अफ्रीका के हृदय कहे जाने वाले इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा केवल एक कूटनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि भारत-इथियोपिया के हजारों वर्ष पुराने संबंधों को नई ऊर्जा देने वाला ऐतिहासिक क्षण बन गया। जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी अदीस अबाबा के बोले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे, वहां आत्मीयता, सम्मान और अपनत्व का ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने दोनों देशों के रिश्तों की गहराई को स्पष्ट कर दिया। इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली स्वयं प्रोटोकॉल तोड़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने पहुंचे और सबसे विशेष बात यह रही कि वे खुद कार चलाकर प्रधानमंत्री मोदी को एयरपोर्ट से होटल तक लेकर गए। यह दृश्य केवल औपचारिकता नहीं था, बल्कि अफ्रीकी संस्कृति में मित्रता और भरोसे का प्रतीक माना जाता है। एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी का पारंपरिक अंदाज में स्वागत किया गया। इथियोपिया की सांस्कृतिक पहचान मानी जाने वाली पारंपरिक कॉफी सेरेमनी के माध्यम से उनका अभिनंदन हुआ। यह रस्म इथियोपिया में सम्मान और अपनत्व का सबसे बड़ा प्रतीक मानी जाती है। प्रवासी भारतीयों ने “भारत माता की जय” और “मोदी-मोदी” के नारों के साथ प्रधानमंत्री का स्वागत किया। ढोल-नगाड़ों, पारंपरिक नृत्यों और भारतीय तिरंगे के बीच पूरा माहौल उत्सव में बदल गया। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस गर्मजोशी को महसूस करते हुए कहा कि इथियोपिया की धरती पर आकर उन्हें अपनेपन का अहसास हो रहा है। इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण क्षण तब आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इथियोपिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान द ग्रैंड ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इथियोपिया से सम्मानित किया गया। यह सम्मान इथियोपिया की ओर से किसी विदेशी नेता को दिया जाने वाला सर्वोच्च अलंकरण है। सम्मान स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसे 140 करोड़ भारतीयों का गौरव बताया और कहा कि यह सम्मान भारत और इथियोपिया की साझा मित्रता, साझा मूल्यों और साझा भविष्य का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अफ्रीका के साथ साझेदारी को अपने शर्तों पर नहीं, बल्कि अफ्रीका की जरूरतों और प्राथमिकताओं के अनुसार आगे बढ़ाना चाहता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इथियोपिया की संसद को भी संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत और इथियोपिया केवल रणनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि सभ्यतागत साथी हैं। उन्होंने याद दिलाया कि जब भारत औपनिवेशिक शासन से जूझ रहा था, तब इथियोपिया भी स्वतंत्रता और स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रहा था। दोनों देशों ने कभी एक-दूसरे के खिलाफ हथियार नहीं उठाए और हमेशा शांति, संप्रभुता और समानता के सिद्धांतों का समर्थन किया। प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री अबी अहमद अली के बीच द्विपक्षीय बैठक भी हुई, जिसमें व्यापार, निवेश, रक्षा सहयोग, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और डिजिटल साझेदारी जैसे कई अहम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत-इथियोपिया संबंध अब केवल सहयोग तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इन्हें रणनीतिक साझेदारी में बदला जाएगा। आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई पर भी दोनों नेताओं के विचार एक जैसे दिखाई दिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इसके समर्थन या औचित्य को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। इथियोपिया की ओर से आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने धन्यवाद भी दिया। व्यापार और आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में भारत और इथियोपिया के संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इथियोपिया में भारत सबसे बड़ा निवेशक है और भारत, इथियोपिया के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में शामिल है। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार भारत से इथियोपिया को होने वाला निर्यात लगभग 4433 करोड़ रुपये का है, जबकि इथियोपिया से भारत का आयात करीब 442 करोड़ रुपये का है। यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि दोनों देशों के बीच व्यापार की अपार संभावनाएं हैं और भविष्य में इसे और बढ़ाया जा सकता है। भारत इथियोपिया को मुख्य रूप से लोहा और स्टील, दवाइयां और फार्मास्युटिकल उत्पाद, मशीनरी, औद्योगिक उपकरण, ऑटोमोबाइल पार्ट्स और इंजीनियरिंग सामान का निर्यात करता है। भारतीय फार्मा कंपनियां इथियोपिया के स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और वहां सस्ती तथा गुणवत्तापूर्ण दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही हैं। वहीं इथियोपिया से भारत दालें, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर, तिलहन बीज, चमड़ा और मसालों का आयात करता है। इथियोपिया का कॉफी उद्योग भी विश्व प्रसिद्ध है और भारत के लिए इसमें सहयोग की नई संभावनाएं हैं। भौगोलिक दृष्टि से देखें तो भारत और इथियोपिया के बीच की दूरी लगभग साढ़े चार से पांच हजार किलोमीटर के आसपास है। नई दिल्ली से अदीस अबाबा की हवाई दूरी करीब 4500 किलोमीटर मानी जाती है। इतनी दूरी के बावजूद दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और भावनात्मक निकटता इस यात्रा में साफ दिखाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दूरी कभी भी दिलों के बीच की नजदीकी को कम नहीं कर सकती, अगर सोच और लक्ष्य एक जैसे हों। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी रेखांकित किया कि भारत और इथियोपिया दोनों ही ग्लोबल साउथ के प्रमुख साझेदार हैं। विकासशील देशों की आवाज को वैश्विक मंच पर मजबूती से रखने में दोनों देशों की भूमिका अहम है। जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, खाद्य सुरक्षा और वैश्विक असमानता जैसे मुद्दों पर भारत और इथियोपिया के विचार मिलते-जुलते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इथियोपिया की आर्थिक प्रगति और अफ्रीका में उसकी नेतृत्वकारी भूमिका की सराहना की। इस पूरे दौरे के दौरान जो बात सबसे अधिक उभरकर सामने आई, वह थी आपसी विश्वास और सम्मान। एयरपोर्ट पर आत्मीय स्वागत से लेकर सर्वोच्च सम्मान प्रदान करने तक, हर क्षण यह संदेश देता रहा कि भारत और इथियोपिया के रिश्ते केवल कागजी समझौतों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि दिल से जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा आने वाले वर्षों में भारत-इथियोपिया संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की नींव रखती है। अंततः कहा जा सकता है कि इथियोपिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत और उन्हें मिला सर्वोच्च सम्मान भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा का प्रतीक है। यह यात्रा अफ्रीका के साथ भारत की गहरी होती साझेदारी, ग्लोबल साउथ की मजबूत होती आवाज और एक ऐसे भविष्य की ओर इशारा करती है, जहां सहयोग, सम्मान और साझा विकास ही संबंधों की बुनियाद होंगे। (L 103 जलवन्त टाऊनशिप पूणा बॉम्बे मार्केट रोड, नियर नन्दालय हवेली सूरत मो 99749 40324 वरिष्ठ पत्रकार,साहित्यकार, स्तम्भकार) ईएमएस / 18 दिसम्बर 25