राज्य
14-Dec-2025
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बिलासपुर (ईएमएस)। शनिवार को कुटुम्ब न्यायालय परिसर में लगी नेशनल लोक अदालत 9 बिखरते रिश्तों को फिर से जोडऩे का मंच बनी। भरण-पोषण और वैवाहिक विवादों की फाइलें लेकर पहुँचे पति-पत्नी जब शाम को मुस्कुराते हुए एक साथ बाहर निकले, तो माहौल भावुक हो उठा। ऐसी ही एक कहानी गाँव से आई सीमा (बदला हुआ नाम) और उसके पति राहुल (बदला हुआ नाम) की है। दो साल से दोनों अलग रह रहे थे। छोटे-छोटे विवाद इतने बढ़ गए कि बात अदालत तक पहुँच गई। सीमा मायके में रह रही थी और राहुल काम के तनाव में अकेला। दोनों की आँखों में गुस्सा भी था और टूटे रिश्ते का दर्द भी। लोक अदालत में काउंसलर टी.आर. कश्यप और न्यायमित्रों ने दोनों को आमने-सामने बैठाया। पहले तो दोनों खामोश रहे, फिर धीरे-धीरे शिकायतें बाहर आईं। किसी ने टोका नहीं, किसी ने फैसला नहीं सुनाया—सिर्फ समझने की कोशिश हुई। बातचीत के दौरान जब बेटे की पढ़ाई और भविष्य की बात चली, तो दोनों की आँखें भर आईं। यही वह पल था, जब जमी हुई बर्फ पिघलने लगी। करीब एक घंटे की काउंसलिंग के बाद दोनों ने साथ रहने पर सहमति जता दी। कोर्ट रूम में बैठे लोग उस पल के गवाह बने, जब सीमा ने कहा—गलतियाँ दोनों से हुईं, पर परिवार बचाना जरूरी है। राहुल ने भी हाथ बढ़ाया और साथ चलने का वादा किया। आपसी सहमति से टूटे रिश्ते फिर जुड़े लोक अदालत के दौरान 129 प्रकरणों की सुनवाई कुटुम्ब न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश आलोक कुमार सहित तीन खण्डपीठों में कई प्रकरणों का आपसी सहमति से निराकरण हुआ। कुल 9 परिवार फिर से एक हुए और टूटने की कगार पर खड़े रिश्तों को नया सहारा मिला। न्यायाधीश आलोक कुमार ने कहा कि नेशनल लोक अदालत यह साबित करती है कि कानून सिर्फ फैसला सुनाने का माध्यम नहीं, बल्कि रिश्तों को बचाने की उम्मीद भी है। तीन खण्डपीठ में मामलों का हुआ निराकरण नेशनल लोक अदालत में भरण-पोषण, संरक्षकता एवं प्रतिपाल्य अधिनियम तथा दाम्पत्य पुनस्र्थापना से जुड़े प्रकरण रखे गए थे। प्रधान न्यायाधीश आलोक कुमार की खण्डपीठ में 68 प्रकरणों का समाधान किया गया, जिनमें 6 प्रकरणों में परिवार साथ-साथ रहने के लिए राजी हुए। प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश निरंजन चौहान की खण्डपीठ में 29 प्रकरणों का निराकरण किया गया। वहीं द्वितीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश स्वर्णलता टोप्पो की खण्डपीठ में 32 प्रकरणों का निराकरण हुआ, जिसमें 3 परिवारों का पुनर्मिलन कराया गया। इस कार्य में वरिष्ठ न्यायमित्र ए.एस. कुरैशी, वरिष्ठ न्यायमित्र प्रशांत गनोरकर एवं न्यायालयीन कर्मचारियों का विशेष योगदान रहा। मनोज राज/योगेश विश्वकर्मा 14 दिसंबर 2025