ज़रा हटके
17-Dec-2025
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वाशिंटन (ईएमएस)। मंगल ग्रह पर पानी के कई सबूत मिले हैं, इसमें प्राचीन महासागरों और नदियों के निशान (जैसे घाटी-नुमा संरचनाएं), सतह के नीचे बर्फ के रूप में पानी, और चट्टानों में पानी के साथ बने खनिज (जैसे हाइड्रेटेड मिनरल्स) शामिल हैं, जो बताते हैं कि अरबों साल पहले मंगल पर तरल पानी था और आज भी पानी बर्फ और चट्टानों के अंदर मौजूद है, और हाल ही में सतह के नीचे बड़े तरल पानी के भंडारों का पता चला है, जिससे जीवन की संभावना बढ़ जाती है। मंगल ग्रह से आए उल्कापिंडों में 4.45 अरब साल पुराने जिरकॉन क्रिस्टल मिले हैं, जो बताते हैं कि तब मंगल पर पानी मौजूद था, जो जीवन के लिए ज़रूरी था। मंगल की सतह पर नदियों और झीलों जैसी संरचनाएं (ब्रांचिंग वैली नेटवर्क) मिली हैं, जो बताती हैं कि कभी वहां पानी बहता था, ठीक वैसे ही जैसे पृथ्वी पर नदियां बहती हैं। मिट्टी और सल्फेट जैसे खनिज, जो केवल पानी की मौजूदगी में बनते हैं, मंगल पर पाए गए हैं, जो पानी के इतिहास का संकेत देते हैं। नासा के इनसाइट लैंडर और अन्य अध्ययनों से पता चला है कि मंगल की सतह से 10-20 किमी नीचे चट्टानों में फ्रैक्चर (दरारें) हैं, जिनमें इतना तरल पानी है कि वह एक पूरे सागर को भर सकता है। ध्रुवों पर और सतह के नीचे पानी की बर्फ (एच2ओ और सीओ2 की मिश्रित बर्फ) मौजूद है, जिसे मार्स ओडिसी जैसे मिशनों ने खोजा है। पहाड़ियों पर दिखने वाली काली धारियाँ (आरएसएलएस) खारे पानी (परक्लोरेट युक्त) के अस्थायी प्रवाह से बन सकती हैं, जो गर्मियों में पिघलकर रिसता है, हालाँकि इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं। ये सभी प्रमाण दर्शाते हैं कि मंगल ग्रह पर अतीत में एक नम और गर्म वातावरण था जिसमें बड़े पैमाने पर पानी था, और आज भी यह पानी बर्फ और चट्टानों के अंदर मौजूद है, जिससे भविष्य में जीवन और मानव मिशनों के लिए संभावनाएँ बनती हैं। आशीष/ईएमएस 17 दिसंबर 2025