:: अधिकार से पहले कर्तव्य जरूरी, जब तक राष्ट्र चरित्र ऊँचा नहीं उठेगा, व्यक्ति का उत्थान संभव नहीं : महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद इंदौर, (ईएमएस)। व्यक्ति, परिवार और समाज को दिशा देने वाले विचारों से ओतप्रोत, बिजासन रोड स्थित अविनाशी अखंड धाम आश्रम पर चल रहे 58वें अखिल भारतीय अखंड वेदांत संत सम्मेलन में आज राष्ट्रीय चरित्र और नैतिक मूल्यों पर गहन चिंतन हुआ। देशभर से पधारे संतों और विद्वानों ने एक स्वर में राष्ट्र धर्म को सर्वोपरि बताते हुए सनातन संस्कृति के संवर्धन के लिए संगठित होने का आह्वान किया। आर्ष विद्या प्रतिष्ठान के महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, व्यक्ति से ही परिवार, समाज और राष्ट्र का निर्माण होता है। उन्होंने आज की बड़ी समस्या, वाणी के प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, जब तक राष्ट्र का चरित्र ऊंचा नहीं उठेगा, तब तक सामाजिक और व्यक्तिगत चरित्र भी नहीं बनेंगे। राष्ट्र चरित्र को ऊंचा उठाना आज की पहली जरूरत है। उन्होंने अधिकार के साथ कर्तव्य के संतुलन पर ज़ोर देते हुए कहा कि हम लगातार अधिकार की बात तो करते हैं, लेकिन कर्तव्य के प्रति उदासीन बने हुए हैं। उन्होंने वेदांत संत सम्मेलन जैसे आयोजनों को नैतिक मूल्यों के संकट से जूझ रहे समाज और राष्ट्र के लिए हर दृष्टि से प्रासंगिक बताया। :: मंत्री, सांसद सहित जनप्रतिनिधियों ने लिया आशीर्वाद :: मुंबई से आए महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती के सानिध्य में आयोजित इस धर्मसभा में राज्य के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, विधायक सुश्री उषा ठाकुर, पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय, सुदर्शन गुप्ता, पार्षद संध्या यादव, पार्षद शिखा संदीप दुबे सहित अनेक गणमान्य अतिथियों ने संतों और विद्वानों का अभिनन्दन किया और शुभाशीष प्राप्त किए। मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि अखंड धाम जैसी पवित्र भूमि पर हो रहा यह संत सम्मेलन हमारे समाज को नयी चेतना और ऊर्जा प्रदान करेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व और संत समाज के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि आज पूरे विश्व पटल पर देश का नाम सम्मान और गौरव के साथ लिया जा रहा है तो इसमें संतों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने इंदौर को देवी अहिल्या की नगरी बताते हुए कहा कि धर्म और संस्कृति की पावन धारा यहाँ हमेशा प्रवाहित होती रही है। सांसद शंकर लालवानी और विधायक सुश्री उषा ठाकुर ने भी संतों का स्वागत किया। इस अवसर पर अयोध्या से आई 10 वर्षीय बालिका आहुति शुक्ला ने अपने ओजस्वी प्रवचन एवं काव्यमय प्रस्तुतियां देकर सभी को भाव विभोर बनाए रखा। अतिथियों ने बालिका आहुति का सम्मान कर उसके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं। :: संतों ने किया ज्वलंत विषयों पर मार्गदर्शन :: आश्रम के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप की अध्यक्षता में आयोजित सम्मेलन में हरिद्वार-वृंदावन से आए महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश्वरानंद, रतलाम से आए महामंडलेश्वर स्वामी देवस्वरूप, साध्वी आदित्य चेतना गिरि, नैमिषारन्य से आए स्वामी पुरुषोत्तमानंद, वृंदावन से आए स्वामी केशवाचार्य, डाकोर से आए स्वामी देवकीनंदन दास, चौबारा जागीर के स्वामी नारायणानंद, उज्जैन के स्वामी परमानंद, संत राजानंद एवं अन्य संत विद्वानों ने भी अनेक ज्वलंत और सामयिक विषयों पर अपने प्रेरक विचार व्यक्त किए। स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती (मुंबई) : उन्होंने कहा कि संसार में सुख है, पर शांति की कमी है। वेदांत से दुखों की निवृत्ति और मोक्ष की प्राप्ति संभव है। निष्काम भाव से कर्म करके उन्हें ईश्वर के प्रति समर्पित करना ही सद्गुणों की प्राप्ति का मार्ग है। स्वामी देवस्वरूप (रतलाम) : मनुष्य का मन हमेशा संकल्प-विकल्प से घिरा रहता है। संतों का समागम ही पहली भक्ति है, जो हमें आत्मा के सत्य, आनंद और चैत्य स्वरूप को पहचानने में मदद करती है। स्वामी जगदीश्वरानंद (हरिद्वार-वृंदावन ) : उन्होंने संसार के मोह माया के जंजाल से मुक्ति के लिए वेदों, धर्म ग्रंथों, सद्गुरु और सत्संग की आवश्यकता पर जोर दिया। साध्वी आदित्य चेतना गिरि : उन्होंने कहा कि सनातन धर्म, वेद-वेदांत और धर्म-संस्कृति हमारे जीवन का अनिवार्य अंग है, और इसे कोई भी शक्ति मिटा नहीं सकती। स्वामी पुरुषोत्तमानंद (नैमिषारन्य) : उन्होंने कहा कि हमारा देश भक्तों, संतों और ऋषि मुनियों की तपस्थली रहा है, इसलिए इस देश पर कभी आंच नहीं आ सकती। स्वामी केशवाचार्य (वृंदावन) : उन्होंने हमारी समृद्ध संस्कृति की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि हमें आततायी ताकतों के मुकाबले के लिए एकजुट होना पड़ेगा। स्वामी परमानंद (उज्जैन) : उन्होंने युवाओं के पश्चिमी राह पर चलने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्र धर्म के बिना सभी धर्म अधूरे हैं। डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप : उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में भारत ही विश्व का नेतृत्व करेगा, बशर्ते हम संगठित रहें। संत सम्मेलन का शुभारंभ संत राजानंद द्वारा गुरु वन्दना के साथ हुआ। आयोजन समिति की ओर से अध्यक्ष हरि अग्रवाल, अशोक गोयल, दीपक जैन टीनू, भावेश दवे सहित अनेक सदस्यों ने सभी मेहमानों का स्वागत किया। मंच का संचालन हरि अग्रवाल एवं स्वामी नारायणानंद ने किया। :: आज का कार्यक्रम :: अखंड धाम पर चल रहे 58वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन के पाँचवें दिन 8 दिसंबर को दोपहर 3 बजे से मुंबई से आए महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती के सान्निध्य एवं महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप की अध्यक्षता में दोपहर 3 बजे से वृंदावन से आए स्वामी जगदीश्वरानंद, रतलाम से आए महामंडलेश्वर स्वामी देवस्वरूप, चौबारा जागीर के स्वामी नारायणानंद, साध्वी आदित्य चेतना गिरि, उज्जैन से आए स्वामी परमानंद, संत राजानंद, नैमिषारन्य से आए स्वामी पुरुषोत्तमानंद, डाकोर से आए स्वामी देवकीनंदन दास सहित अनेक संत विद्वान अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। प्रकाश/07 दिसम्बर 2025 संलग्न चित्र : इंदौर। बिजासन रोड स्थित अविनाशी अखंड धाम आश्रम पर चल रहे 58वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन में राज्य के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट अयोध्या से आई 10 वर्षीय बालिका आहुति शुक्ला का सम्मान करते हुए।