- हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, श्मशान की जमीन पर बिना अनुमति बना दी थी गौशाला - सरकारी धन की बर्बादी पर अब नपा के पूर्व दिग्गज भरेंगे हर्जाना गुना (ईएमएस)| नगरपालिका गुना में जनता के पैसे का दुरुपयोग करने वाले रसूखदारों पर कानूनी शिकंजा कस गया है। बांसखेड़ी मुक्तिधाम की जमीन पर नियम विरुद्ध तरीके से गौशाला और टीनशेड निर्माण के मामले में तत्कालीन अध्यक्ष, सीएमओ और इंजीनियरों पर गाज गिरी है। माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर खंडपीठ के कड़े आदेश के बाद, नगरपालिका ने पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र सिंह सलूजा और तत्कालीन सीएमओ पी.एस. बुंदेला सहित पांच लोगों को दोषी मानते हुए 24,96,086 रुपये की वसूली का आदेश जारी किया है। क्या था पूरा मामला? मामला साल 2018 का है, जब बांसखेड़ी मुक्तिधाम (मरघट शाला) के पास गौशाला निर्माण के लिए टीनशेड का ठेका मेसर्स डी.एस. टेलीकॉम को दिया गया था। जांच में पाया गया कि इस निर्माण से पहले जमीन का लैंड यूज (भूमि उपयोग) परिवर्तन नहीं कराया गया था। बिना वैधानिक अनुमति के श्मशान की भूमि पर सरकारी धन खर्च कर दिया गया। जब ठेकेदार का भुगतान रोका गया, तो मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने कहा- ठेकेदार निर्दोष, अधिकारी भरें पैसा उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि निर्माण कार्य में ठेकेदार की कोई गलती नहीं है। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि पब्लिक फंड के गलत इस्तेमाल की पूरी जिम्मेदारी तत्कालीन सीएमओ, नपा अध्यक्ष और संबंधित तकनीकी अधिकारियों की है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि ठेकेदार का भुगतान तुरंत किया जाए और यह राशि उन जिम्मेदार लोगों से वसूली जाए जिन्होंने नियम विरुद्ध काम कराया। 7 दिन का अल्टीमेटम, वरना होगी वैधानिक कार्रवाई मुख्य नगरपालिका अधिकारी द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि वर्तमान तकनीकी टीम द्वारा किए गए मापन के आधार पर कुल लागत 24.96 लाख रुपये तय की गई है। सभी दोषियों को 07 दिवस के भीतर यह राशि निकाय के बैंक खाते में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि तय समय में राशि जमा नहीं होती है, तो उनके विरुद्ध वैधानिक दंडात्मक कार्यवाही शुरू की जाएगी। इस आदेश के बाद शहर के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हडक़ंप मचा हुआ है। इन 5 चेहरों से होगी वसूली (सूची): राजेंद्र सिंह सलूजा, तत्कालीन अध्यक्ष, नपा गुना। पी.एस. बुंदेला, तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी। राकेश बिहारी गुप्ता, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री। हरीश श्रीवास्तव, तत्कालीन उपयंत्री। अशोक श्रीवास्तव, तत्कालीन शाखा लिपिक। - सीताराम नाटानी