खेल
08-Dec-2025
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:: कलारीपायट्टु कप में माँ ने जीता सिल्वर, 14 वर्षीय वेदांशी और 6 वर्षीय मणि ने झटके स्वर्ण पदक :: इंदौर (ईएमएस)। आचार्या वेदिका श्रीवास्तव ने केवल एक वर्ष में समाजसेवा, स्वास्थ्य जागरूकता और भारतीय पारंपरिक मार्शल आर्ट के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। उन्होंने पिछले वर्ष अपनी माँ को लिवर का हिस्सा दान कर न सिर्फ जीवनदान का साहस दिखाया, बल्कि अंगदान के प्रति समाज में संवेदनशीलता भी बढ़ाई। इस जीवनदायी निर्णय के बाद अब वह स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर के लिए भी क्वालीफाई कर चुकी हैं। सामाजिक योगदान के साथ ही, वेदिका ने अपनी बेटियों के साथ कलारीपायट्टु चैंपियन ऑफ चैंपियंस कप 2025 में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। वेदिका ने अत्यंत चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरे प्राचीन शस्त्र उरुमी (लचीली तलवार) के कौशलपूर्ण प्रदर्शन से रजत पदक अपने नाम किया। इस गौरव गाथा में उनकी बेटियाँ - 14 वर्षीय वेदांशी और 6 वर्षीय मणि भी शामिल हुईं, जिन्होंने अपनी-अपनी श्रेणियों में स्वर्ण पदक हासिल कर इस माँ-बेटियाँ त्रयी को एक ही मंच पर सम्मानित करवाया। तीनों ने यह उपलब्धि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी एवं कोच अश्विनी पाल के मार्गदर्शन में हासिल की। वेदिका ने कहा कि अंगदान किसी को सिर्फ जीवन ही नहीं, बल्कि नई उम्मीद देता है, और कलारीपायट्टु ने उन्हें मानसिक दृढ़ता, अनुशासन और आत्मविश्वास सिखाया है। कोच अश्विनी पाल ने इस परिवार के समर्पण को प्रेरणादायक बताते हुए विश्वास जताया कि यह परिवार भारतीय पारंपरिक मार्शल आर्ट की दुनिया में एक नई पहचान स्थापित करेगा। प्रकाश/08 दिसम्बर 2025