राज्य
04-Dec-2025
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:: पालकियों में विराजित प्रतिमाओं को लेकर नाचते-गाते चले समाजबंधु; आज होगी बड़ी दीक्षा :: इंदौर (ईएमएस)। द्वारकापुरी स्थित शीतलनाथ जैन मंदिर पर भगवान शंखेश्वर पार्श्वनाथ, नाकोड़ा भैरव देव, भौमियाजी एवं मालवा विभूषण आचार्य वीररत्न सूरीश्वर म.सा. की दिव्य प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का गुरुवार को भव्यता के साथ आगाज़ हुआ। फूटी कोठी चौराहा स्थित बालाजी गार्डन से निकला वरघोड़ा, गुमास्ता नगर होते हुए जब द्वारकापुरी मंदिर पहुँचा, तो समूचा क्षेत्र भगवान और जैनाचार्यों के जयघोष से गूंज उठा। द्वारकापुरी क्षेत्र में पहली बार लगभग डेढ़ किलोमीटर लम्बा भव्य जुलूस निकला, जिसमें 7 वर्ष से लेकर 70 वर्ष तक के करीब 5 हजार समाजबन्धुओं ने कड़ाके की ठंड को मात देते हुए उत्साहपूर्ण भागीदारी दर्ज कराई। इस भव्य वरघोड़े में जैनाचार्य प.पू. आचार्य श्रीमद विजय पद्मभूषणरत्न सूरीश्वर सहित 50 से अधिक साधु-साध्वी-भगवंतों का संघ शामिल रहा। :: प्रतिमाओं को काँधे पर लेकर चले श्रद्धालु :: मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय नाहर, उपाध्यक्ष सुशील कुकड़ा, सचिव चेतन भंडारी और अजय जैन ने बताया कि बैंड-बाजों की मंगल ध्वनि के बीच परंपरागत परिधान में सजे-धजे समाजबंधु, विभिन्न श्रृंगारित पालकियों में विराजित प्रतिमाओं को काँधे पर लेकर नाचते-गाते हुए चल रहे थे। द्वारकापुरी मंदिर पहुँचने पर दोपहर 12:39 बजे अभिजीत मुहूर्त में आचार्यों की पावन निश्रा में विधिकारक अरविन्द चौरड़िया के निर्देशन में अठारह अभिषेक महापूजन संपन्न हुआ। दोपहर में महाचौबीसी एवं मेहँदी वितरण तथा शाम को भक्ति संगीत के आयोजन हुए, जिसमें जयपुर के प्रसिद्ध गीतकार राजीव विजयवर्गीय और उनकी टीम ने देर रात तक हजारों समाजबंधुओं को भक्ति के रंग में बांधे रखा। :: आज होगी बड़ी दीक्षा, कल प्रतिष्ठा :: ट्रस्ट पदाधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार, 5 दिसंबर को सुबह 5:15 बजे से नूतन मुनिराज कलश पुण्यविजय म.सा. की बड़ी दीक्षा का महोत्सव शुरू होगा। दोपहर 12:39 बजे शुभ मुहूर्त में मंदिर परिसर में गुरु मूर्ति और देव प्रतिष्ठा के आयोजन होंगे। शनिवार, 6 दिसंबर को सुबह 6:30 बजे द्वारोदघाटन के बाद 9 बजे भव्यती-भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न होगा। इस समूचे अनुष्ठान में विधिकारक अरविन्द चोरड़िया शास्त्रोक्त विधि विधान से सभी क्रियाएँ संपन्न कराएँगे। प्रकाश/04 दिसम्बर 2025 संलग्न चित्र : प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रतिमाओं को पालकी में विराजित कर काँधे पर लेकर चलते समाजबंधु। दूसरे चित्र में जुलूस का भव्य दृश्य।