राष्ट्रीय
26-Nov-2025
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-सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा प्रस्तुत कर केंद्र ने कहा, कसा जा रहा शिकंजा -ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन एक्ट के उद्देश्यों को भी किया स्पष्ट नई दिल्ली,(ईएमएस)। ऑनलाइन मनी गेमिंग के बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपना कड़ा रुख स्पष्ट किया है। सरकार ने अदालत में प्रस्तुत एक विस्तृत हलफनामे में कहा है, कि अनियंत्रित ऑनलाइन मनी गेमिंग न सिर्फ युवाओं को आर्थिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि इसके तार आतंकवाद के वित्तपोषण (टेरर फंडिंग), मनी लॉन्ड्रिंग और बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी से भी जुड़े हुए पाए गए हैं। ऐसे में इसके विनियमन संबंधी नए कानून पर सवाल उठाना अभी जल्दबाजी होगी। सरकार ने अदालत को बताया, कि ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन एक्ट को युवाओं और कमजोर वर्गों को नशे, कर्ज, मानसिक तनाव और प्राइवेसी के उल्लंघन जैसे जोखिमों से बचाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। सरकार का कहना है कि यह कानून न केवल सामाजिक सरोकारों के मद्देनज़र महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिरता, राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को भी मजबूत करेगा। केंद्र ने अपने हलफनामे में दावा किया है, कि अनियंत्रित ऑनलाइन गेमिंग उद्योग का उपयोग बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध लेन-देन के लिए किया जा रहा है। कई मामलों में इसका इस्तेमाल आतंकवाद के वित्तपोषण तक के लिए होने के प्रमाण मिले हैं। सरकार ने कहा कि उसके पास पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, जिन्हें अदालत में सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत किया जाएगा। सरकारी जांच के निष्कर्षों का हवाला देते हुए हलफनामे में कहा गया कि संदेहास्पद लेन-देन और सीमा पार वायर ट्रांसफर रिपोर्ट की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। कई ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां उन छोटे द्वीप देशों में पंजीकृत पाई गई हैं, जहां वित्तीय निगरानी के मानक बेहद कमजोर हैं। इन कंपनियों के जरिए भारतीय उपयोगकर्ताओं से एकत्र किया गया धन, देश के बैंकों में प्रॉक्सी व्यक्तियों के नाम पर बनाए गए खातों के माध्यम से, गलत जानकारी देकर विदेश भेज दिया गया। यह पैसा किस गतिविधि में उपयोग होता है, इसकी ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा, कि चूंकि यह कानून अभी नोटिफाई नहीं हुआ है, इसलिए इसकी वैधता पर विचार करना समय से पहले होगा। सरकार के अनुसार, पूर्ण लागू होने के बाद ही इसके प्रभाव और परिणामों का आकलन किया जा सकेगा। जानकारों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई में सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले गोपनीय दस्तावेजों और तर्कों पर विचार करेगा। इस बीच, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग और इससे जुड़े हितधारक भी मामले की अगली कार्यवाही पर नजर बनाए हुए हैं। हिदायत/ईएमएस 26नवंबर25