लेख
11-Dec-2025
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ईश्वर मौत दे देना किसी के कदमों मे मत झुकाना। स्वाभिमान बरकरार रखना। आधी रोटी से भूख मिटा देंगें रूखी सूखी खा लेंगे किसी से दाल नहीं मांगेगे ईमान की रोटी देना ईमान की रोटी मे मिठास बहुत होती है। अक्सर देखा गया है की लोग किसी को ऊपर उठाने के बजाए नीचे गिराने मे तत्पर रहते हैं। चरित्रहीन लोग आज दूसरों का चरित्र दागदार करने की फिराक मे रहते हैं हंसी मजाक उड़ाते हैं ऐसे लोग दूसरों से ईर्ष्या करते हैं कीचड़ उछालते हैं लेकिन ऐसे लोगों के मंसूबे पूरे नहीं होते वक़्त ऐसे लोगों को सबक सीखा देता है। वक़्त ने ऐसे लोगों को नेस्तनाबूद कर दिया इनके काले कारनामो को उजागर कर दिया। कुछ तथाकथित अमीर ऐसे इतराते हैं जैसे कुबेर के वंशज हो अपनी औकात भूल चुके हैं कभी दाने दाने को तसरने वाले आज महंगे होटलों मे ब्रेकफास्ट,डिनर करते हैं और दिखावा करते हैं व्हाट्सप्प और फेसबुक पर फोटो शेयर करते हैं। आदमी को अपना अतीत नहीं भूलना चाहिए। आज लोग एक दूसरे से बेबजह ही दुश्मनी रखते है। किसी का आदर सम्मान नहीं करते उल्टा अपमान करते है। आदमी क़ो अपना अतीत नहीं भूलना चाहिए क्यूंकि अतीत की परछाईयां मरते दम तक पीछा करती हैं। गरीबों का हक छिना जा रहा हैं लेकिन जब गरीब की बद्दुआ लगती है तो लोहा भी भस्म हो जाता हैं इसलिए गरीब क़ो मत सताओ। ईश्वर सजा जरूर देता हैं। आज मानव दिन रात अकूत धन् कमा रहा हैं लेकिन पल भर की खबर नहीं हैl आज लोग दूसरों के रास्ते में कांटे बिछाते हैं लेकिन एक दिन ऐसे लोगों क़ो उनके कर्मो की सजा जरूर मिलती हैं कर्म अनिश्चित हैं लेकिन फल निश्चित हैं। मानव क़ो ऐसे कर्म करने चाहिए की समाज याद कर सके। ऐसे लोगों की सहायता कीजिये जो जरूरत मंद हैं। वक़्त एक जैसा नहीं रहता राज क़ो रंक बनने में एक पल नहीं लगता अहंकार त्याग देना चाहिए। आदमी ताउम्र साम, दाम, दंड, भेद, जैसे हथकंडे अपनाकर पैसा इकट्ठा कर रहा हैं। आज लोग संवेदनहिन् हो गया हैं कौन जी रहा कौन मर रहा कोई सरोकार नहीं है। संवेदना मृतप्राय हो चुकी हैं। आधुनिक मानव स्वार्थ व मतलब तक सीमीत हो गया है। यह बहुत ही त्रासदी है। संस्कारों का अंतिम संस्कार होता जा रहा है। नैतिक मूल्यों का पतन हो चूका है। नैतिकता नाम की कोई चीज नहीं है लोग नैतिकता की अदालत में हार् रहे हैं। समाज के बुद्धिजीवी लोगों क़ो मंथन करना होगा नैतिक मूल्य क़ो बरकरार रखना होगा तभी समाज में नैतिकता बनी रहेगी। मंज़िल सबकी मौत है फिर यह नफ़रत, भेदभाव क्यों यह मोह माया क्यों जब पता है की एक दिन इस नशवर संसार से रुख़सत होना है तो यह गिले शिकवे क्यों। मानव ताउम्र भटकता रहता है धनलीपसा में मशगुल रहता हैं उल्टा सीधा काम करके माया क़ो इक्क्ठा कर रहा है आदमी क़ो पता है की यहाँ क़ोई अमर नहीं है। अच्छे कर्म कीजिये यही असली कमाई है। मौत का एक दिन मुकरर है मौत सबको आएगी अमर कोई नहीं रहा। आधुनिक मानव जर, जोरू, जमीन के लिए अपनों का खून कर रहा है रिश्तों का कत्लेआम कर रहा हैं। खुनी रिश्ते खत्म होते जा रहे हैं। इंसान क़ो कोई नहीं गिरा सकता इंसान ही इंसान क़ो गिरा रहा है। खुनी रिश्ते दरक रहे हैं इन रिश्तों क़ो बचाना चाहिए। अपने ही काम आते हैं दूसरे तमाशा देखते हैं। आज हालात बहुत ही खराब होते जा रहे हैं लोग सोशल मीडिया व व्हाट्सप्प पर व्यस्त रहते हैं चौबीस घंटे भी कम पड़ते जा रहे हैं अपनों के लिए समय ही नहीं हैं समय का अभाव होता जा रहा हैं। अपनों से मनमुटाव हैं मगर सात समंदर पार