* रजवाड़ों के विलय से लेकर राष्ट्रीय एकता तक—सरदार पटेल के दूरदर्शी निर्णयों ने गढ़ा भारत का भू-नक्शा वडोदरा (ईएमएस)| जिले के मेनपुरा में पहुँची सरदार@150 एकता पदयात्रा के दौरान आयोजित ‘सरदार गाथा’ कार्यक्रम में ‘कश्मीर, हैदराबाद और सरदार’ विषय पर बोलते हुए जम्मू–कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि यदि उस समय जम्मू–कश्मीर की जिम्मेदारी सरदार पटेल के पास होती, तो वहाँ के लोगों को छह दशकों से भी अधिक समय तक बनी रही समस्या का सामना न करना पड़ता। सरदार पटेल मूलतः कर्मठ व्यक्तित्व थे। उनके जीवन-दर्शन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा था—“इतिहास लिखने में समय क्यों बर्बाद करें, क्यों न उसका निर्माण करें।” सरदार पटेल ने आरंभ से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि “हम कश्मीर की एक इंच भूमि भी किसी को नहीं देंगे।” सिन्हा ने सरदार पटेल को भारत का आत्मविश्वास, स्वाभिमान, पराक्रम और पुरुषार्थ बताया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रसेवा में उन्होंने क्षण-क्षण समर्पित किया। अपनी अदम्य इच्छाशक्ति, स्पष्ट दृष्टि और कुशल संगठन क्षमता के बल पर उन्होंने 562 रियासतों का भारत में विलय कराया और अखंड भारत का स्वप्न साकार किया। राज्यपाल ने कहा कि यदि सरदार पटेल न होते तो भारत का भूगोल शायद खंडित हो जाता। उन्होंने इस राष्ट्रीय एकता पदयात्रा के महत्व पर बल देते हुए कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के ऐतिहासिक अवसर पर आयोजित यह पदयात्रा उनके आदर्शों, मूल्यों और सिद्धांतों पर चलने का संकल्प है। यह यात्रा भारत-निर्माण के सामूहिक संकल्प तथा युवा ऊर्जा के साथ विकसित भारत के निर्माण की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। सिन्हा ने कहा कि आज भारत स्वयं को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहने में गर्व अनुभव करता है, तो उसके पीछे सरदार पटेल के आदर्श और उनका विज़न ही प्रमुख शक्ति है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अधूरे स्वप्न को वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2019 को संविधान से अनुच्छेद 370 हटाकर पूरा किया। इस कदम से लंबे इंतज़ार के बाद भारत एक सूत्र में बंधा और “एक देश—एक निशान, एक विधान, एक प्रधान” का संकल्प साकार हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले पाँच वर्षों में जम्मू–कश्मीर में शांति, स्थिरता और आशा के नए युग की शुरुआत हुई है—जहाँ अब न पत्थरबाज़ी होती है, न पाकिस्तान के इशारे पर बंद या हड़ताल। युवाओं का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने कहा था—“एकता के बिना कोई राष्ट्र महान नहीं बन सकता।” एकता ही राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति है, जिसके तीन स्तंभ हैं—सामूहिक मूल्य, सामूहिक पहचान और समान उद्देश्य। उन्होंने जोड़ा कि राष्ट्र के विकास के पाँच आधार—क़ानून का शासन, राष्ट्रीय पहचान और सामाजिक सौहार्द, मेरिटोक्रेसी और शिक्षित मानव पूंजी, सामाजिक-आर्थिक समानता और सुशासन—इन सबकी नींव हमारी एकता है। एकता राष्ट्र का अदृश्य इंफ्रास्ट्रक्चर है जो निरंतर प्रगति सुनिश्चित करता है। गुजरात के उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी ने मेनपुरा में आयोजित ‘सरदार सभा’ में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की 150वीं जयंती को ऐतिहासिक रूप से मनाने का निर्णय लिया है। इस आयोजन का उद्देश्य है सरदार पटेल के दूरदर्शी विचारों, देश की एकता के लिए उनके निर्णायक कदमों और उनके योगदान को देश-दुनिया तक पहुँचाना। उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, देश के प्रत्येक जिले, विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र में इस ऐतिहासिक यात्रा का आयोजन किया गया है ताकि सरदार पटेल के विचार देश के युवाओं तक पहुँच सकें। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल के योगदान को लंबे समय तक षड्यंत्र के तहत दबाया गया। लोगों को यह अहसास भी नहीं होने दिया गया कि उनकी दूरदर्शिता और कठोर निर्णयों के कारण ही देश एक है। युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि 2014 में हमें ऐसा प्रधानमंत्री मिला जिसने व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि देश के लिए निर्णय पर निर्णय लिए। आज सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर निकल रही यह यात्रा देश के इतिहास की सबसे बड़ी यात्रा है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे सरदार पटेल के विचार गाँव–गाँव पहुँचें, इसके लिए लगातार बैठकों में जुटे रहे और पिछले तीन दिनों से पदयात्रा में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। संघवी ने एकता के महत्व को समझाते हुए कहा कि यदि सरदार पटेल ने देश को एक नहीं किया होता और 565 रजवाड़ों ने त्याग नहीं किया होता, तो आज स्थिति क्या होती—इसका अंदाज़ा भी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि संभव है कि राममंदिर, पंजराब के स्वर्ण मंदिर या माँ वैष्णोदेवी के दर्शन के लिए पासपोर्ट लेना पड़ता। आज गुजरात आने वाले युवाओं को भी वीज़ा लेना पड़ता।देश को एक करने वाले सरदार पटेल को हमें नमन करना चाहिए। इस अवसर पर मंत्री अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि ‘सरदार @150’ के अंतर्गत प्रधानमंत्री के प्रयासों से सरदार पटेल के कार्य और इतिहास आज हमारे सामने हैं, जिन्हें पहले भुला दिया गया था। सरदार पटेल ने स्वतंत्रता आंदोलन में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। उन्होंने संपन्न जीवन, इंग्लैंड की शिक्षा और सफल वकालत छोड़कर जेल का रास्ता चुना—जो अत्यंत बड़ी बात थी। प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण होने के बावजूद उन्हें प्रधानमंत्री न बनाया गया, फिर भी उन्होंने कभी मन में कड़वाहट न रखकर सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन किया। धारासभ्य शैलेष मेहता ने क्षेत्र की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता पर प्रकाश डाला। हिमाचल और छत्तीसगढ़ से जुड़े क़ायमी पदयात्रियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में गाँव के तेजस्वी छात्रों और अग्रणियों का सम्मान किया गया तथा स्मृति वन में वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर राज्य मंत्री स्वरूपजी ठाकोर, त्रिकम छांगा, जिला पंचायत अध्यक्ष गायत्रीबा महिडा, अश्विन वकील, रसिक प्रजापति, कलेक्टर डॉ. अनिल धामेलिया, जिला विकास अधिकारी ममता हिरपरा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे। सतीश/01 दिसंबर