बिहार में लगातार चल रहे बुलडोजर से गरीब लोगों के रोजी रोजगार पर असर पड़ रहा है जो ठंड में भटक रहे हैं ऐसे कुछ वीडियो देखने को मिल रहे हैं अतिक्रमण ठीक नहीं है लेकिन दूसरा पक्ष भी जानना चाहिए ठीक है अभी 5 साल तक कुछ नहीं होगा लेकिन गरीबों की हाय लगती है ऐ अतिक्रमण तो पहले से था उस समय बहुत पहले ऐसा किया गया था 1984-85में भी रोड चौला के समय रोड के दोनों तरफ उस वक़्त के सरकार ने बुलडोजर चलाये थे बाद में सरकार जनता या राजनीती दबाब में पीछे हटी थी बिहार में बुलडोजर पहले भी चला लेकिन रोड के सामने से बाद में अल्पसंख्यक जब इसकी जद में आये तो बन्द हो गया था अभी अगर बीजेपी को पश्चिम बंगाल में जीत हासिल करनी है तो सब्र से काम लेना पड़ेगा क्योंकि ममता बनर्जी को एक मुद्दा मिल गया और वहाँ भी रोड के किनारे बहुत सी दुकाने चलती है और जो रोड पर दुकान चलती है वो सभी को मालूम है की अवैध है और उसकी बसूली भी होती है बिहार में तो गरीबी है और जगह जगह पर रोड के ही नहीं प्लेटफॉर्म के पास तक मीठापुर में सब्जियाँ की दुकान लगती है और लोगों का फिड़ भी रहता है क्योंकि वहाँ सस्ता सब्जियाँ मिलती है अब ऐ बात जब बिहार विधानसभा में विपक्ष ने सवाल उठाएं तो मुख्य मंत्री ने ऐ इशारा जरूर कर दिया की देखिए हम अब कहीं जाने वाले नहीं है इसका मतलब ऐ हुआ उनके पास ऑप्शन है नहीं रहता तो बोलते ही क्यों? और जब अंक गणित के अनुसार बिहार में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं है नीतीश कुमार को जो खेल करना था कर दिए हैं देखिएगा जल्द ही कुछ बड़ा करने वाले हैं क्योंकि उनको गरीबों से बहुत प्यार है आखिर उनको मालूम नहीं है कि 20 साल से अतिक्रमण है इसपर पहले ऐ देखना जरुरी होता है कि क्या वो पेट भरने के लिए अपना व्यवसाय कर रहा है अतिक्रमण क्या महाराष्ट्र के मुंबई में नहीं हुआ जो चाल के रूप में मान्यता मिली लेकिन ऐ सब किसी राजनीती पार्टी से सम्बन्ध है इसलिए उनको मान्यता मिली इसलिए अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग और एसआईआर पर सवाल उठाए हैं। नीतीश कुमार के पास दूसरे रास्ते से सरकार बनाने के ऑप्शन है इसलिए कहें कि हम इधर उधर नहीं जाने वाले हैं ऐ एक इशारा है चूंकि अचानक क़ोई फैसला नहीं लेंगे जब तक वो पुरी तरह तैयार ना हो जाए अभी वो कब पलटी मारेंगे क़ोई भरोसा नहीं है उनको अपनी सीट बिहार में बढ़ानी थी वो दुगाना कर लिए जो महागठबंधन में उनको उतना सीट नहीं मिलता और तेजस्वी कूद पड़े थे मुख्यमंत्री की दौड़ में, इसलिए जनता से मार खा गए और नीतीश कुमार बाजी मार गए काम किया और अन्त समय में महिलाओ को भरोसे में लिया और जीत मिली बाद में बीजेपी के पास क़ोई ऑप्शन नहीं बचा इसलिए शायद बीजेपी ने मुख्यमंत्री के लिए नीतीश कुमार को ही चुना और अब तो ग्रिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम भी दर्ज हो गया है जेडीयू को बिहार में अपना वर्चस्व बनाना था इसलिए 101 सीटों पर चुनाव लड़ कर 85 सीटे मिली जो पहले से अच्छा प्रदर्शन रहा है नीतीश कुमार में ऐ खासियत है कि गरीबों के भल्रे के लिए काम करते हैं इसलिए दारू बन्द कराई जिससे बिहार में राजस्व की काफी कमी हुई जो दिल्ली की आम आदमी पार्टी के शासन में शराब ही उसको ले डूबी, अतः बिहार में नीतीश कुमार कुछ बड़ा करेंगे क्योंकि कब वो पाला बदल लेंगे ऐ क़ोई नहीं जानता और बीजेपी की मज़बूरी है सरकार में रहने के लिए नीतीश का साथ विधानसभा में बुलडोजर के एक्शन में कुछ नहीं बोला लेकिन उप मुख्य मंत्री व गृहमंत्री सम्राट चोधरी ने बुलडोजर से पल्ला झाड़ लिया उप्र में योगीजी के राज में चल रहे बुलडोजर बिहार के पैटर्न पर नहीं है वो अपराधी, माफियाओ, दंगा करने वाले को लेकर ज्यादा केंद्रित है जिससे दोषियों को सज़ा देने हेतु है लेकिन बिहार में चल रहे बुलडोजर कुछ अलग किस्म का है कॉरिडोर अयोध्या में चले बुलडोजर का सीधा असर उप्र में लोकसभा के चुनाव में देखने को मिला बाद में जब समझ आई तो शायद कम हुई जो और भी मथुरा वृन्दावन कॉरिडोर के लिए था वो अब कहीं नजर नहीं आ रहा क्योंकि चुनाव भी साल भर में आने वाले हैं नीतीश कुमार के अंदर ऐ दर्द जरूर है क्योंकि करना होता तो 20 साल से सरकार थी पहले ही कर चूके होते आप गूगल मैप पर बिहार के पुल को देखिये ऊपर पूल है और पूल के निचे सब्जी की दुकान ऐसा नहीं है कि ऐ सिर्फ बिहार में है हमने गुजरात में अहमदाबाद और सूरत में भी देखा है फेरीवाला और सब्ज़ी बेचने वाले को अतः ऐ सिर्फ एक प्रदेश की समस्या नहीं है बहुत से राज्यों में मिलेगा और उस इलाके में बसूली भी होती है हालांकि ऐ सही नहीं है लेकिन अगर किसी गरीव का धंधा ख़त्म होता है तो फिर पैसा कमाने के लिए चोरी छीनाझोरी अपराध बढ़ेंगे और ऐसे में दोनों पहलू पर विचार करना चाहिए क्योंकि इससे पढ़े लिखे लोगों को भी शायद ठीक नहीं लगता है क्योंकि कभी वो गरीबी का दर्द समझकर आगे निकले होंगे अतः निश्चित रूप से नीतीश कुमार अभी खामोश हैं लेकिन जल्द ही उनके ख़ामोशी का मतलब भी समझ आएगा तब तक देर हो चुकी होगी अतः गरीबी ख़त्म करने और माफियाओ से मुक्ति चाहिए तभी सामानता का अधिकार समझ आएगा क्या रीड के किनारे सिग्नल पर महानगरो में फेरी वाला सड़क पर सामान नहीं बेचता है पुल के निचे नहीं सो रहा है क्या ऐ कानूनी रूप से मान्य है लेकिन गरीब है तो करें तो क्या करे भगवान राम ने हमें हमेशा गरीबों की सेवा के लिए ही त्याग का भाव समझाया है अतः गरीबों की सेवा ना भी करें लेकिन उसके दर्द को समझना चाहिए। ईएमएस/06 दिसंबर2025