अजनवी के लिए समय ही समय हैं अपनों का कभी हाल नहीं पूछते लेकिन अजनबी लोगों की पल पल की खबर ली जाती हैं अपना आस पड़ोस ही काम आएगा विदेशी नहीं काम आएगा। इंसान बनो हैवानियत छोड़ दीजिये बुरे कर्मो को त्याग दीजिये कर्मो को सुधारिये। किसी को गुमराह मत कीजिये। अच्छा नहीं कर सकते तो बुरा भी मत कीजिये। मानव क़ो खुद क़ो इतना बुलंद करना चाहिए कि इस तदवीर से पहले ईश्वर बंदे से पूछे की बता तेरी रजा क्या है। मेहनत का फल जरूर मिलता है ईमानदारी से मेहनत कीजिये खून पसीने की रोटी मे मिठास होती है। कर्म करने वाले कभी भूखे नहीं मरते। मेहनत कीजिये अपने सपनों क़ो साकार कीजिये। ईमान की रोटी कमाओ और दान पुण्य करते रहो गरीबों की सहायता कीजिये। जीवन मे कभी किसी को गुमराह मत कीजिये अच्छी राह दीजिये। सफलता हासिल करना आसान है सफलता बनाये रखना कठिन है। सफलता क़े लिए मेहनत करनी पड़ती है। सफलता एक दिन में नहीं मिलती। आधुनिक मानव शॉर्टकट सफलता चाहता है लेकिन सफलता के लिए बहुत अंधेरों क़ो चीरना पड़ता हैl जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है कई बधाओं क़ो पार करना होता हैl गहरी खाईआँ व पथरीले रास्ते होते हैं उन पर चलने के लिए रास्ते बनाने पड़ते हैं खुद पगडण्डियां बनानी पड़ती है। पाँव छलनी हो जाते हैं पैरों में जख्म पड़ जाते हैं खून रिसता हैं जख्म नासूर बन जाते हैं तभी सफलता हासिल होती है। जीवन में कुछ भी नामुमकिन नहीं है हर चीज मुमकिन है बस इरादे मजबूत होने चाहिए जीवन की सभी जरूरतें पूरी हो जाती हैं। जीवन क़ो जिंदादिली से जिओ सदैव खुश रहिये। जीवन की महता समझे। मानव जीवन दुर्लभ है। मानव जीवन एक ही बार मिलता है बार बार नहीं मिलता। आज मानव में सहनशीलता खत्म होती जा रही है। मानव आज छोटी छोटी समस्या के कारण असफल होने पर अपना जीवन खत्म कर रहा है। लक्ष्य ऊँचा होना चाहिए। हर कठिन से कठिन समस्या का समाधान हो जाता है। मानव क़ो समस्यायों से डरना नहीं चाहिए बल्कि डटकर मुकाबला करना चाहिए। आज का मानव मेहनत करना ही नहीं चाहता मुफ्त की खाना चाहता है। उच्च शिक्षित लोग काम नहीं करना चाहते बाप दादा की सम्पति पर ऐशो आराम की जिंदगी जीना चाहते हैं। महंगी कार चाहिए महंगा मोबाइल चाहिए। सम्पति बेच रहे हैं और आलीशान भवन बना रहे हैं जमीने बेच कर धनासेठ बने हुए हैं। जमीन बेचने का बहुत चलन हो गया है। जमीन बेच कर कोई बड़ा नहीं बना है एक दिन कंगाल जरूर होता है। युवा नशा कर रहा है अपना जीवन तबाह कर रहा है। जीवन क़ो दाँव पर लगा रहा है। युवा नशे का गुलाम हो चूका है आज हालात बहुत ही बदतर होते जा रहे हैं। संस्कार नहीं हैं। संस्कार सबसे बड़ी पूंजी है। विरासत के पैसे पर ऐश हो रही है खुद एक रूपया तक नहीं कमाते जिस दिन खुद कमाओगे उस दिन एक रूपया खर्च करने से पहले हजार बार सोचेंगे। पैसों का दुरूपयोग कर रहे हैं। महंगे होटलों में खाना खाते हैं। महंगी शराब पीते हैं, महंगा नशा करते हैं। नशे के कारण आज युवा बेमौत मारे जा रहे हैं। जीवन क़ो गवाँ रहे हैं। जीवन क़ो मजाक समझते हैं और कम उम्र में जीवन खत्म कर रहे हैं। यह बहुत ही त्रासदी है। युवाओं के जीवन क़ो बचाना होगा। समाज क़ो मंथन करना होगा। तबाही क़ो रोकना होगा आने वाली पीढ़ियों क़ो बचाना होगा। जीवन मे बहुत खून पसीना बहाना पड़ता है। जीवन क़ो बचाओ मेहनत करो ईमान का पैसा कमाओ जीवन सुखमय हो जायेगा। हर इच्छा पूर्ण होगी बस परिश्रम करना पड़ेगा। (वरिष्ठ पत्रकार) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 11 ‎दिसम्बर /2025