आत्मनिर्भरता, ग्रामोदय, प्राकृतिक खेती और पूर्व छात्रों की भूमिका पर आचार्य देवव्रत के प्रेरक विचार अहमदाबाद (ईएमएस)| गुजरात विद्यापीठ द्वारा अहमदाबाद में आयोजित स्नातक संघ सम्मेलन के समापन समारोह में राज्यपाल तथा गुजरात विद्यापीठ के कुलाधिपति आचार्य देवव्रत ने गांधीवादी शिक्षा, आत्मनिर्भरता, ग्रामीण विकास और प्राकृतिक खेती के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। राज्यपाल ने महादेव देसाई पुरस्कार से सम्मानित भगवानदास पटेल सहित सभी विशिष्ट पूर्व छात्रों को हृदयपूर्वक बधाई दी। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्था की सबसे बड़ी संपत्ति उसके स्नातक होते हैं, जो संस्था की प्रतिष्ठा और गौरव के वास्तविक वाहक हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि गुजरात विद्यापीठ के ट्रस्टी मनसुख पटेल को हाल ही में जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य तथा सामाजिक उत्थान में उनके लंबे और महत्वपूर्ण योगदान की राष्ट्रीय मान्यता है। राज्यपाल ने उन्हें भी बधाई दी। राज्यपाल ने कहा कि इस वर्ष आयोजित स्नातक संघ सम्मेलन और पूर्व सम्मेलन के बीच लगभग आधी सदी का अंतर था। इस टूट चुकी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए कुलपति डॉ. हर्षद पटेल, रजिस्ट्रार डॉ. हिमांशु पटेल और पूरी टीम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात विद्यापीठ के स्नातक ही संस्था की सबसे बड़ी शक्ति हैं। उन्हें पुनः जोड़ना, गांधीवादी परंपरा को सुदृढ़ करना और नई पीढ़ी को इससे जोड़ना प्रशंसनीय कार्य है। राज्यपाल ने बताया कि गुजरात विद्यापीठ ने स्थापना के बाद से लगभग 28,000 छात्रों को समाज को समर्पित किया है। इनमें से 8,000-10,000 पूर्व छात्रों से इस संघ के माध्यम से संपर्क किया गया, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। महत्मा गांधी द्वारा 1920 में स्थापित विद्यापीठ की मूलभावना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि गांधीजी का उद्देश्य केवल डिग्री देना नहीं था, बल्कि ऐसे युवाओं और महिलाओं का निर्माण करना था जो स्वावलंबी, आत्मनिर्भर, देशभक्त, सेवा-भाव से प्रेरित हों और भारतीय संस्कृति, सत्य, अहिंसा तथा नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण कर ग्रामीण उत्थान में योगदान दें। उन्होंने कहा कि यदि आज गांधीजी जीवित होते, तो वे रासायनिक एवं ज़हरीली खेती का कड़ा विरोध करते और देशी गाय आधारित प्राकृतिक, ज़हरमुक्त खेती के सबसे प्रमुख समर्थक होते। राज्यपाल ने विद्यापीठ की “ग्राम उत्थान यात्रा” का विशेष उल्लेख करते हुए बताया कि पिछले दो वर्षों में लगभग 2,000 विद्यार्थियों तथा 300 से अधिक शिक्षकों और स्टाफ सदस्यों की टीमों ने करीब 15,000 गाँवों का दौरा किया। इन यात्राओं के माध्यम से प्राकृतिक खेती, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, स्वदेशी, स्वच्छता, सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने जैसे मुद्दों पर व्यापक जनजागृति लाई गई है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से प्रकृति, जल, पर्यावरण, मानव स्वास्थ्य और किसान सभी का कल्याण संभव है, और यह विचार गांधीवादी सोच से ही उत्पन्न होता है। राज्यपाल ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले पूर्व छात्रों का विशेष आभार मानते हुए कहा कि ग्राम उत्थान यात्रा की सफलता में उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि उन्होंने छात्रों के भोजन, आवास और अन्य व्यवस्थाओं की ज़िम्मेदारी निभाई। राज्यपाल ने गांधीजी के जीवन के कई प्रेरक प्रसंगों का उल्लेख किया, चंपारण आंदोलन, स्वच्छता, आत्मनिर्भरता, स्वदेशी आंदोलन, जो राष्ट्रनिर्माण की आधारशिला बने। उन्होंने कहा कि गांधीजी ऐसी मशीनों का समर्थन करते थे जो मानव उत्पादकता बढ़ाएँ, लेकिन मनुष्य को विस्थापित न करें। इसी सोच के चलते चर्खा स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बना। उन्होंने गुजरात विद्यापीठ के पूर्व कुलाधिपति सरदार वल्लभभाई पटेल की भी प्रशंसा करते हुए बारडोली सत्याग्रह में किसानों को संगठित करने और अंग्रेजी शासन के विरुद्ध निर्णायक भूमिका निभाने के उनके ऐतिहासिक योगदान का उल्लेख किया। राज्यपाल ने कहा कि अहिंसा, सत्य, एकता और आत्मविश्वास ये चार स्तंभ किसी भी राष्ट्र को मजबूत बनाते हैं और सरदार पटेल का जीवन इन मूल्यों का जीवंत उदाहरण था। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे पूर्व छात्रों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखें, उनके अनुभवों से सीखें, गांधीजी के स्वदेशी, आत्मनिर्भरता और सेवा के संदेश को अपने जीवन में अपनाएँ और राष्ट्रनिर्माण की चुनौतियों के लिए स्वयं को तैयार करें। उन्होंने कहा कि छात्र-जीवन में दो जन्म होते हैं, एक माँ से और दूसरा गुरु के आश्रम में शिक्षा प्राप्त करते समय। इसलिए शिक्षक और संस्था के प्रति ऋण को जीवनभर याद रखना चाहिए। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए आशा व्यक्त की कि गुजरात विद्यापीठ नए उत्साह, नए संकल्प और गांधीवादी विचारधारा के साथ आगे बढ़ेगा, समाजिक कार्यकर्ताओं, चरित्रवान, आत्मनिर्भर और देशभक्त युवाओं का निर्माण करेगा, तथा ग्रामीण उत्थान के माध्यम से भारत को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प को साकार करेगा। कार्यक्रम में कुलपति डॉ. हर्षद पटेल, लोकभारती विश्वविद्यालय के कुलाधिपति अरुण दवे, गुजरात विद्यापीठ स्नातक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष चंदु पटेल, विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, अध्यापकगण, पूर्व छात्र और वर्तमान विद्यार्थी उपस्थित रहे। सतीश/07 दिसंबर