500 मरीजों की सुरक्षा के लिए मात्र 26 गार्ड अधूरी ग्रिल लगाकर भूला प्रबंधन छिंदवाड़ा (ईएमएस)। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में सुरक्षा का अभाव है। कभी मरीज की मौत होने पर स्वजनों के आक्रोश का कोप भाजन चिकित्सक व कर्मी बनते हैं। हालांकि सुरक्षा को लेकर 26 गार्ड की तैनाती की गई है। इसमें जिला अस्पताल में कार्यरत निजी कंपनी के 13 और मेडिकल कॉलेज से 13 गार्ड शामिल है, जबकि जिला अस्पताल को 60 गार्ड की जरूरत है। 26 गार्डों के भरोसे 525 मरीजों और पूरे वार्डों की जिम्मेदारी है। मौजूद गार्ड रोटेशन के हिसाब से ही गार्ड अपनी ड्यूटी निर्वहन करते हैं। यानी एक समय में मात्र चार पांच लोग ही तैनात रहते हैं। जिला अस्पताल जैसे बड़े अस्पताल के सुरक्षा के लिए नाकाफी है जब कभी व्यवस्था बिगडऩे लगती है तो सूचना मिलने पर कोतवाली थाने की पुलिस यहां आती जरूर है लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। अस्पताल में कई बार हंगामे के कारण चिकित्सकों तथा कर्मियों को जान बचाने के लिए इधर-उधर छिपने की नौबत तक आ जाती है। हालांकि यहां पूर्व में सुरक्षा व्यवस्था जरूर थी लेकिन मेडिकल अस्पताल बनने के बाद वार्ड तो बढ़ गए, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे हो गई। निरीक्षण में खुली पोल, आधे गार्ड गायब मेडिकल कॉलेज से सबद्ध जिला अस्पताल प्रबंधन के गार्ड पूरे होने के दावों की पोल उस समय खुल गई जब डिप्टी कलेक्टर राहुल पटेल, अंकिता त्रिपाठी अचानक जिला अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे। यहां निरीक्षण के दौरान उन्हें कहीं भी गार्ड नजर नहीं आए न ही मेडिकल कॉलेज के सफाई कर्मी उन्होंने मौके पर ही ठेका कंपनियों के कर्मचारियों और गार्ड की परेड कराई। जिसमें केवल राज कंपनी के ५२ कर्मचारियों में से पूरे ५२ कर्मी मौजूद पाए गए जबकि, यूडीएस कंपनी के ४८ कर्मचारियों में से मात्र २० कर्मी ही ड्यूटी पर मिले। इसी तरह यूडीएस के और प्रथम सिक्युरिटी कंपनी के१५ सुरक्षा कर्मी में से मात्र ३ सुरक्षा कर्मी ही मौके पर पाए गए। इसको लेकर दोनों अधिकारियों ने नाराजगी जताई और व्यवस्था सुधारने के निर्देश सिविल सर्जन को दिए है। जरूरत 200 की लगे 120 सीसीटीवी कैमरे कहने को तो मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में सीसीटीवी कंट्रोल रूम खुल गया वहां पर कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई लेकिन इतने भर से सुरक्षा में कोई सुधार होता नहीं नजर आ रहा है। तैनात कर्मचारियों में सीसीटीवी कैमरों को लेकर तकनीकी ज्ञान की कमी है। वहां पर ड्यूटी करने वाले कर्मचारी सिर्फ रूम खोलकर बैठे रहते हंै, वह किसी भी तरह की गतिविधि खासकर रात्रि में उस ओर ध्यान नहीं देते है। कंट्रोल रूम में सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग हो रही है या नहीं इसकी जानकारी भी नहीं है। वर्तमान में जिला अस्पताल परिसर में 120 कैमरों से निगरानी की जा रही है, जबकि इतने बड़े अस्पताल में 200 सीसीटीवी कैमरे की आवश्यकता है। पांचवी मंजिल पर आधी-अधूरी लगाई ग्रिल मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में पांचवीं मंजिल से कई मरीजों को कूदने की घटनाएं सामने आने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने इन घटनाओं पर रोक लगाने के लिए और सुरक्षा की दृष्टि से पांचवें माले में लोहे कि ग्रिल लगाकर खाली पड़ी जगह को बंद कराने का निर्णय लिया है, लेकिन यहां भी प्रबंधन ने केवल खानापूर्ति करते हुए आधी-अधूरी जगह ग्रिल लगाकर छोड़ दिया है। शायद प्रबंधन को अस्पताल की ऊंची इमारत से किसी और मरीज के कूदने का इंतजार है। करीब एक सप्ताह पूर्व एक मरीज ने पांचवें माले से कूदने का प्रयास किया था, इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी है, जिसमें दो लोगों की जान भी जा चुकी है। इनका कहना है अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गार्ड नियुक्त किए गए है, लेकिन वार्ड बढऩे से गार्डों की और जरूरत है, ताकि उन्हें हर वार्ड और परिसर में तैनात किया जा सके, इसके लिए मेडिकल कॉलेज के डीन से पत्राचार किया गया है। डॉ. रवि टांडेकर प्रभारी सिविल सर्जन जिला अस्पताल ईएमएस/मोहने/ 01 दिसंबर 2025