मुंबई (ईएमएस)। मुंबई में आईएफपी फिल्म फेस्टिवल सीजन-15 की धमाकेदार शुरुआत हो चुकी है। इस मौके पर अभिनेता विजय वर्मा और अभिनेत्री फातिमा सना शेख भी शिरकत करने पहुंचे। यहां फातिमा ने अपनी नई फिल्म ‘गुस्ताख इश्क’ के अनुभव के साथ-साथ आज के डिजिटल दौर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के बढ़ते प्रभाव पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि तेज़ी से बदलते तकनीकी समय में भावनाओं को व्यक्त करने की नजाकत और संवेदनशीलता धीरे-धीरे खोती जा रही है। फातिमा सना शेख ने एक बातचीत में कहा कि एआई भले ही दुनिया को आगे की तरफ ले जा रहा हो, लेकिन इसके चलते इंसानी एहसास और शब्दों की गहराई कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि पहले लोग एक-दूसरे को हाथ से लिखे चिट्ठी-पत्र और कविताएँ भेजा करते थे। वे पत्र सिर्फ शब्दों का मेल नहीं, बल्कि भावनाओं का खजाना होते थे, जिन्हें पढ़कर दिल में एक विशेष एहसास जाग उठता था। आज की पीढ़ी उस खूबसूरत दौर से दूर होती जा रही है। फातिमा ने कहा, “आज एआई के जमाने में हम खुद से सोचना ही बंद करते जा रहे हैं। चाहे भाषा हिंदी हो या अंग्रेजी, अगर आपके विचार स्पष्ट नहीं हैं, तो आप दिल की बात कैसे साफ-साफ कह पाएंगे? शब्द बहुत कीमती हैं। लेटर लिखना, कविता लिखना आज भी उतना ही जरूरी है, क्योंकि इसी से हमारी सोच गहरी और सटीक बनती है।” फातिमा की फिल्म ‘गुस्ताख इश्क’ हाल ही में रिलीज हुई है। फिल्म में उनके साथ विजय वर्मा और नसीरुद्दीन शाह नजर आए हैं। अभिनेत्री ने नसीरुद्दीन शाह के साथ काम करते हुए अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके साथ अभिनय करना उनके लिए भावनात्मक रूप से बेहद गहरा अनुभव रहा। उन्होंने कहा, “मैंने मन ही मन कई बातें सोच रखी थीं क्या नसीर साहब मेरे काम को जज करेंगे? क्या उन्हें मेरी एक्टिंग में कमी लगेगी? एक दिन एक इमोशनल सीन था जिसमें मुझे रोना था, लेकिन उनके सामने मुझसे कुछ भी नहीं हो पा रहा था। मैं डर और चिंता में फंस गई थी।” इसके बाद नसीरुद्दीन शाह चुपचाप उनके पास आए। फातिमा ने बताया, “उन्होंने मेरी नब्ज पकड़ ली। कुछ देर बाद कहा ‘इस पल में जियो, ज्यादा मत सोचो।’ जैसे ही उन्होंने यह कहा, मेरी सारी घबराहट दूर हो गई। उनकी बात मेरे दिल को छू गई और सीन स्वाभाविक रूप से हो गया।” फातिमा के इन अनुभवों ने दर्शाया कि सिनेमा सिर्फ कला नहीं, बल्कि संवेदनाओं और इंसानी जुड़ाव से बना माध्यम है। डिजिटल शोर के बीच शब्दों की सादगी और भावनाओं की गहराई को बचाए रखना आज भी उतना ही जरूरी है, चाहे दुनिया कितनी भी बदल जाए। डेविड/ईएमएस 05 दिसंबर 2025