राष्ट्रीय
19-Dec-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मशहूर शनि शिंगनापुर मंदिर के प्रबंधन पर गंभीर चिंता जताकर कहा कि मंदिर ट्रस्ट ने प्रशासन को लेकर इतना संदेह पैदा कर दिया है कि मंदिर की सुरक्षा के लिए न्यायिक हस्तक्षेप जरुरी है। महाराष्ट्र सरकार और मंदिर प्रबंधन ट्रस्ट के बीच चल रहे विवाद की सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले और अहिल्यानगर कलेक्टर द्वारा जारी आदेश पर रोक लगा दी। यह मामला मंदिर के प्रशासन और वित्त पर नियंत्रण से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के तीर्थस्थल के प्रशासन में तत्काल सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया। सुनवाई के दौरान, महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मंदिर में 2,400 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं और वेतन एवं संबंधित खर्चों पर प्रति माह 2.5 करोड़ से अधिक खर्च होते हैं। राज्य ने गंभीर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाकर कहा कि ट्रस्ट के सदस्य चैरिटी कमिश्नर के समक्ष आरोपों का सामना कर रहे हैं। वहीं ट्रस्ट के वकील ने आरोपों को खारिज कर उन्हें राजनीतिक रूप से प्रेरित और आगामी चुनावों से जुड़ा बताया। उन्होंने कहा कि मंदिर का प्रबंधन वर्षों से ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है और चैरिटी कमिश्नर पहले ही खातों की जांच कर चुके हैं। वकील ने बताया कि कलेक्टर ने सितंबर में खातों का जिम्मा ले लिया था और 12 दिसंबर को ट्रस्ट को नोटिस जारी किया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कामकाज के पैमाने पर सवाल उठाकर पूछा कि मंदिर को 2,400 कर्मचारियों की क्या जरुरत है और टिप्पणी की कि न्यासियों की राजनीतिक पृष्ठभूमि काफी मजबूत प्रतीत होती है। उन्होंने कहा आप करोड़ों रुपये के मामले को संभाल रहे हैं। आपका कार्यकाल वैसे भी 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि अदालत इस स्तर पर कोई अनुमान नहीं लगा रही है। सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि मंदिर ट्रस्ट के नियम 12 दिसंबर को बने और लागू हुए थे। मुख्य न्यायाधीश ने कर्मचारियों के बायोमैट्रिक रिकॉर्ड मौजूद होने की बात कही और उचित प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया। आशीष दुबे / 19 दिसंबर 2025