क्षेत्रीय
17-Dec-2025
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कोरबा (ईएमएस) इस परिवर्तनशील संसार में जिसने जन्म लिया है, उसको मृत्यु निश्चित है। लेकिन जन्म लेना उसी का सार्थक है, जो अपने कार्यों से कुल, समाज और राष्ट्र को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर करता है। महाराजा भतृहरि के इन महावाक्यों को चरितार्थ करता चौधरी मित्रसेन आर्य का जीवन सत्य, संयम और सेवा का अद्भुत मिश्रण रहा। इनके लिए स्वहित को छोड़ मानव हित ही सर्वोपरि रहा। 15 दिसंबर 1931 को हरियाणा के हिसार जिले के खांडा खेड़ी गाँव में चौधरी श्रीराम आर्य के घर में माता जीवो देवी की कोख से चौघरी मित्रसेन आर्य का जन्म हुआ। अपने पूर्वजों से मिले संस्कार व अपनी पत्नि के साथ चौघरी मित्रसेन जी सन् 1957 में रोहतक में एक लेथ मशीन के साथ अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। एक गृहस्थ व व्यवसायी होते हुए भी उन्होंने अपने जीवन में ऐसे आदर्श स्थापित किए जिन्हें यदि हम अपना लें तो रामराज्य की कल्पना साकार की जा सकती है। श्री चौधरी के विचार थे हमें हर कार्य को करने पहले यह सोच लेना चाहिए कि इसके करने से सबका हित होगा या नहीं यदि व्यक्तिगत रुप से लाभ लेने वाला कोई कार्य समाज के लिए अहितकर है, तो उस कार्य को कदापि नहीं करना चाहिए। ऐसे महान विभूति के जन्मदिवस के पावन अवसर पर कोरबा-पश्चिम क्षेत्र अंतर्गत दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में विशेष प्रातःकालीन सभा एवं पूजन का आयोजन किया गया। प्रातः प्रार्थना स्तुति के पश्चात वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन का विशेष आयोजन किया गया। पूजन में विद्यालय के समस्त शिक्षक-शिक्षिकाओं ने चौधरी मित्रसेन आर्य के तैल्य चित्र में पुष्प अर्पित किया। विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएँ एवं बच्चों तथा कर्मचारियों ने पूजन में भाग लेकर चौधरी मित्रसेन के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की कार्यक्रम का संचालन कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों ने बहुत ही सुंदर प्रातःकालीन सभा की प्रस्तुति दी। विद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष हेमलाल श्रीवास ने चौधरी मित्रसेन आर्य के जीवन की प्रेरक घटनाओं से विद्यार्थियों को परिचित कराया, साथ ही ओजमयी कविता के माध्यम से विद्यार्थियों में उत्साह का संचार किया। संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉक्टर योगेश शुक्ला ने वैदिक मंत्रोच्चारण से विद्यालय का वातावरण विशुद्ध कर दिया। पूजन एवं पुष्प अर्पण कार्यक्रम के दौरान निरंतर वैदिक मंत्रों का उच्चारण एवं जाप किया जाता रहा। पूरा विद्यालय परिसर आध्यात्मिकता से सराबोर हो गया। इस अवसर पर विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक एवं शैक्षणिक प्रभारी सब्यसाची सरकार ने कहा कि जीवन पर्यन्त परोपकार एवं परहित के आदर्श पर चलने वाले और समाज को एक दिशा और दृष्टि देने वाले चौधरी मित्रसेन भौतिक रुप से आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार कार्य और उनकी दृष्टि युगों-युगों तक भावी पीढ़ी हेतु एक प्रेरणास्त्रोत रहेगी। बेटियों की शिक्षा-दीक्षा एवं उनकी सुरक्षा के प्रति श्री चौधरी ने अभूतपूर्व कार्य किये हैं। पूजन के पश्चात विद्यालय के बच्चों द्वारा एक भजन प्रस्तुत किया गया तथा एक नृत्य नाटिका के माध्यम से चौधरी मित्रसेन आर्य के जीवन पर प्रकाश डालकर उनके संघर्षों एवं सफलताओं से परिचित करवाया गया। पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से सभी बच्चों चौधरी मित्रसेन आर्य की जीवनी एवं उनके कार्यों के बारे में बताया गया। इसके पश्चात उनके जीवन से संबंधित प्रष्नोत्तरी का आयोजन शिक्षकों के द्वारा किया गया। कक्षा 6वीं से 9वीं तक के विद्यार्थियों के लिए चौधरी मित्र सेन की उपलब्धियों एवं जीवन पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें सभी विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़‌कर भाग लिया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं विद्यार्थियों का विशेष सहयोग रहा। इस पावन अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि दुनिया में कुछ ही विरले लोग ऐसे होते हैं जो अपने सत्कमों के पचिन्ह छोड़ जातें हैं। जो दूसरों के लिए हमेशा अनुकरणीय होते हैं। चौधरी मित्र सेन ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे। वे जीवनभर हमारे लिए मिसाल एवं प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे। 17 दिसंबर / मित्तल