राष्ट्रीय
19-Dec-2025
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नई दिल्ली(ईएमएस)। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव को लेकर अहम चेतावनी दी है। उनका कहना है कि जो नौकरियां मुख्य रूप से संज्ञानात्मक कौशल पर आधारित हैं, उन पर एआई से प्रतिस्थापित होने का खतरा सबसे अधिक है। इससे दफ्तरी और प्रशासनिक कामकाज से जुड़े कर्मचारियों के बीच रोजगार छिनने की आशंका बढ़ गई है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एआई केवल नौकरियां खत्म करने वाली तकनीक नहीं है, बल्कि इसके जरिए नए क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृष्णन ने कहा कि एआई के कारण कंपनियों के सामने तात्कालिक लाभ कमाने का आकर्षण हो सकता है। कई संस्थान लागत घटाने के लिए तुरंत कर्मचारियों की जगह तकनीक अपनाने की ओर बढ़ सकते हैं, लेकिन ऐसा करते समय दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उनके मुताबिक, सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह रोजगार पर पड़ने वाले नकारात्मक असर और भविष्य में बनने वाले नए अवसरों दोनों के बीच संतुलन बनाए। उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार को होने वाली संभावित क्षति को लेकर चिंतित है, लेकिन साथ ही यह भरोसा भी है कि एआई नए तरह के काम और भूमिकाएं पैदा करेगा। यह बदलाव मुख्य रूप से पुनर्कौशल, कौशल उन्नयन और प्रतिभा विकास कार्यक्रमों के जरिए संभव होगा। इन पहलों में निजी क्षेत्र की भूमिका को भी बेहद अहम बताया गया है, ताकि कार्यबल को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जा सके। कृष्णन ने यह भी कहा कि सरकार एआई के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक उपयुक्त और संतुलित नियामकीय ढांचा तैयार कर रही है। उनका जोर इस बात पर है कि नियम इतने सख्त न हों कि नवाचार की रफ्तार ही थम जाए। उनके अनुसार, इस समय प्राथमिकता यह सुनिश्चित करने की है कि नई तकनीकें विकसित होती रहें और देश की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बनी रहे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एआई से जुड़ी संभावित हानियों से निपटने के लिए मौजूदा कानून फिलहाल पर्याप्त हैं और अत्यधिक नए नियम बनाने की आवश्यकता नहीं है। सरकार का फोकस जोखिमों को समझते हुए जिम्मेदार तरीके से तकनीक को आगे बढ़ाने पर है। एस. कृष्णन ने एआई को भारत और अन्य विकासशील देशों के लिए “जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर” बताया। उनके अनुसार, यह तकनीक भौगोलिक सीमाओं से परे जाकर विकास को गति दे सकती है और गरीब व विकासशील देशों को तेजी से आगे बढ़ने का मौका दे सकती है। एआई की मदद से ये देश उस रफ्तार को हासिल कर सकते हैं, जो उन्हें विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में ले जा सके। कुल मिलाकर, एआई का दौर चुनौतियों के साथ-साथ अपार संभावनाएं भी लेकर आया है। वीरेंद्र/ईएमएस/19दिसंबर2025