लेख
11-Dec-2025
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एक सप्ताह से ज्यादा समय हो गया। इंडिगो के लाखों यात्री यहां से वहां परेशान हो रहे हैं। एयरलाइंस कंपनी ने डीजीसीए के नियमों का पालन नहीं किया। उसके बाद भी डीजीसीए अतिरिक्त उड़ानों की अनुमति इंडिगो को देती चली गई। इंडिगो एयरलाइंस हवाई यात्रियों को भेड़-बकरी की तरह यहां से वहां मनमाने किराए पर लाने और लेजाने का काम कर रही थी। यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जा रहा था। यह कोई पहली बार नहीं हुआ, पिछले कई वर्षों से यात्रियों के साथ हवाई कंपनियां इसी तरह की लूट कर रहीं थी। सरकार और डीजीसीए चुपचाप तमाशा देख रही थी। पहली बार भारत के एयरपोर्ट में यात्रियों की यह बदहाली देखने को मिली है। इंडिगो एवं अन्य एयरलाइंस कंपनियों ने इस स्थिति का लाभ उठाते हुए बड़े पैमाने पर हवाई यात्रियों के साथ लूट करते हुए 5000 की टिकिट 15000 से लेकर 40000 तक में बेचने की मनमर्जी की। हाल ही में एयरलाइंस कंपनियों ने यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाकर 1 लाख रूपये तक में टिकिट बेची, इसके पहले एयरलाइन कंपनियों का ऐसा नंगा नाच देखने को कभी नहीं मिला था। एयरपोर्ट पर छोटे-छोटे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग कई घंटे से लेकर कई दिन तक परेशान होते रहे। उनका सामान एयरलाइंस कंपनी के पास जमा था। एयरपोर्ट में यात्रियों के खाने-पीने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया। बच्चों और महिलाओं का ध्यान भी नहीं रखा गया। इस मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की बेंच में हुई। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है, देशभर के एयरपोर्ट पर लाखों यात्री फंस गए। हजारों फ्लाइट कैंसिल हो गई। इस गंभीर संकट पर सरकार ने क्या किया? सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है। हाईकोर्ट ने सरकार और इंडिगो प्रबंधन से जवाब मांगा है। हवाई यात्रियों और आम नागरिकों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जिस तरह से इस मामले की सुनवाई की गई है, सरकार, एयरलाइन कंपनियों को जिस तरह से जिम्मेदार माना है, उससे आम नागरिकों के बीच न्याय व्यवस्था पर भरोसा देखने को मिला है। जिन हवाई यात्रियों को संकट का सामना करना पड़ा है। न्यायपालिका ने स्वयं संज्ञान नहीं लिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करने से मना कर दिया। हाईकोर्ट ने जिस तरह की वैकल्पिक व्यवस्था दी है, उससे लोगों का भरोसा न्याय पालिका के प्रति बढ़ा है। हाईकोर्ट ने कहा एयरलाइन कंपनी तुरंत मुआवजा देने की व्यवस्था करे। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है, इस मामले की जांच कर रही कमेटी की रिपोर्ट 22 जनवरी को सील बंद लिफाफे में कोर्ट मे प्रस्तुत की जाए। इंडिगो के कारण जो संकट आया है, इसकी स्वतंत्रत जांच कराई जाए। जिन लोगों की फ्लाइट कैंसिल हुई, वह एयरपोर्ट में फंसे रहे, अथवा उन्होंने महंगी टिकट लेकर अपनी यात्रा पुरी की है। ऐसे सभी मामलों में एयर लाइन कंपनी यात्रियों को मुआवजा दे। इस मामले में सांसदों ने ट्रिब्यूनल बनाने की मांग की है। हवाई क्षेत्र से जुड़े कैप्टन अमित सिंह का कहना है, कि संकट में फंसे यात्रियों को न्यूनतम 75000 का मुआवजा दिलाया जाए। हवाई यात्रा की सुरक्षा और यात्रियों के हितों को लेकर स्थाई नियम बनाए जाएं। अभी जो स्थिति बनी है। भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति ना हो। वरिष्ठ अधिवक्ता, सांसद विवेक तन्खा ने भी विमान सेवा में कमी को लेकर यात्रियों को जो तकलीफ हुई है, उसके लिए तुरंत मुआवजा दिलाने की मांग की है। उन्होंने भी हवाई कंपनियों और हवाई यात्रियों के लिए नए नियम बनाने की मांग की है। सांसद का कहना था, फ्लाइट में देरी होती है, सुरक्षा में लापरवाही बरती जाती है। ऐसी स्थिति में एयर लाइन कंपनियों के लिए नियम सख्त बनाने की जरूरत है। जब तक एयरलाइन कंपनियों की जिम्मेदारी तय नहीं की जाएगी, यात्रियों को हुए नुकसान का जब तक मुआवजा नहीं दिया जाएगा, तब तक इस तरह की लापरवाही एयर लाइन कंपनियाँ करती रहेंगी। भारत की साख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरा धक्का लगेगा। हाईकोर्ट के आदेश से हवाई यात्रियों में आशा की एक किरण जागी है, उनके साथ न्याय होगा। ईएमएस / 11 दिसम्बर 25