सैटेलाइट इमेज से पता लगाएंगे कि इलाके में खाली जमीन है या भवनों का निर्माण हुआ है भोपाल (ईएमएस)। मध्य प्रदेश में नई कलेक्टर गाइडलाइन बनाने की तैयारी शुरू हो गई है, इसके लिए एआई व संपदा टू सॉफ्टवेयर की मदद से सर्वे किया जा रहा है। इस सर्वे में पता लगाया जा रहा है कि किस जिले में कहां पर अधिक दाम पर रजिस्ट्रियां हुई हैं। इसी डाटा के आधार पर ही प्रापर्टी के दाम तय किए जाएंगे। बता दें कि अभी ऑनलाइन माध्यम से सर्वे किया जा रहा है, इसके बाद राजस्व व पंजीयन अधिकारी जमीनी स्तर पर भी उन क्षेत्रों का सर्वे करेंगे, जहां पर तेजी से प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त की जा रही है। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2026-27 की कलेक्टर गाइडलाइन बनाने के महानिरीक्षक पंजीयन ने आदेश जारी कर दिए हैं, जिसके तहत फरवरी तक जिला मूल्यांकन समितियों को गाइडलाइन का प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड को भेजना है। सैटेलाइट इमेज निकाली जा रही अधिकारी खंगाल रहे डाटा सभी जिलों में कलेक्टर गाइडलाइन तय करने के लिए राजस्व अधिकारी और सब रजिस्ट्रार पिछले पांच वर्ष का डाटा खंगाल रहे हैं। इसमें यह पता लगाया जा रहा है कि किन क्षेत्रों में बढ़ी हुई दरों पर रजिस्ट्रियां हुई हैं। उन क्षेत्रों की सैटेलाइट इमेज निकाली जा रही है, जिससे यह पता लग सके कि वहां सिर्फ जमीन की खरीद-फरोख्त हुई है या फिर वहां पर निर्माण कार्य भी हुआ है। बता दें कि अभी तक दरें तय करने के लिए रजिस्ट्रियों को ही आधार बनाया जाता था, लेकिन अब इसके साथ सेटेलाइट इमेज, एआइ और फील्ड रिपोर्ट का विश्लेषण किया जा रहा है। अत्यधिक दरों पर हुईं चार लाख रजिस्ट्रियां मध्य प्रदेश में पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग चार लाख रजिस्ट्रियां कलेक्टर गाइडलाइन की तय दरों से अधिक पर हुईं। खरीदारों ने एक से 30 प्रतिशत दाम बढ़ाकर अत्यधिक दरों पर रजिस्ट्रियां कराईं थीं। रजिस्ट्रेशन और स्टाम्प विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार मध्य प्रदेश में डेढ़ लाख जगह ऐसी हैं, जहां सरकार द्वारा निर्धारित दाम से अधिक पर रजिस्ट्री की संख्या बढ़ी है। विनोद/ 6 दिसम्बर /2025