क्षेत्रीय
13-Dec-2025
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वाराणसी (ईएमएस) । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मातृ संकाय कला संकाय ने 105वें दीक्षांत के तहत शनिवार को 2428 विद्यार्थियों को व्यक्तिगत रूप से उपाधियां प्रदान की। इनमें स्नातक के 1234, परास्नातक के 1012, तथा पीएचडी के 182 विद्यार्थी शामिल हैं।जहां 112 मेडल दिये गये। स्वतंत्रता भवन में आयोजित दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि भारतीय विरासत संस्थान (IIH), नोएडा, के कुलपति प्रो. बुद्ध रश्मि मणि, संकाय प्रमुख प्रो. सुषमा घिल्डियाल तथा विभिन्न विभागाध्यक्षों ने वर्ष 2025 की परीक्षा में सफल विद्यार्थियों को स्नातक, स्नातकोतर एवं पीएचडी की उपाधियां प्रदान कीं। अपने प्रेरक संबोधन में प्रख्यात पुरातत्त्वविद प्रो. मणि ने सफल विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से अपने आत्मीय संबंधों को स्मरण करते हुए प्रो. मणि ने बताया कि 1983–84 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में चयन के पश्चात उन्हें विश्वविद्यालय से विदा लेनी पड़ी, किंतु आज भी उनके हृदय में अपने विश्वविद्यालय, संकाय और विभाग के प्रति गहरा आदर, प्रेम एवं अनुराग विद्यमान है। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अपने तथा अपने परिवार की तीन पीढ़ियों के गहन ऐतिहासिक और भावनात्मक संबधों को याद किया। उन्होंने बताया कि उनके पितामह पं. चंद्रबली त्रिपाठी महामना पं. मदन मोहन मालवीय के निजी सचिव रहे, वहीं उनके परिवार के अन्य सदस्यों का भी विश्वविद्यालय के शैक्षणिक जीवन में उल्लेखनीय योगदान रहा है। भारतीय परंपरा में समावर्तन संस्कार के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि आज का दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के जीवन में उसी पावन परंपरा का आधुनिक रूप है, जहाँ विद्यार्थी ब्रह्मचर्य से गृहस्थाश्रम की ओर अग्रसर होता है। प्रो. मणि ने तैत्तिरीय उपनिषद् के वचनों, ‘सत्यम वद, धर्मम चर, मातृ देवों भव, पितृ देवों भव, आचार्य देवों भव, अतिथि देवों भव’ का उद्धरण करते हुए विद्यार्थियों से श्रेष्ठ आचरण के अनुकरण का आह्वान किया। उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी शोधार्थियों, स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के जीवन को ज्ञान, विद्या और मंगलकामनाओं से आलोकित होने की कामना की। समारोह के प्रारंभ में कला संकाय प्रमुख प्रो. सुषमा घिल्डियाल ने स्वागत उद्बोधन दिया। प्रो. घिल्डियाल ने कला संकाय की गौरवशाली परंपरा को रेखांकित करते हुए बताया कि संकाय में वर्तमान में 22 विभाग और छह केंद्र संचालित हैं। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विचारों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल डिग्रियाँ प्रदान करना नहीं, बल्कि सुयोग्य और सच्चरित्र नागरिकों का निर्माण करना है। इसी भावना के साथ उन्होंने कला संकाय के सभी विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ एवं बधाई दीं। धन्यवाद उद्बोधन में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ अनूप ने रेखांकित किया कि मुख्य अतिथि प्रो. मणि स्वयं कला संकाय के पूर्व छात्र रहे हैं, जिससे वर्तमान विद्यार्थियों को उनके आचरण एवं जीवन से विशेष प्रेरणा प्राप्त होती है। डॉ नरसिंह राम /13 दिसंबर2025