की है। प्रकिया में पात्रता की अंतिम तारीख बदली नहीं जा सकती, क्योंकि ऐसा करने से प्रक्रिया में समान अवसर का सिद्धांत प्रभावित होता है। कोर्ट ने अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि भर्ती नियमों में दी गई समय-सीमा बाध्यकारी होती है। पात्रता बाद में प्राप्त करने से लाभ नहीं मिल सकता। अदालत ने माना कि देरी विश्व विद्यालय की ओर से हो सकती है लेकिन इससे भर्ती की निर्धारित शर्तों को बदला नहीं जा सकता। कोर्ट ने अपने निर्णय में याचिका में कोई मेरिट नहीं है कहते हुए इसे खारिज कर दिया। आनन्द पुरोहित/ 25 नवंबर 2025