क्षेत्रीय
08-Dec-2025
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इन्दौर (ईएमएस) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इन्दौर में जस्टिस प्रणय वर्मा की एकल पीठ ने पर्वतारोही भावना डेहरिया को विक्रम अवार्ड दिए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते कहा कि 2023 के एडवेंचर स्पोर्ट्स कैटेगरी के लिए राज्य सरकार द्वारा लिया गया निर्णय नियमों के अनुरूप है और इसमें किसी प्रकार की त्रुटि नहीं है। कोर्ट के इस निर्णय के बाद माउंट एवरेस्ट फतह कर प्रदेश का नाम रोशन करने वाली पर्वतारोही भावना डेहरिया को अब विक्रम अवॉर्ड मिलने का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने आज उनके चयन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी और राज्य सरकार के निर्णय को सही ठहराया। मामले में भावना की ओर से पैरवी एडवोकेट अनुनय श्रीवास्तव ने की। वहीं राज्य सरकार की ओर से डिप्टी एडवोकेट जनरल श्रेय राज सक्सेना ने प्रभावी तरीके से पक्ष रखा, जिसे न्यायालय ने स्वीकार किया। याचिका कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि भावना डेहरिया को विक्रम अवार्ड दिए जाने को चुनौती देते मधुसूदन पाटीदार द्वारा दायर याचिका में उन्होंने दावा किया था कि वे भावना डेहरिया से वरिष्ठ हैं और उन्हें ही पुरस्कार मिलना चाहिए। जिस पर सुनवाई दौरान कोर्ट ने पाया कि पाटीदार का एवरेस्ट आरोहण वर्ष 2017 का है, जो मध्य प्रदेश पुरस्कार नियम, 2021 के अनुसार निर्धारित पांच वर्ष की पात्रता अवधि से बाहर है। नियम 5 के अनुसार एडवेंचर स्पोर्ट्स कैटेगरी में केवल पिछले पाँच वर्षों के उपलब्धियों को ही मान्य किया जा सकता है। इस आधार पर कोर्ट ने कहा कि पाटीदार वर्ष 2023 के पुरस्कार के लिए पात्र ही नहीं थे, इसलिए उनका दावा सही रूप से अस्वीकार किया गया। कोर्ट ने अपने निर्णय ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा आवेदन आमंत्रित करने की प्रक्रिया वर्ष 2021, 2022 और 2023 में नियमों के अनुरूप रही है, इसलिए अपर्याप्त जानकारी या नोटिस न देने का आरोप भी टिकाऊ नहीं है। याचिका निर्मूल पाए जाने के बाद अब भावना डेहरिया को विक्रम अवॉर्ड प्रदान करने में कोई बाधा नहीं रही। राज्य सरकार जल्द ही उन्हें आधिकारिक समारोह में सम्मानित करेगी। आनन्द पुरोहित/ 08 दिसंबर 2025